विद्युत के क्षेत्र में गहरी उदासीनता और अक्षमता का परिचय : अखिलेश यादव

भाजपा सरकार 80 प्रतिशत घरेलू उपभोक्ताओं पर और बोझ डालेगी जबकि ज्यादा बिजली खपत करने वालों पर राहत बरसेगी।

Update: 2020-11-05 04:54 GMT

लखनऊ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री  अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार ने तय कर रखा है कि यहां कोई भी चैन से न रह सके। सब कहीं न कहीं परेशान रहें।


किसान हो या नौजवान, व्यापारी हों या अधिवक्ता सब बदहाल रहें, यही भाजपा का ध्येय है। बजाय सद्उपयोग करने के समाजवादी सरकार में किए गए कामों के, भाजपा सरकार उनको बर्बाद करने में लगी है। साइकिल ट्रैक पर्यावरण के लिहाज से उपयोगी योजना थी। उन्हें अतिक्रमण का शिकार बना दिया गया। इसी तरह विद्युत उपभोक्ताओं को तबाह करने की साजिशें शुरू हैं। जनता को मंहगी बिजली देने का मन बनाए ऊर्जा मंत्री  चलाचली की बेला में साइकिल की सवारी करके और खुद ही बकाया वसूली करके जनता का ध्यान बंटाने का नाटक कर रहे हैं।

    जनता से धोखाधड़ी में पारंगत भाजपा सरकार ने उपचुनावों के मद्देनज़र चुप्पी साधे रही अब दीवाली बाद मंहगी बिजली का झटका देने की तैयारी है। भाजपा सरकार 80 प्रतिशत घरेलू उपभोक्ताओं पर और बोझ डालेगी जबकि ज्यादा बिजली खपत करने वालों पर राहत बरसेगी। इससे पहले भी बिजली दरों में वृद्धि की जा चुकी है। ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू तथा किसानों के नलकूप की बिजली दरों में भारी बढ़ोत्तरी हो चुकी है।

    प्रदेश में लगभग 10 करोड़ से ज्यादा बिजली उपभोक्ता है। भाजपा सरकार ने विद्युत के क्षेत्र में गहरी उदासीनता और अक्षमता का परिचय दिया है। भाजपा सरकार में एक यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं हुआ। अघोषित रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति मांग 4-6 घंटा ही हो रही है। समाजवादी सरकार ने विद्युत क्षेत्र में जो सुधार किए थे उन्हें निष्प्रभावी बनाया जा रहा है।

    भाजपा सरकार का सबसे बड़ा घोटाला मीटर खरीद को लेकर है। पिछले तीन वर्षों में प्रदेश में करीब 2000 करोड रूपये के इलेक्ट्रिानिक मीटर, 500 करोड़ रूपये के करीब 12 लाख स्मार्ट मीटर खरीदे गए हैं। बिना किसी जांच ग्रामीण क्षेत्र में सौभाग्य योजना के अंतर्गत गरीबों के घर में बिजली मीटर लगते हैं। पावर टेक कम्पनी से खरीदे गए मीटरों में तकनीकी खामियां और बड़े पैमाने पर लोड जम्पिंग की शिकायते सामने आई है। इन मीटरों को लगाते समय मीटर की संचार प्रणाली का टेस्ट नहीं किया गया। नई परियोजना या साफ्टवेयर जब किसी नई योजना के लिए लागू होता है तो पहले यूजर एक्सेंप्टेस टेस्ट (यूएटी) कई चरणों में होता है, इसे भी नहीं किया गया।

     लेकिन दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने तो घोटाले में घोटाला का अभूतपूर्व काम किया है। उसने ऐसे मीटर लिए जो बिना लगे ही मीटर रीडिंग कर देते है। घरों में बिना मीटर लगाए ही ऑनलाइन सिस्टम में मीटर फीड के मामले चौंकाने वाले हैं। इसकी वजह से उपभोक्ताओं के घरों में गलत बिल आने लगे। क्वालिटी निगरानी न करने के जो दोषी है उन पर अभी तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई? ऊपर से नीचे तक मीटर घोटाले को दबाने की साजिश कौन कर रहा है? भाजपा सरकार को विभाग की गड़बड़ देखने की फुर्सत नहीं। बिजली विभाग भगवान भरोसे है। भाजपा सरकार में उपभोक्ताओं की शामत तय है। 

                                                         

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