POLICE -सर्द रात में बेसहारा बुजुर्ग साध्वियों का सहारा बने CO राजेश द्विवेदी

शनिवार की देर शाम सीओ सिटी राजेश कुमार द्विवेदी नगर क्षेत्र में भ्रमण पर थे। जब वह रेलवे रोड पर पहुंचे तो उनको सड़क किनारे भगवा कपड़ों में करीब 10-12 बुजुर्ग महिलाएं अकेले बैठे हुए नजर आयी। देर शाम ऐसे सड़क पर इन महिलाओं को तन्हा बैठे हुए देखकर सीओ सिटी ने अपनी गाड़ी को रुकवाया और उतरकर इन बुजुर्ग महिलाओं के पास पहुंचे।

Update: 2020-11-21 16:54 GMT

मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश में मार्च 2017 के बाद से शुरू हुई पुलिसिंग की बात करें तो कभी अपराधियों के सामने पस्त होती खाकी ने खूब जौहर दिखाने का काम किया है। इन करीब साढ़े तीन साल में यूपी पुलिस का चाल, चरित्र और चेहरा सभी कुछ बदला हुआ नजर आता है। कभी समाज में एक अनजाने से भय का पर्याय माने जाने वाली पुलिस अब गरीब बस्तियों में बच्चों और बुजुर्गों के साथ खुशियां बांटती नजर आती है, यूपी पुलिस को खौफ के साये से निकालकर वास्तविक रूप से 'मित्र पुलिस' बनाने का श्रेय खाकी लिबास पहने कुछ अफसरों के अन्दर छिपे मानवीय दृष्टिकोण को भी जाता है, यह अफसर जहां बीहड़ के गांव देहात से लेकर शहरों की भीड़भाड़ में छिपे अपराधियों का दमन करने के लिए जितने सख्त मिजाज नजर आते हैं, ये ही अफसर जब सड़क पर किसी बेसहारा और निराश्रित को देखते हैं तो खाकी के भीतर छिपा एक इंसान जाग उठता है। यूपी पुलिस के इस सोशल चेहरे ने आज जनता के बीच खाकी को मित्र होने का दर्जा दिलाने में अहम भूमिका निभाई है।


यूपी पुलिस के ऐसे ही एक अफसर हैं, मुजफ्फरनगर में सीओ सिटी के पद पर तैनात राजेश द्विवेदी। पुलिस सर्विस में बुलन्दशहर में थाना सिकन्दराबाद के इंचार्ज के रूप में तैनात रहते हुए राजेश द्विवेदी ने पुलिस टीम के साथ मिलकर दो सिपाहियों की हत्या के आरोपी दस्यु सरगना सियाराम निषाद उर्फ सिया को एनकाउंटर में ढेर किया था, वह कई डबल एनकाउंटर करते हुए अपराधियों का अंत करने में अपनी भूमिका निभा चुके हैं। इसके अलावा भी कई बड़े एनकाउंटर उनके नाम रहे हैं। अपराधियों के सामने जान की बाजी लगाने वाले राजेश द्विवेदी खाकी के बाहर जितने सख्त मिजाज नजर आते हैं, खाकी के भीतर वे इतने ही संवेदनशील भी हैं। सीओ सिटी के पद पर रहते हुए उनका सोशल चेहरा आज सर्द रात में ठिठुरती बेसहारा बुजुर्ग साध्वियों ने देखा तो इस अफसर के लिए साधुवाद देते हुए उनकी जुबां नहीं थक रही थी।


हुआ यूं कि शनिवार की देर शाम सीओ सिटी राजेश कुमार द्विवेदी नगर क्षेत्र में भ्रमण पर थे। जब वह रेलवे रोड पर पहुंचे तो उनको सड़क किनारे भगवा कपड़ों में करीब 10-12 बुजुर्ग महिलाएं अकेले बैठे हुए नजर आयी। देर शाम ऐसे सड़क पर इन महिलाओं को तन्हा बैठे हुए देखकर सीओ सिटी ने अपनी गाड़ी को रुकवाया और उतरकर इन बुजुर्ग महिलाओं के पास पहुंचे। पता चला कि ये महिलाएं साध्वी हैं और उत्तराखंड के जनपद हरिद्वार के एक आश्रम से यहां पहुंची हैं। यहां पर उनके पास पैसे नहीं होने के कारण वह ठहरने का उचित प्रबंध नहीं कर पाई और आगे सफर के लिए कोई सहारा नहीं है। सीओ सिटी राजेश द्विवेदी ने इन महिलाओं का सहारा बनने का निर्णय लिया और उनको साथ लेकर वह अपने कार्यालय आ गये। यहां आकर इस बुजुर्ग महिलाओं से बातचीत की तो उन्होंने मदद के लिए पैसे मांगे ताकि वह अपने गंतव्य तक पहुंच सके, लेकिन सर्द रात होने को देखते हुए सीओ सिटी ने इन महिलाओं की मदद दूसरे अंदाज में की।


उन्होंने तत्काल ही अपनी जेब में हाथ डाला और पर्स निकालकर पैसे गिने। अपने हमराह सिपाही को बुलाया और उसको पांच हजार रुपये देते हुए उनके कार्यालय में मौजूद साध्वी महिलाओं के लिए गर्म कम्बल लाने को कहा। थोड़ी ही देर में सिपाही कम्बल लेकर उनके सामने खड़ा था। सीओ सिटी ने सभी बुजुर्ग साध्वियों को एक एक गर्म कम्बल दिया और जब सिपाही ने उनको बचे हुए पैसे लौटाये तो सीओ सिटी राजेश द्विवेदी ने यह पैसे दोबारा सिपाही को थमाते हुए साध्वी को देने के लिए सूखा राशन लाने भेज दिया। गर्म कम्बल और राशन देकर इन साध्वियों को आगे रवाना करने का प्रबंध भी कराया। ये बुजुर्ग साध्वी एक पुलिस अफसर का यह मानवीय दृष्टिकोण देखकर उनको साधुवाद देते नहीं थक रही थी। सीओ सिटी के इस सोशल चेहरे ने यह साबित किया है कि खाकी के अन्दर भी इंसान रहता है। इस मदद को पाकर साध्वी खुशी खुशी आगे रवाना हो चलीं और सीओ सिटी राजेश कुमार द्विवेदी भी चेहरे पर एक संतोष भरी मुस्कुराहट लेकर अपनी ड्यूटी में व्यस्त हो गये।

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