बिहार चुनाव में टिकट मांग रहे नेता,पोस्टर-बैनर के जरिए ठोक रहें दावा

बिहार की 11 करोड़ जनसंख्या में सबसे ज्यादा वोट किसी वर्ग का है तो युवाओं का है.

Update: 2020-09-21 16:04 GMT

पटना बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही पटना की सड़कें-गलियां पोस्टर और होर्डिंग से पट गए हैं. वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ युवा नेता भी दावेदारी के साथ पटना में अपने समर्थन में पोस्टर लगाकर टिकट पर दावा जता रहे हैं और ऐसा होने की वजह भी है।

दरअसल, बिहार की 11 करोड़ जनसंख्या में सबसे ज्यादा वोट किसी वर्ग का है तो युवाओं का है. ये युवा ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लिए चुनाव के दौरान दिन-रात एक करते हैं. पार्टी के बैनर-पोस्टर, होर्डिंग लगाने में दिन और रात व्यस्त रहते हैं. इस उम्मीद से भी कि लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव उन्हें उनकी मेहनत का परिणाम मिलेगा. लेकिन निराशा तब होती है जब टिकट वितरण में सिर्फ जिताऊ शख्स को ही टिकट मिलता है।

अब जबकि बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है. हर पार्टी दफ्तरों के बाहर टिकट चाहने वाले युवा कार्यकर्ता और नेता समर्थकों के साथ रोजाना पहुंच रहे हैं. पटना में बीरचंद पटेल पथ पर स्थित आरजेडी कार्यालय के बाहर खड़े युवा आरजेडी के महासचिव गुड्डु यादव को इस बार वैशाली जिले के महुआ सीट से टिकट मिलने का भरोसा है।

हालांकि, इसी सीट से पिछले विधानसभा चुनाव में लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव 43 फीसदी वोट के साथ जीते थे. आरजेडी के युवा विंग के महासचिव गुड्डू यादव इस बार इस सीट से दावेदारी कर रहे हैं।

गुड्डू के मुताबिक, अगर तेजप्रताप महुआ से चुनाव नहीं लड़ते हैं तो उन्हें इस बार आरजेडी के टिकट से चुनाव लड़ने की इच्छा है. दूसरी ओर कांग्रेस ने दावा किया है कि महागठबंधन में उसे जो भी सीट मिलेगी उनमें युवाओं को भी बड़े पैमाने पर चुनाव में उतारा जाएगा।

दरअसल, साल 2015 के विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक युवा विधायक आरजेडी से चुनकर आए थे. पार्टी के 80 विधायकों में 31 युवा विधायक थे. अलौली से चुनाव जीतने वाले चंदन कुमार हों या खुद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादवया फिर तेजप्रताप यादव।

यही हाल कांग्रेस का भी रहा. कांग्रेस के 24 में 16 ऐसे विधायक थे जिनकी उम्र 40 वर्ष या इससे नीचे थी. कांग्रेस के टिकट से अच्छी खासी संख्या में युवा जितकर विधानसभा पहुंचे. राघोपुर से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, महुआ से तेजप्रताप यादव, अलौली से चंदन कुमार, जमुई से विजय प्रकाश, बरबीघा से सुदर्शन कुमार, पटना के पालीगंज से जयवर्धन यादव, बांकीपुर से नितिन नवीन, शाहपुर से राहुल तिवारी, सिंकदरा से सुधीर कुमार, बेगूसराय से अमिता भूषण सहित कई नए युवा चेहरे विधानसभा में चुनकर आए. लेकिन उसमें अधिकांश वो चेहरे हैं जिनका संबंध राजनीतिक परिवार से हैं।

हालांकि, इस बार भारतीय जनता पार्टी भी युवाओं को अधिक टिकट देने की बात कह रही है. वहीं, बीजेपी के लिए काम करने वाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के युवा कार्यकर्ता भी टिकट की जुगाड़ में हैं. दूसरी ओर छोटी पार्टियों के युवा नेता भी टिकट के लिए मेहनत करते नजर आ रहे हैं. फिर चाहे चाहे वो जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली हम हो या फिर एलजेपी, आरएलएसपी और वीआईपी पार्टी।

इसमें कोई शक नहीं की राजनीति चलाने की बात हो या देश चलाने की बात, इसमें अनुभव का काफी महत्वपूर्ण स्थान है लेकिन अनुभव के साथ युवा जोश भी मिल जाए तो बिहार की तस्वीर बदलने में देर नहीं लगेगी. क्योंकि आज के युवा ही कल के भविष्य कहलाते हैं।

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