लोकतंत्र के सजग प्रहरी हैं मंत्री संजीव बालियान-कपिलदेव, अपनी सरकार में स्वीकारा सच

शामली जनपद के चौसाना गांव में 4 हजार बीघा से ज्यादा सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे हटवाने को लेकर अपनी नौकरी, घर और परिवार को छोड़कर जनहित में 26 फरवरी 1996 से मुजफ्फरनगर डीएम कार्यालय पर धरनारत मास्टर विजय सिंह के जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, लेकिन 18 सितंबर 2019 को उनके साथ जो व्यवहार जिला प्रशासन का रहा, उसकी सोशल मीडिया से लेकर समाज के हर स्तर पर आलोचना हुई। उनको बिना बात सुने ही कचहरी से हटवा दिया गया।

Update: 2019-09-20 08:25 GMT

मुजफ्फरनगर। भू माफिया के कब्जे से चार हजार बीघा सार्वजनिक भूमि मुक्त कराने की मांग को लेकर साढ़े 23 वर्ष से कलक्ट्रेट में धरने पर बैठे मास्टर विजय सिंह को जबरन धरने से उठाने पर जिस प्रकार अपनी ही सरकार में आगे आकर जनभावना से जुड़ते हुए केंद्रीय पशुपालन, डेयरी विकास एवं मत्स्य पालन राज्य मंत्री संजीव बालियान और राज्य सरकार में व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने जिस प्रकार प्रतिक्रिया प्रस्तुत की, उसने उनको एक सच्चा लोक प्रतिनिधित्व के रूप पेश करने का काम किया। संजीव बालियान और कपिल देव सरकारी व्यस्तता खत्म होते ही जनपद में पहुंचकर सबसे पहले अहिंसात्मक सत्याग्रह करने वाले मास्टर विजय सिंह से मुलाकात की और इसमें उन्होंने खुद के स्तर से यह अहसास कराने में कोई हिचक नहीं की, कि उनकी सरकार में एक आंदोलनकारी के साथ व्यवहार अच्छा नहीं हुआ है। दोनों मंत्रियों के इस व्यवहार की आज सर्वत्र सराहना हो रही है। इससे यह संदेश भी गया कि मंत्री संजीव बालियान और मंत्री कपिल देव अग्रवाल लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी बने हैं।




 



बता दें कि शामली जनपद के चौसाना गांव में 4 हजार बीघा से ज्यादा सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे हटवाने को लेकर अपनी नौकरी, घर और परिवार को छोड़कर जनहित में 26 फरवरी 1996 से मुजफ्फरनगर डीएम कार्यालय पर धरनारत मास्टर विजय सिंह के जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, लेकिन 18 सितंबर 2019 को उनके साथ जो व्यवहार जिला प्रशासन का रहा, उसकी सोशल मीडिया से लेकर समाज के हर स्तर पर आलोचना हुई। उनको बिना बात सुने ही कचहरी से हटवा दिया गया। मास्टर विजय सिंह ने पुलिस फोर्स को देखते हुए अपने धरने को कलक्ट्रेट से समाप्त कर दिया था और अपने संघर्ष को जारी रखने की घोषणा करते हुए शिवचौक के निकट बुधवार सायं से ही अपना डेरा जमा लिया था। उनकी देर सायं शहर सीट से सांसद और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान से बात हुई। इससे उनमें एक विश्वास जगा, संजीव बालियान ने दिल्ली से ही इस प्रकरण की निंदा की और प्रशासन के व्यवहार को गलत बताया। 19 सितंबर को जब दोपहर बाद दिल्ली से संजीव बालियान अपने गृह जनपद में लौटे तो वह सीधे शिवचौक पहुंचे। यहां धरने पर बैठे मास्टर विजय सिंह से मिलकर प्रशासनिक अधिकारियों के व्यवहार पर खेद जताया। संजीव बालियान ने मास्टर विजय सिंह से आकर मिलने का वादा किया था। मास्टर विजय सिंह ने अपना धरना शहर डाकखाने के सामने से उठाकर गोल मार्किट में रख दिया था। यहीं पर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान उनसे मिले। डा. संजीव बालियान ने विजय सिंह के साथ उनके धरने पर बैठकर करीब बीस मिनट तक उनकी बात सुनी। मास्टर विजय सिंह ने प्रशासन के व्यवहार के बारे में उन्हें बताया। इसके बाद केंद्रीय मंत्री ने मास्टर विजय सिंह से उनकी मांगों के बारे में विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने मास्टर विजय सिंह को आश्वस्त किया कि वह प्रदेश सरकार को उनकी मांगों के संबंध में खुद पत्र लिखेंगे और जो भी संभव कार्रवाई होगी वह कराएंगे। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने खड़े होकर मास्टर विजय सिंह को गले लगाया, उनके साथ उनके धरने पर बैठे, जमीन पर उनके सामने सिर झुकाकर उनकी बातों को सुना और खुद को एक उनके सामने पेश करते हुए हाथ जोड़कर सेवा के लिए प्रस्तुत भी किया। उन्होंने अपनी ही पार्टी की सरकार में निःसंकोच कहा कि उनकी पार्टी की सरकार में जो व्यवहार उनके साथ प्रशासन ने किया है वह इस पर खेद व्यक्त करते हैं। मास्टर विजय सिंह ने केंद्रीय मंत्री का साथ मिलने पर एक नये आत्मविश्वास के साथ कहा कि उनका संघर्ष जारी रहेगा।




