हाशिये पर पहुंची मायावती- यूपी विधानसभा में 1 सीट जीतकर साफ हुई बसपा

उत्तर प्रदेश की राजनीति में खासा दखल रखने वाली बहुजन समाज पार्टी का मौजूदा विधानसभा चुनाव में लगभग सूपड़ा साफ हो चुका है

Update: 2022-03-11 05:22 GMT

लखनऊ। दलित और पिछड़ों की राजनीति की बदौलत करीब तीन दशक तक उत्तर प्रदेश की राजनीति में खासा दखल रखने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का मौजूदा विधानसभा चुनाव में लगभग सूपड़ा साफ हो चुका है। बसपा इस चुनाव में केवल एक सीट बलिया जनपद की रसड़ा से उमा शंकर ने जीतकर खाता खोला है ।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बसपा ने विधानसभा अकेले दम पर लड़ने का ऐलान किया था मगर आज आये चुनाव परिणाम पार्टी सुप्रीमो मायावती को आत्मचिंतन के लिये मजबूर करने वाले है। इस चुनाव में कम से कम 18 सीटें गंवा चुकी बसपा के वोट प्रतिशत में भी 2017 की तुलना में दस फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गयी है। 2017 के चुनाव में बसपा को 22 फ़ीसदी से ज़्यादा वोट मिले थे जबकि 2012 में उसके खाते में 80 और 2007 में 206 सीटें आईं थीं।

1984 में बनी बसपा, 2022 के चुनाव में आते-आते अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुकी है ऐसा लगता है। जिस बसपा ने 2007 में उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत के साथ सरकार बनाई थी, वही बसपा 10 साल में सिमटकर एक विधायक पर आ गई है। 2022 के चुनाव में सिर्फ एक विधायक रसड़ा से उमाशंकर सिंह ने ही जीत हासिल की है, बसपा के बाकी सभी प्रत्याशी चुनाव हार चुके हैं।

2017 के चुनाव में बसपा के 19 विधायक थे, लेकिन 2022 आते-आते बसपा में 3 विधायक बचे थे। पार्टी सुप्रीमो मायावती के कभी खास सिपहसालार रहे राम अचल राजभर, लालजी वर्मा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी जैसे नेता उन्हें छोड़कर चले गए। बसपा जिस सोशल इंजीनियरिंग के सहारे सत्ता का सुख भोग चुकी है वह सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला 2012 के बाद ऐसा पटरी से उतरा कि आज बसपा का अपना मूल वोटर तक जा चुका है।

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