कृपा और कर्तव्य से कोरोना- विजय

भारत जैसे आस्थावान देश में लाइलाज महामारी कोविड-19 को लेकर भी यही कहा जा सकता है

Update: 2020-10-02 05:44 GMT

नई दिल्ली। किसी समस्या का जब सटीक समाधान नहीं मिल पाता, तब किसी अदृश्य शक्ति पर भरोसा करना ही पड़ता है। भारत जैसे आस्थावान देश में लाइलाज महामारी कोविड-19 को लेकर भी यही कहा जा सकता है कि अपने अपने आराध्य से इससे बचने के लिए प्रार्थना करें। इसके साथ ही हमें जीवन देने वाले ने जितनी मानसिक और शारीरिक क्षमता दी है, उसका भी उपयोग कोरोना संक्रमण से बचने के लिए करें। इस बीमारी को लेकर इतना घालमेल कर दिया गया है कि इंसानियत भी ठिठक कर खड़ी हो गयी। मेरे एक संबंधी की माताजी (95 वर्ष) का गत दिनों निधन हो गया। इस उम्र तक आते आते कयी बीमारियाँ घेर लेती हैं। उनके साथ भी यही हुआ। किडनी, लिवर और मस्तिष्क भी ठीक से काम नहीं कर रहे थे। घर पर यथासंभव सेवा हो रही थी। इसी बीच संबंधी की विवाहिता बहन ने सलाह दी कि इन्हें किसी डाक्टर को दिखाया जाए। पास ही शेखर हास्पिटल था। वहां ले गये तो सबसे पहले कोरोना की जांच करायी गयी। माता जी कोरोना पाजिटिव निकलीं। पता नहीं क्यों इसके बाद सरकारी अमला बहुत सक्रिय हो जाता है। माता जी को एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। दो दिन बाद उनकी मौत हो गयी। इकलौता बेटा घर पर सेवा कर रहा था, उसने सुबकते हुए कहा कि मम्मी तो अपने हाथ से खाना भी नहीं खा सकती थीं, अस्पताल में किसी ने उन्हे खाना खिलाया या नहीं। वे पछता रहे थे कि शेखर अस्पताल क्यों ले गये । लखनऊ के बैकुण्ठधाम स्थित विद्युत शव दाहगृह पर उनके साथ सिर्फ चार लोग मौजूद थे जबकि शहर में कथित शुभचिन्तक तो हैं ही, नाते-रिश्तेदारों की संख्या भी सौ से ऊपर है। शवदाह करने वाले ने शवदाह में सामान के ढाई हजार और मेहनताना के एक हजार रुपये मांगे। यह भी बताया कि फूल (अस्थियां) तभी ले जाना जब उन्हें विसर्जित करना हो। उसने कहा कोरोना के मरीज की अस्थियां घर पर रखी नहीं जातीं। यह सुनकर मन में सवाल आया कि क्या इतने उच्च ताप पर पार्थिव शरीर के जलने के बाद भी हड्डियों में कोरोना वायरस रहता है ? तब तो वो राख भी काफी संक्रमित रहती होगी। उसे नदी में विसर्जित करना क्या उचित है? ऐसे कितने ही सवाल हैं। अभी कुछ दिन पहले ही ब्रिटेन से खबर आयी थी कि चिकित्सकों ने जांच करने पर पाया कि मृत शरीर पर कोरोना के वायरस नहीं मिले। इस प्रकार के तथ्य जनता के सामने आने चाहिए। अनलॉक पीरियड में गतिविधियां बढ़ाने के साथ जानकारियां बढाना भी जरूरी है। आगे भगवान की मर्जी।

गृह मंत्रालय (एमएचए) की ओर से गत 30 सितम्बर को जारी किये गये नये दिशानिर्देशों में कंटेनमेंट जोन के बाहर के क्षेत्रों में और अधिक गतिविधियों की छूट दी गई है जो 1 अक्टूबर से लागू होने वाले अनलॉक में लागू हो गयी हैं। इस प्रकार गतिविधियों को चरणबद्ध तरीके से खोलने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है। गृह मंत्रालय ने अपनी विज्ञप्ति में कहा, आज जारी किए गए नए दिशानिर्देश, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से मिले फीडबैक और केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के बीच हुई लंबी-चौड़ी चर्चा पर आधारित हैं। नए दिशानिर्देशों के अनुसार कंटेनमेंट जोन के बाहर के क्षेत्रों में 15 अक्टूबर 2020 से कुछ नयी गतिविधियों की भी अनुमति दी गई है। सिनेमा, थिएटर , मल्टीप्लेक्स को उनकी बैठने की क्षमता के 50फीसद तक के लिए खोलने की अनुमति होगी, जिसके लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। बिजनेस टू बिजनेस (यानि बिजनेसों के लिए) प्रदर्शनियों को खोलने की अनुमति भी दी गई, जिसके लिए वाणिज्य विभाग एसओपी जारी करेगा। खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल किए जा रहे स्विमिंग पूलों को खोलने की अनुमति दी जाएगी, जिसके लिए मानक संचालन प्रक्रिया (स्टैन्डर्ड ऑपरेटिंग प्रासेस) युवा मामलों और खेल मंत्रालय की ओर से जारी की जाएगी।

