कोरोना संक्रमितों के लिए संजीवनी बन रही है मशीन

कोरोना वायरस का असर कम करने के लिए ऑक्सीजन बहुत ही असरदार दवा बन गई है।

Update: 2020-07-30 12:08 GMT

गोरखपुर। कोरोना वायरस से बचाव को लेकर जहां पूरी दुनिया में दवा और वैक्सीन पर शोध चल रहा है। वहीं कोरोना वायरस का असर कम करने के लिए ऑक्सीजन बहुत ही असरदार दवा बन गई है। दरअसल कोरोना संक्रमित के खून में ऑक्सीजन की मात्रा तेजी से घट जाती है। इस दौरान कोरोना मरीज अचेत हो जाते हैं और कई बार उनकी मौत भी हो जाती है। ऐसे में संक्रमितों को हाई फ्रिक्वेंसी ऑक्सीजन (एचएफओ) मशीन राहत दे रही है।

एचएफओ संक्रमित को हर मिनट 60 लीटर शुद्ध ऑक्सीजन उपलब्ध करा रही है। इस गति से वेंटिलेटर ऑक्सीजन मुहैया कराते हैं। डॉक्टरों ने इसे मिनी वेंटिलेटर का दर्जा दिया है। बता दें कि बीआरडी मेडिकल कालेज में चार एचएफओ लगे हैं। बीआरडी के टीबी एंड चेस्ट विभाग के अध्यक्ष डॉ. अश्वनी मिश्रा ने बताया कि कोरोना का संक्रमण फेफड़ों पर तेजी से असर करता है। फेफड़े की आंतिरिक परत पर सूजन हो जाती है। इससे धमनियां पूरी तरह काम नहीं करती।

ऐसे में खून में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। इसे हम एसपीओ-टू के जरिए मापते हैं। यह 96 फीसदी से कम होने पर मरीज धीरे-धीरे खतरे की जद में जाने लगता है। 90 फीसदी से कम होने पर सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है। कमजोरी महसूस होती है। 80 होने पर उसके सोचने समझने की क्षमता खत्म हो जाती है। वह अचेत होने लगता है। कोमा में जा सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है।

बीआरडी के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजकिशोर सिंह ने बताया कि आमतौर पर सामान्य व्यक्ति सात लीटर ऑक्सीजन हर मिनट लेता है। जब वह संक्रमित होता है तो फेफड़े पूरी तरह काम नहीं करते। ऐसे में एचएफओ संजीवनी बनती है। वह ह्यूमेडिफायर के जरिए 60 लीटर प्रति मिनट की स्पीड से शुद्ध ऑक्सीजन फेफड़ों को उपलब्ध कराती है। डॉ. राजकिशोर ने बताया कि एचएफओ देश में चुनिंदा संस्थानों के पास ही उपलब्ध है। बीआरडी के पास चार एचएफओ है। इसे कमिश्नर जयंत नार्लिकर ने मंगवाया है। अब 15 और एचएफओ की मांग की गई है।  (हिफी न्यूज)

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