आनंद शर्मा बोले- मैनिफेस्टो में राजद्रोह और अफस्पा के जिक्र से चुनाव में कांग्रेस को नुकसान
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने खुलकर कमियों पर बात की है। कांग्रेस की लीडरशिप को लेकर अनिश्चितता के बीच पार्टी के नेता आनंद शर्मा ने चुनावी घोषणापत्र में भी कुछ खामियां गिनाईं।
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने खुलकर कमियों पर बात की है। कांग्रेस की लीडरशिप को लेकर अनिश्चितता के बीच पार्टी के नेता आनंद शर्मा ने चुनावी घोषणापत्र में भी कुछ खामियां गिनाईं। उन्होंने साफ कहा कि राजद्रोह कानून को खत्म करने और आर्म्ड फोर्सेज ;स्पेशल पावर्सद्ध ऐक्ट में बदलाव जैसी बातों को घोषणापत्र में शामिल करने से कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ।राज्यसभा सांसद शर्मा ने चुनाव बाद पार्टी में संकट होने की बात भी खुलकर स्वीकार की। उन्होंने कहा, श्हां, संकट है क्योंकि इतनी बड़ी हार होगी, हमने ऐसा सोचा नहीं था... कांग्रेस अध्यक्ष ने इस्तीफे की पेशकश की जिसे नामंजूर कर दिया गया। इसके बाद अबतक के समय में अनिश्चितता बनी रही। अब समय आ गया है कि हमें ईमानदार तरीके से आगे बढ़ना चाहिए और आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। हमें उन मुद्दों और फैक्टर्स की पहचान करनी होगी जहां गलती हुई। संगठन या कैंपेन में क्या कमजोरी रह गई... क्योंकि चुनाव के बाद हम खत्म होने वाले नहीं हैं।
इंटरव्यू में शर्मा ने कहा, घोषणापत्र में तीन चीजों का जिक्र- राजद्रोह कानून को खत्म करना या एफएसपीए में बदलाव, जिसे गलत तरीके से जनता के सामने रखा गया। मैं इसके लिए आरोप भी नहीं लगा सकता क्योंकि यह चुनाव था जिसे लड़ा गया। हार की तीसरी बड़ी वजह के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा कि यह कश्मीर में सेना की तैनाती से संबंधित था।
गौरतलब है कि कांग्रेस के घोषणापत्र के सामने आने के बाद बीजेपी ने तीखा हमला किया था। पार्टी ने कहा था कि कांग्रेस के दस्तावेज में काफी खतरनाक विचार हैं और आरोप लगाया गया था कि मुख्य विपक्षी दल टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथ जाकर खड़ी हो गई है, जिसके तहत लेफ्ट पाॅलिटिकल ऐक्टिविस्टों ने 2016 में जेएनयू में अफजल गुरू के लिए कार्यक्रम आयोजित किया था। आनंद शर्मा कांग्रेस की कैंपेन कमिटी के प्रभारी थे। उन्होंने कहा कि किसानों से किए गए चुनावी वादे न्याय का भी असर नहीं हुआ क्योंकि इसे काफी देर से अप्रैल में सामने लाया गया। इसे चुनाव से कम से कम 6 महीने पहले लाया जाना चाहिए था। ऐसे में यह सरकार की पीएम किसान स्कीम का मुकाबला करने में नाकाम रही, जिससे लोगों को पहले ही कैश मिलना शुरू हो गया था। कमजोर कैंपेन के सवाल पर शर्मा ने कहा कि संगठन में कुछ ढांचागत कमजोरियां रहीं, कई राज्य समय के साथ कमजोर होते चले गए। हम सांगठनिक ढांचे को लेकर फैसले तेज नहीं ले पाए जैसे, जिला कांग्रेस कमिटी और मंडल कांग्रेस कमिटी।