आरम्भ हुआ साल का पहला चंद्र ग्रहण इन राशियों पर पड़ेगा असर

साल का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई 2021, दिन बुधवार को लगेगा। जबकि साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 19 नवंबर 2021 को लगेगा।

Update: 2021-05-26 05:20 GMT

नई दिल्ली। साल का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई 2021, दिन बुधवार को लगेगा। जबकि साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 19 नवंबर 2021 को लगेगा। सूर्य ग्रहण की तरह ही चंद्र ग्रहण में भी सूतक काल का विचार किया जाता है। साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार दोपहर करीब 11.30 बजे लगेगा, जो कि शाम 05 बजकर 33 मिनट पर समाप्त होगा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। पहला चन्द्र ग्रहण सम्पूर्ण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए सूतक काल भी विचारणीय नहीं है। कुछ राशियों पर इसका विशेष प्रभाव पड़ेगा।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण को अशुभ घटना के तौर पर देखा जाता है। इस दौरान शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ आदि की भी मनाही होती है। ग्रहण काल में देवी-देवताओं की मूर्ति या प्रतिमा को स्पर्श नहीं किया जाता है। मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं।साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भारत, अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में दिखाई पड़ेगा।

चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है। जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है यानी सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं तो इस घटना को चंद्र ग्रहण कहते हैं। जब पूरा चंद्रमा पृथ्वी की छाया में होता है तब पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है। जब चंद्रमा का केवल एक भाग पृथ्वी की छाया में आता है तो आंशिक चंद्र ग्रहण होता है। समुद्र मंथन के दौरान स्वर्भानु नामक एक दैत्य ने छल से अमृत पान करने की कोशिश की थी। तब चंद्रमा और सूर्य की इस पर नजर पड़ गई थी। इसके बाद दैत्य की हरकत के बारे में चंद्रमा और सूर्य ने भगवान विष्णु को जानकारी दे दी। भगवान विष्णु ने अपने सुर्दशन चक्र से इस दैत्य का सिर धड़ से अलग कर दिया। अमृत की कुछ बूंदें गले से नीचे उतरने के कारण ये दो दैत्य बन गए और राहु व केतु के नाम से अमर हो गए।

सिर वाला हिस्सा राहु और धड़ केतु के नाम से जाना गया। माना जाता है कि राहु और केतु इसी बात का बदला लेने के लिए समय-समय पर चंद्रमा और सूर्य पर हमला करते हैं। जब ये दोनों क्रूर ग्रह चंद्रमा और सूर्य को जकड़ लेते है तो ग्रहण लगता है और इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है और दोनों ही ग्रह कमजोर पड़ जाते हैं। इसलिए ग्रहण के दौरान शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है।

साल का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को लगने जा रहा है। यह चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगने जा रहा है। इस राशि के जातकों को विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है। 26 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण संपूर्ण भारत में नहीं दिखाई देगा, जिस वजह से सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। भारत में उपछाया चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है। आइए जानते हैं कि चंद्र ग्रहण के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण के दौरान खुले आकाश में नहीं निकलना चाहिए। विशेषकर गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, रोगी और बच्चे इस दौरान घर में ही रहें।

इसी प्रकार धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दौरान किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए। हालांकि ये नियम अस्वस्थ लोगों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर लागू नहीं होता है। ग्रहण के समय को अशुभ माना जाता है। इस समय किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ग्रहण के दौरान मंदिरों के पट भी बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण के दौरान अधिक से अधिक मंत्र जप करना चाहिए। ग्रहण के समाप्त होने के बाद घर को गंगा जल से शुद्ध कर लेना चाहिए। उसके बाद घर के मंदिर में देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करना चाहिए। लेकिन इस बार लगने वाला ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण है। इस ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होता है।

शास्त्रों के अनुसार, वैशाख शुक्ल की पूर्णिमा का भी विशेष महत्व होता है। इस साल वैशाख पूर्णिमा के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा तिथि के दिन पूजा-अर्चना करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन दान व व्रत का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन चंद्रमा पूजन भी किया जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 25 मई की रात 08 बजकर 29 मिनट से शुरू होगी। 26 मई दिन बुधवार की शाम 04 बजकर 43 मिनट तक पूर्णिमा रहेगी। पूर्णिमा का व्रत 26 मई को ही रखा जाएगा। इस दिन बुद्ध पूर्णिमा भी है। वैशाख पूर्णिमा के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं जैसे 25 मई को शिव योग रात 10 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। इसके बाद 26 मई को सुबह 06 बजकर 01 मिनट से रात 01 बजकर 16 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग बनेंगे। पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा वृश्चिक राशि पर संचार करेगा। वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा का भी विधान है। रात के समय चंद्रमा की पूजा करने से चंद्रमा की शुभता प्राप्त होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है और कुंडली में चंद्रमा की शुभता में वृद्धि होती है।

ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियों का जिक्र किया गया है। हर राशि का अपना स्वभाव और व्यक्तित्व होता है। कई बार ज्योतिषाचार्य व्यक्ति की जन्म कुंडली के अलावा राशि से उसके भविष्य, करियर, स्वभाव और व्यक्तित्व आदि का अनुमान लगाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में कुछ ऐसी राशियों का भी वर्णन किया गया है जिन पर शनि और मंगल का प्रभाव रहता है। कहा जाता है कि शनि व मंगल के प्रभाव वाली राशियां काफी ताकतवर होती हैं।

इन 12 राशियों में से मेष पहली राशि है। इस राशि का स्वामी मंगल होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मेष राशि के जातक आत्मविश्वासी होते हैं। इनमें गजब की लीडरशिप क्वालिटी होती है। यह अपने गुणों से हर किसी के दिल में खास जगह बना लेते हैं। करियर के मामले में यह काफी आगे रहते हैं। मंगल के प्रभाव के कारण इनका करियर अच्छा होता है। ये साहसी और निडर होते हैं। इस राशि के लोगों को जितनी जल्दी गुस्सा आता है, उतनी जल्दी शांत भी हो जाता है।

वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं। इस राशि के लोग काफी मेहनती होते हैं। यह जीवन में जिस मुकाम को हासिल करना चाहते हैं, उसे अपनी मेहनत के दम पर पा लेते हैं। ये काफी साहसी और निडर होते हैं। इन्हें किसी का दखल रास नहीं आता है। धोखा देने वालों को आसानी से नहीं जाने देते हैं। इसी तरह मकर राशि के स्वामी शनि हैं। शनि को न्याय प्रिय देवता माना जाता है। ऐसे में वह कर्म के हिसाब से फल देते हैं। इस राशि के लोग काफी ताकतवर होते हैं। यह अपने दम पर करियर में सफलता हासिल करते हैं। ये दूसरों की मदद के लिए आगे रहते हैं। चंद्र ग्रहण मंे चैथी राशि कुंभ पर भी विशेष प्रभाव पड़ेगा। इस राशि के स्वामी शनि हैं। इन लोगों पर शनिदेव की विशेष कृपा रहती हैं। ये लोग मेहनती और निडर होते हैं। एक बार जो ठान लेते हैं उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। इनमें बोलने की कला गजब की होती है। (हिफी)

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