सेवानिवृत्ति - आईपीएस अवस्थी ने कड़क और कर्तव्यनिष्ठा से निभाया फर्ज़
आईपीएस ओपी सिंह के रिटायरमेंट के बाद 1985 बैच के आईपीएस अफसर हितेश चन्द्र अवस्थी को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था
लखनऊ। देश के सबसे बड़े पुलिस बल वाले राज्य उत्तर प्रदेश में पुलिस महानिदेशक के पद पर आईपीएस ओपी सिंह के रिटायरमेंट के बाद 1985 बैच के आईपीएस अफसर हितेश चन्द्र अवस्थी को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था। उसके बाद कुछ महीने बाद उन्होंने डीजीपी के रूप में कमान संभाली थी। उन्होंने डीजीपी के रूप में लगभग सवा साल उत्तर प्रदेश की जनता की सेवा की है। यह आईपीएस हितेश चन्द्र अवस्थी के लिये लिए अविस्मरणीय पल रहा। वह यूपी के 59वें डीजीपी बने थे। इस क्षण के साथ उनके साथ यह संयोग भी जुड़ा, जहां वह जन्मे, वहां पर पुलिस फोर्स का मुखिया बनने का गौरव प्राप्त किया। देशभर के लिए सादगी की मिसाल बनने जा रहे हैं डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने पहले ही सेवानिवृत्ति पर किसी भी तरह के आयोजन से इंकार करते हुए विदाई परेड को भी मना कर दिया था। पुलिस विभाग के अपने सफर में डीजीपी की छवि साफ-सुथरी रही है और वह कड़कदार और कर्तव्यनिष्ठ अफसरों में गिने जाते हैं। आज उनकी सेवानिवृत्ति पर पेश है खोजी न्यूज़ की विशेष रिपोर्ट
बता दें कि आईपीएस हितेश चन्द्र अवस्थी का गृह जनपद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ही है। 30 जून 1961 को यहां जन्में हितेश चन्द्र अवस्थी के पिता का नाम राम चन्द्र अवस्थी है। आईपीएस हितेश अवस्थी ने पाॅलटिकल साइंस से एम.ए, डिप्लोमेसी से एम.फिल की और पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन से भी एम.फिल किया है। 1985 में हितेश चन्द्र अवस्थी का आईपीएस में चयन हो गया। एडीजी पद पर प्रोन्नत होने से पहले वह दो बार सीबीआई में अलग-अलग पदों पर काम कर चुके हैं। वह वर्ष 2001 में पहली बार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए और सीबीआई में एसपी के पद पर काम किया। इसके बाद वर्ष 2005 में वह दोबारा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए। आईपीएस हितेश चंद्र अवस्थी वर्ष 2005 से 2008 तक नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो एनसीआरबी में डीआईजी-डिप्टी डाइरेक्टर तथा 2008 से वर्ष 2013 तक सीबीआई में आईजी-ज्वाइंट डाइरेक्टर के पद पर कार्यरत रहे। अवस्थी डीआईजी के पद पर रहते हुए प्रदेश के गृह विभाग में दो बार विशेष सचिव भी रहे। जिले के एसपी के रूप में उनकी तैनाती अविभाजित टिहरी गढ़वाल और हरिद्वार में भी रही है। एसपी पद पर तैनाती से पहले वह बरेली, शाहजहांपुर, लखनऊ, सहारनपुर व आगरा में तैनात रहे। डीआईजी के रूप में वह आजमगढ़ व आगरा रेंज में तैनात रहे हैं। आईपीएस हितेश चन्द्र अवस्थी ने डीजीपी बनने से पहले गुड पुलिसिंग कर 15 अगस्त 2001 में पीएम अवार्ड, 26 जनवरी 2009 में पीपीएम अवार्ड, 26 जनवरी 2016 को डीजी की कमेंडेशन डिस्क सिल्वर अवार्ड, 26 जनवरी 2018 में डीजी कमेंडेशन डिस्क गोल्ड अवार्ड, 15 अगस्त डीजी कमेंडेशन डिस्क प्लेटिनम अवार्ड, 15 अगस्त 2019 में अति उत्कर्ष सेवा पदक अवार्ड हासिल कर चुके हैं।
आईपीएस हितेश चन्द्र अवस्थी सूबे की राजधानी लखनऊ में ही जन्म लिया और अब वहीं पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद पर कमान सम्भाली है। यह पद उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में काफी महत्वपूर्ण और जिम्मेदारी भरा माना जाता है। आईपीएस हितेश चन्द्र अवस्थी से पहले आईपीएस ओपी सिंह, आईपीएस सुलखान सिंह, आईपीएस जाविद अहमद आदि पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात रह चुके है। पुलिस महानिदेशक की कमान 1985 बैच के आईपीएस अफसर हितेश चन्द्र अवस्थी को मिली। जब आईपीएस हितेश चन्द्र अवस्थी को पुलिस महानिदेशक बनाया गया था उस दौरान उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के पद के लिए 1986 बैच के आईपीएस सुजानवीर सिंह, 1987 बैच के आईपीएस आरपी सिंह, आईपीएस विश्वजीत महापात्रा, 1987 बैच के आईपीएस जीएल मीना, 1988 बैच के आनंद कुमार और राजकुमार विश्वकर्मा दौड़ में थे। लेकिन इस दौड़ में 1985 बैच के आईपीएस अफसर हितेश चन्द्र अवस्थी जीत गये थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने 31 जनवरी 2020 को पुलिस महानिदेशक पद पर तैनाती के लिये मुहर लगाई थी। पहले उनको कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था। उसके पश्चात 4 मार्च 2020 को डीजीपी के रूप में आईपीएस हितेश चन्द्र अवस्थी ने कमान संभाली थी। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के पद पर 4 मार्च 2020 को कमान सम्भालने वाले आईपीएस हितेश चन्द्र अवस्थी 30 जून 2021 यानि आज लगभग 36 साल की अपनी पुलिस सर्विस के बाद रिटायर हो गए होंगे।