सहारनपुर। देश और जनपद के इस्लामिक शिक्षा से मुख्य केंद्र देवबंद के मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के जिला आयुक्त ने कहा है कि इस्लाम में कहीं भी महिलाओं के मस्जिदों में जाने का मना ही नहीं है। मुस्लिम महिलाओं को मस्जिदों के भीतर ही बंद कर दिया गया था, क्योंकि वहां के इमाम महिलाओं के साथ छेड़खानी की हरकत को अंजाम देते थे।
दरअसल मनपाड़ा के जामा मस्जिद के शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी की ओर से महिलाओं को एमपी, एमएलए और अन्य पदों के लिए टिकट दिए जाने को इस्लाम के खिलाफ करार दिया गया है। उनके मुताबिक महिलाओं को मस्जिदों के अंदर भी नहीं जाना चाहिए।
जामा मस्जिद के शाही इमाम के बयानों से ना इत्तेफाकी सबूत मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के जिला आयुक्त राव मुशर्रफ अली ने कहा है कि इस्लाम में औरतों को समानता का हक दिया गया है। जब औरतें हज करने के लिए मक्का मदीना जा सकता है और वहां जाने पर उनकी कोई रुकावट नहीं है तो यह बात पूरी तरह से साफ है कि इस्लाम में महिलाओं के मस्जिदों में जाने पर भी कोई पाबंदी नहीं है। उन्होंने कहा कि ना ही कुरान और ना ही हदीस में यह बात लिखी गई है कि मस्जिद के भीतर और पाबंदी है।
उन्होंने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि इस्लाम में महिलाएं पहले मस्जिदों में रहती थीं, लेकिन वहां के इमाम जब महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की हरकतों को अंजाम देते थे और उनकी शाख महिलाओं के साथ बलात्कार की कोशिश करते थे, तो महिलाओं ने अपनी इज्जत बचाने के लिए के लिए मस्जिदों को बंद कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में सभी को आजादी मिली है और किसी के ऊपर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री फंस गए हैं और पाकिस्तान में भी बेनजीर भुट्टो के प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाल लिया है। ऐसे हालात में भारतीय और राजनीति में क्यों नहीं जा सकते। उन्होंने कहा कि ऐसे मौलानाओं के बयानों पर रोक लगाई जानी चाहिए।