युवाओं को कुशल बनाना राष्‍ट्रीय अभियान होना चाहिए : उपराष्‍ट्रपति

उपराष्‍ट्रपति ने बेंगलुरू में ‘कौशल एवं उद्यमिता’ पर आयोजित राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन का उद्घाटन किया

Update: 2019-09-26 02:04 GMT
The Vice President, M. Venkaiah Naidu addressing the gathering at the International Conference on “India’s Changing Paradigm: Skills & Entrepreneurship for Global Competitiveness” & the 38th Edition of National Institute of Personnel Management, in Bengaluru, Karnataka on September 25, 2019. The Governor of Karnataka, Vajubhai Vala, the Chief Minister of Karnataka, B.S. Yediyurappa, the Union Minister for Chemicals and Fertilizers, D.V. Sadananda Gowda and other dignitaries are also seen.


एम. वेंकैया नायडू ने सभी हितधारकों से यह लक्ष्‍य पाने के मिशन से जुड़ने का अनुरोध किया

उपराष्‍ट्रपति ने डिजिटल खाई पाटने, महिला-पुरुष भेदभाव के साथ-साथ ज्ञान प्राप्ति में असमानता समाप्‍त करने की आवश्‍यकता पर बल दिया

एम. वेंकैया नायडू ने स्‍कूली शिक्षा के समय से ही उद्यमिता की भावना विकसित करने का आह्वान किया


बेंगलुरू उपराष्‍ट्रपति  एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि युवाओं को कुशल बनाए जाने को नि‍श्चित तौर पर राष्‍ट्रीय अभियान का रूप दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही उपराष्‍ट्रपति ने सभी हितधारकों से इस लक्ष्‍य की प्राप्ति के मिशन से जुड़ने का अनुरोध किया।




 


उपराष्‍ट्रपति ने आज बेंगलुरू में 'भारत के बदलते प्रतिमान: वैश्विक प्रतिस्‍पर्धी क्षमता के लिए कौशल एवं उद्यमिता' पर राष्‍ट्रीय कार्मिक प्रबंधन संस्‍थान (एनआईपीएम) 2019 सम्‍मेलन में अपने विचार रखते हुए इस ओर ध्‍यान दिलाया कि स्‍वचालन (ऑटोमेशन) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से उद्योग जगत की जरूरतें निश्चित तौर पर काफी हद तक पूरी होंगी।





 


उन्होंने कहा कि साक्षरता, कंप्यूटर, इंटरनेट और संचार कौशल जैसे मूलभूत कौशल की बुनियादी समझ बेहद प्रासंगिक है। विभिन्न क्षेत्रों की मांग को ध्यान में रखते हुए, भविष्य के लिए आवश्यक नवाचार और सीखने की प्रक्रिया, उच्च गुणवत्ता वाले कार्यबल की उपलब्धता सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

लोगों को कौशल और उद्यमिता प्रदान करने के तरीके में व्यापक बदलाव का आह्वान करते हुए, उन्होंने कहा कि कौशल और उद्यमिता क्षेत्र में भारत को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए 'स्केल', 'स्पीड' और 'क्वालिटी' जैसे पहलुओं पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।




 


स्कूली उम्र से ही उद्यमिता की भावना को विकसित करने के उद्देश्य से शैक्षणिक संस्थानों और शिक्षाविदों से आग्रह करते हुए, एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि "युवाओं को नौकरी चाहने वाले बनने के बजाय नौकरी निर्माता बनने के लिए सशक्त बनाएं"।

ज्ञान प्राप्ति में डिजिटल और लैंगिक भेदभाव और असमानताओं को दूर करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि ग्रामीण युवाओं को व्यावसायिक और तकनीकी कौशल प्रदान करने के लिए मजबूत नींव रखी जानी चाहिए। औपचारिक शिक्षा, ऑफ-द-जॉब और ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण के बीच एक अच्छा मेलजोल कायम करने की जरूरत है।




 


यह कहते हुए कि लगभग 54 प्रतिशत भारतीय जनसंख्या 25 वर्ष से कम और 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम है, उपराष्ट्रपति ने उन्हें नई तकनीक सीखने और बदलती तकनीकी आवश्यकताओं के अनुकूल बनाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु कदम उठाने का आह्वान किया।


एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि कौशल का अर्थ केवल दिए गए कार्य और निश्चित कार्य को सूक्ष्मता के साथ जानना नहीं है। यह नई चीजों को सीखने के बारे में व्यक्ति की दिलचस्पी और तैयारी है।

एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि उचित कौशल के साथ कार्य बल का सृजन रोजगार कम करने, आय बढ़ाने तथा जीवन के मानकों को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण है। यह केवल रोजगार की गांरटी नहीं देता, बल्कि लोगों विशेषकर महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास में सहायक होता है। उन्होंने स्टार्ट-अप जैसे विभिन्न कार्यक्रमों की क्षमताओं को यथार्थ में बदलने के लिए उद्योग, शैक्षणिक संस्थानों तथा व्यवसाय प्रशिक्षण केन्द्रों की सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने व्यवसाय जगत के नेताओं और मानव संसाधन क्षेत्र के नेताओं से प्रतिभा तैयार करने को कहा क्योंकि 21वीं सदी के टेक्नोलॉजी निर्भर रोजगार बाजार में कौशल ने पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया है।

एम. वेंकैया नायडू ने प्राइमरी स्कूल स्तर से उच्च शिक्षा स्तर तक समग्र रूप से शिक्षा प्रणाली को नया रूप देने का सुझाव दिया, जिसमें शिक्षा जगत और उद्योग के बीच आपसी सक्रियता हो। उन्होंने कहा कि कुशल कार्यबल तैयार करने के लिए व्यावसयिक प्रशिक्षण को बढ़ाना होगा।

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