आजादी, ऐसे ही नहीं मिलती साहब!- बहुत कुछ चुकाना पड़ता है
आजादी, का मतलब सभी जानते हैं और सभी को आजादी से प्यार होता है। बावजूद इसके मनुष्य दूसरों की आजादी को छीनना चाहता है।
नई दिल्ली। आजादी, का मतलब सभी जानते हैं और सभी को आजादी से प्यार होता है। बावजूद इसके मनुष्य दूसरों की आजादी को छीनना चाहता है। आखिर ऐसा क्यों। जब खुद आजाद रहना पसंद है, तो फिर दूसरों को बंधक बनाने में आखिर इंसान को क्या अच्छा लगता है। जो बंधक बना होता है, उससे पूछो उस पर क्या बीतती है। वह आजादी पाने के लिए न जाने क्या-क्या जतन करता है। और जब वह आजाद हो जाता है, तो उसे वह खुशी मिलती है, जो अमूल्य होती है।
सोशल मीडिया पर एक 13 सेकंड की वीडियो वायरल हो रही है। इस वीडियो में एक गाड़ी खड़ी हुई है। गाड़ी के बराबर में एक व्यक्ति बैठा हुआ है, जिसने कुछ पंछियों को पिंजरे में कैद कर रखा है। गाड़ी में बैठा व्यक्ति पिंजरे वाले को रुपये देता है और उससे एक-एक कर पंछियों को अपने हाथ में लेता है और उन्हें आसमान की ओर छोड़ देता है। पंछी बिना एक पल गंवाये, सीधे आसमान में उड़ जाते हैं। इस वीडियो पर ट्वीट करते हुए लिखा गया है- कौन कहता है आजादी की कीमत नहीं होती, बस चुकाता कोई और है! अर्थात आजादी की कीमत चुकानी ही पड़ती है, भले ही कोई और चुकाये। भारत भी पहले मुगलों का और फिर अंग्रेजों का गुलाम रहा। भारत को आजाद कराने के लिए न जाने कितने भारत माता के वीर सपूतों को बलिदान देना पड़ा।
सैकड़ों वर्षों की दासतां के बाद जब भारत आजाद हुआ, तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। लेकिन भारत को आजादी दिलाने में जो कीमत चुकानी पड़ी, वह किसी से छिपी नहीं है। कितनी मांओं का सुहाग उजड़ा, कितनी बहनें भाईयों के हाथ पर राखी बांधने से महरूम रह गई। न जाने कितनों को क्या-क्या कष्ट सहन करने पड़े। आजादी की कीमत तो चुकानी ही पड़ती है। लेकिन यदि किसी को बंधक ही न बनाया जाये, तो कितना अच्छा होगा। सभी को आजाद रहना पसंद है। सभी को दासतां से मुक्त रहना पसंद है, फिर किसी को दास बनाने का औचित्य ही क्या है। पक्षियों को कैद करना, पशुओं को कैद करना, कहां का न्याय है। इसलिए किसी को बंधक बनाने का नहीं, वरन अगर कोई बंधक बना है, तो उसे मुक्त करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।