बाबा मध्य महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए बंद- पैदल यात्रा कर..
परिक्रमा समाप्ति के उपरांत बाबा की डोली ढोल ढमाकों के साथ अपने प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान कर गई।
रुद्रप्रयाग। बाबा मध्य महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं, तीन दिन की पैदल यात्रा करने के बाद बाबा की डोली अब उखीमठ पहुंचेगी, ओंकारेश्वर में अब पांचों केदार के दर्शन हो सकेंगे।
मंगलवार को रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित द्वितीय केदार के रूप में विख्यात बाबा मध्य महेश्वर मंदिर के कपाट सवेरे 8:00 बजे विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं।
स्थानीय पुष्पों एवं राग के माध्यम से मंदिर के मुख्य पुजारी ने स्वयंभू नाभि लिंग को समाधि दी। इसके बाद भोग मूर्तियों को चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान कर मंदिर परिक्रमा के लिए रवाना किया गया।
परिक्रमा समाप्ति के उपरांत बाबा की डोली ढोल ढमाकों के साथ अपने प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान कर गई। इस दौरान मंदिर परिसर बाबा के जयकारों से गूंजता रहा और डोली पर पुष्प वर्षा होती रही।
मुख्य कार्य अधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि इस साल तमाम भौगोलिक विषम परिस्थितियों के बीच बाबा के दर्शन के लिए यहां तकरीबन 22000 से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे हैं। 21 नवंबर को 3 दिन की पैदल यात्रा पूरी करने के बाद बाबा की डोली उखीमठ पहुंचेगी और ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी।