फल व सब्जियां बन रहीं अतिरिक्त कमायी का जरिया
उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा में हुकुम सिंह ने पलायन को रोकने का प्रयास किया है और आसपास के लोगों को भी सब्जी उगाना सिखा दिया।
लखनऊ। हमारे स्वास्थ्य के लिए शाकाहारी भोजन सर्वोत्तम माना गया है क्योंकि यह एक तरफ सुपाच्य होता है तो दूसरी तरफ शरीर को भरपूर पोषण तत्व देता है। इसलिए इनका सेवन अब ज्यादातर लोग करने लगे हैं। खपत ज्यादा है तो इसके व्यवसाय की भी संभावना बढ़ी है और लोग फल व सब्जियों से अतिरिक्त कमायी भी कर रहे हैं।
हुकुम सिंह ने सब्जियां उगाकर रोका पलायन
उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा में हुकुम सिंह ने पलायन को रोकने का प्रयास किया है और आसपास के लोगों को भी सब्जी उगाना सिखा दिया। मजे की बात यह कि हुकुम सिंह अब अपने गांव में ही रहना चाहते हैं क्योंकि वे अब घर पर ही 25 हजार रूपय प्रतिमाह की कमायी कर रहे हैं। पहाड़ से पलायन एक बड़ी सफलता बन गयी है जो संभवतः हुकुम सिंह जैसे लोग ही समाप्त कर सकते हैं। हुकुम सिंह भी उत्तराखण्ड से पलायन कर दिल्ली में कमाने गये थे लेकिन 2016 में एक घटना ने उन्हें घर आने पर मजबूर किया। इसके बाद हुकुम सिंह ने गांव में सब्जी की खेती करने की योजना बनायी। सरकार से भी उनको मदद मिली।
कोरोना वायरस के कारण दूसरे प्रदेशों से वापस लौटे लोगों के सामने सबसे बड़ा संकट रोजगार है। सभी के मन में चिंता है कि यह सब कब तक चलेगा और क्या वह उत्तराखंड में कमा-खा सकेंगे या फिर उन्हें परदेस के धक्के खाने पड़ेंगे। ऐसे लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकते हैं धौलादेवी ब्लॉक के चमुवा के हुकुम सिंह। कभी दिल्ली में नौकरी करने वाले हुकुम सिंह ने गांव लौटकर सब्जी उत्पादन शुरु किया और जल्द ही उनकी लगन और मेहनत का परिणाम भी सामने आ गया। आज वह घर में ही 25000 रुपये महीने से ज्यादा की आमदनी कर रहे हैं और उन्हें आशा है कि यह बढ़ेगी ही. हां, अब हुकुम सिंह का पलायन का कोई इरादा नहीं है।
2016 में दिल्ली से लौटे हुकुम सिंह का कहना है कि वह गांव लौटे थे तो उन्होंने घर में स्वरोजगार करने की योजना बनाई थी. उनकी इस इच्छा को ग्राम्य परियोजना का सहारा मिल गया। इससे उन्हें पॉलीहाउस बनाने में मदद मिली और पहले ही सीजन में उन्होंने सब्जियों का अच्छा उत्पादन किया। पहले सीजन में उन्होंने 50000 रुपये से ज्यादा की सब्जियां बेचीं।
इसे देखते हुए उन्हें इसी परियोजना के तहत दूसरा पॉलीहाउस भी मिल गया। इसके बाद उन्होंने इन दोनों पॉलीहाउस के साथ ही बाहर की जमीन पर मौसमी सब्जियां उगाना शुरु कर दिया. अब एक सीजन में एक पॉलीहाउस से वह 60 हजार से अधिक की बेमौसमी सब्जी बेच देते हैं। इस बार टमाटर के रेट अच्छे मिलने से तो और भी अधिक मुनाफा होने की उम्मीद है।
(रामगोपाल वर्मा-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)