मनोरंजन पार्क और इसी तरह के स्थानों को खोलने की अनुमति दी जाएगी, जिसके लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय एसओपी जारी करेगा। स्कूल, कॉलेज, शिक्षा संस्थान और कोचिंग संस्थान भी खोले जायेंगे।

स्कूलों और कोचिंग संस्थानों को फिर से खोलने के लिए, राज्य अथवा केन्द्रशासित प्रदेश सरकारों को 15 अक्टूबर, 2020 के बाद से इन्हें श्रेणीबद्ध तरीके से खोले जाने का निर्णय लेने की छूट दी गई है। स्थिति के आकलन के आधार पर संबंधित स्कूल अथवा संस्थान प्रबंधन से परामर्श करके निर्णय लिया जाएगा जो कुछ शर्तों के अधीन होगा- जैसे ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा शिक्षण का पसंदीदा तरीका बना रहेगा और इसे प्रोत्साहित किया जाएगा। जिन स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं दी जा रही हैं, उनमें अगर कुछ छात्र शारीरिक रूप से उपस्थित होने के बजाय ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेना पसंद करते हैं, उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जा सकती है। छात्र अभिभावकों की लिखित सहमति से ही स्कूलों अथवा संस्थानों में जा सकते हैं।

उपस्थिति को कड़ाई से लागू नहीं किया जाना चाहिए और पूरी तरह से माता-पिता की सहमति पर निर्भर रहा जाना चाहिए। सामाजिक, शैक्षणिक, खेल, मनोरंजन, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक कार्य और अन्य समारोहों को पहले से ही 100 व्यक्तियों की उच्चतम सीमा के साथ अनुमति दी जा चुकी हैं।

हालांकि यह केवल कंटेनमेंट जोन के बाहर के इलाकों के लिए है। अब राज्य अथवा केन्द्रशासित प्रदेश सरकारों को 15 अक्टूबर, 2020 के बाद से कंटेनमेंट जोन के बाहर, 100 व्यक्तियों की सीमा से परे ऐसी सभाओं की अनुमति दिए जा सकने की छूट दी गई है, इसमें भी कुछ शर्तों को मानना होगा जैसे कि बंद स्थानों में, अधिकतम 200 व्यक्तियों के साथ या हॉल की क्षमता के अधिकतम 50 फीसद के लिए अनुमति दी जाएगी। फेस मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना, थर्मल स्कैनिंग और हैंड वाश या सैनिटाइजर का उपयोग उनके लिए अनिवार्य होगा। खुले स्थानों में, जमीन के आकार अथवा स्थान को ध्यान में रखते हुए और सामाजिक दूरी के सख्ती से पालन के साथ, अनिवार्य रूप से फेस मास्क पहनना, थर्मल स्कैनिंग और हैंड वाश या सैनिटाइजर का प्रयोग अनिवार्य होगा। इसके साथ ही कंटेनमेंट जोन के बाहर नीचे दी गई गतिविधियों को छोड़कर, सभी गतिविधियों को करने की अनुमति होगी। गतिविधियों पर जहां रोक रहेगी, उनमें केन्द्रीय गृहमंत्रालय द्वारा अनुमति के अलावा यात्रियों द्वारा की जाने वाली अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा शामिल है। मनोरंजन पार्क और इसी तरह के अन्य स्थान बंद रहेंगे।

बहरहाल, 31 अक्टूबर, 2020 तक कंटेनमेंट जोन में लॉकडाउन को सख्ती से लागू किया जाएगा। कंटेनमेंट जोन की श्रृंखला को प्रभावी ढंग से तय दिशानिर्देशों को ध्यान में रखने के बाद जिला स्तर पर छोटे कंटेनमेंट जोन का सीमांकन किया जाएगा। इन कंटेनमेंट जोन में सख्त रोकथाम उपायों को लागू किया जाएगा और केवल आवश्यक गतिविधियों की ही अनुमति दी जाएगी। कंटेनमेंट जोन के भीतर सख्त नियंत्रण बनाए रखा जाएगा और केवल आवश्यक गतिविधियों की अनुमति दी जाएगी।यह कंटेनमेंट जोन, संबंधित जिला कलेक्टरों की वेबसाइट पर और राज्यों अथवा केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा अधिसूचित किए जाएंगे। इसके साथ ही कोरोना वायरस को लेकर सही तथ्य भी जनता को बताए जाने चाहिए। (हिफी)

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