राजकपूर को नहीं पहचानते थे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल

उन दिनों हरियाणा के मुख्यमंत्री बंसी लाल भी भोज में शामिल थे।

Update: 2024-05-10 08:11 GMT

पटना। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल ने बॉलीवुड के महान फिल्मकार-अभिनेता शो मैन राज कपूर को पहचानने से इंकार कर दिया था।

वर्ष 1971 में दरभंगा सीट पर हुये चुनाव में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के विनोदानंद झा ने जीत हासिल की। झा के निधन के बाद वर्ष 1972 में हुये उप चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता ललित नारायण मिश्रा ने जीत हासिल की। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मिश्रा को फरवरी 1973 में रेल मंत्रालय की अहम जिम्मेवारी दी। ललित नारायण मिश्र सांस्कृतिक अभिरुचि के आदमी थे। उनका फिल्म अभिनेताओं से भी परिचय था। जब ललित नारायण मिश्र रेल मंत्री थे तब उनके सरकारी बंगले पर एक भोज का आयोजन किया गया था। इस भोज में राजनीतिज्ञों के साथ-साथ मशहूर फिल्मकार-अभिनेता राज कपूर को भी आमंत्रित किया था। उन दिनों हरियाणा के मुख्यमंत्री बंसी लाल भी भोज में शामिल थे।

ललित नारायण मिश्रा राज कपूर को लेकर बंसी लाल के पास पहुंचे। राज कपूर बंसी लाल के पास खड़े रहे लेकिन उन्होंने उनकी तरफ देखा भी नहीं। बंसी लाल, ललित बाबू से उम्दा भोज के बारे में बातें करते रहे। यह देख कर ललित बाबू सकपका गये। अंत में उन्हें कहना पड़ा, बंसी लाल जी, इनसे मिलिए ये हैं राज कपूर। तब बंसी लाल ने राज कपूर से हाथ मिलाया और कहा, अच्छा-अच्छा आपका तो फरीदाबाद में बिजनेस है। ये सुन कर राज कपूर ने कहा, नहीं- नहीं मेरा फरीदाबाद में कोई बिजनेस नहीं है। फिर बंसी लाल ने पूछा, तो आप काम क्या करते हैं। राज कपूर ने शालिनता से उत्तर दिया, जी मैं फिल्मों में काम करता हूं। इतने पर भी बंसी लाल नहीं रुके, उन्होंने कहा, ओह, आप नौटंकी में काम करते हैं। इस बात से राज कपूर असहज हो गये। उन्होंने माहौल को ठंडा करने के लिए जोर का ठहाका लगाया और कहा, हद कर दी बंसी जी आपने, आप भारत के इतने बड़े एक्टर और डायरेक्टर को भी नहीं जानते। आप जरूर राज सहब से मजाक कर रहे थे। फिर तो पार्टी में मौजूद सभी लोग हंसने लगे। जब राज कपूर के होठों पर भी मुस्कान आयी तब जा कर ललित बाबू के जान में जान आयी। बंसी लाल ने अपने जीवन में केवल एक ही फिल्म देखी थी- डॉक्टर कोटनिश की अमर कहानी। ये गंभीर फिल्म थी। वे सचमुच राज कपूर को नहीं पहचानते थे।

स्वर्गीय ललित नारायण मिश्रा ने वर्ष 1952 में दरभंगा भागलपुर सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी। वर्ष 1957 में ललित नारायण मिश्रा ने सहरसा लोकसभा सीट से जीत हासिल की। सहरसा सीट वर्ष 1957 में ही अस्तित्व में आयी थी और इसके पहले सासंद ललित नारायण मिश्रा हुये। ललित नारायण मिश्रा दो बार राज्यसभा सांसद चुने गये। वह पंडित नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी की सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रहे थे।दो जनवरी 1975, बिहार के समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर एक सभा चल रही थी, जिसे तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा संबोधित कर रहे थे। उसी समय वहां एक बम फेंका गया, जिसमें श्री मिश्रा गंभीर रूप से घायल हो गए और अगले दिन तीन जनवरी को अस्पताल में उनकी मौत हो गयी।

स्वर्गीय ललित नारायण मिश्रा वर्ष 1952 में दरभंगा भागलपुर सीट से चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने थे।ललित बाबू की राजनीति में दरभंगा का अहम योगदान रहा। यहां के अंतिम महाराज कामेश्वर सिंह से भी उनके संबंध मधुर रहे। यहां की यूनिवर्सिटी भी ललित बाबू के नाम पर (ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय) है।दरभंगा सीट पर बिहार में चौथे चरण के तहत 13 मई को चुनाव है।

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