 





इससे भी बढ़कर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के लोकतांत्रिक मूल्यों को तरजीह देने की तस्वीर उस समय सामने आयी, जबकि राज्य सरकार के 30 माह के कार्यकाल के पूर्ण होने पर जिले के प्रभारी मंत्री चेतन चौहान (मंत्री, होमगार्डस, सैनिक कल्याण, नागरिक सुरक्षा एवं प्रांतीय रक्षक दल विभाग उ.प्र.) कलेक्ट्रेट में डीएम और एसएसपी के साथ प्रेस वार्ता को सम्बोधित कर रहे थे। दरअसल मंत्री संजीव बालियान शिवचौक पर मास्टर विजय सिंह से मुलाकात करने के बाद वहां से सीधे कलक्ट्रेट सभाकक्ष में पहुंचे। मंत्री चेतन चौहान के साथ पत्रकार वार्ता में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने पूरी दृढ़ता के साथ मास्टर विजय सिंह के साथ हुए व्यवहार को लेकर प्रशासन की गलती को सामने रखा। यहां जब प्रभारी मंत्री से करीब 24 साल से धरना दे रहे मास्टर विजय सिंह को कलक्ट्रेट से जबरन हटाने पर सवाल किया गया तो प्रभारी मंत्री चेतन चौहान ने कहा कि धरने के नाम पर कोई भी सरकारी भूमि पर स्थाई तौर पर कब्जा नहीं कर सकता। उनके इस बयान को काटते हुए केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने उनके हाथ से माइक लेकर कहा कि मंत्री जी आपको जिसने यह बताया, उसने गुमराह किया है। उन्होंने मास्टर विजय सिंह को कलक्ट्रेट से जबरन हटाए जाने पर सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई और कहा कि प्रशासन मास्टर विजय सिंह को जो कांशीराम आवास देने की बात कह रहा है, वह पहले मास्टर विजय सिंह की आर्थिक स्थिति को देखे। उनका परिवार अच्छा है, मास्टर विजय सिंह ने हमेशा कानून का पालन किया है, कभी कानून नहीं तोड़ा, तो उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जाना किसी भी सूरत में सही नहीं है, उन्हें कांशीराम आवास की जरूरत नही हैं। उन्होंने इस प्रकरण पर अपने व्यक्तिगत दुख को भी सामने रखा। संजीव बालियान ने कहा कि जब शामली जिला नहीं बना था, उससे भी कई वर्ष पूर्व से मास्टर विजय सिंह धरना दे रहे हैं। इसी दौरान विधायक उमेश मलिक ने प्रशासन का पक्ष लेते हुए यह कहने का प्रयास किया कि मास्टर विजय सिंह की जो मांग है, वह शामली से संबंधित हैं तो केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने विधायक को चुप कर दिया। जब जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे. ने कुछ कहना चाहा तो केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि मास्टर विजय सिंह की मांग पूरी करना आपके हाथ में नही हैं, लेकिन हमें इस बात का दुख है कि मास्टर विजय सिंह के साथ व्यवहार मानवीय दृष्टिकोण वाला नहीं था।





उनसे बात की जानी चाहिए थी। तब उनको ससम्मान वहां से हटाया जाता तो गलत नहीं था। आज भी वह कानून के पक्षकार बने हैं, उन्होंने कलेक्ट्रेट आने से इंकार किया है। संजीव बालियान के द्वारा मजबूती से मास्टर विजय सिंह का पक्ष रखने का ही यह असर रहा कि प्रभारी मंत्री चेतन चौहान ने भी अपने शब्द वापस लिये और उन्होंने डीएम सेल्वा कुमारी को निर्देश दिये कि वह मास्टर विजय सिंह से बात करें। उन्होंने भरोसा दिया कि वह खुद शामली जिलाधिकारी से बात करेंगे, राजस्व परिषद में भी वह पत्राचार करते हुए उनकी मांग पर कार्रवाई कराने का प्रयास करेंगे।




 






यह तो रहीं केन्द्र सरकार के मंत्री संजीव बालियान की बात, इसके बाद जब बिजनौर जनपद में प्रभारी मंत्री होने के नाते सरकार के ढाई साल के कार्यकाल पर निर्धारित कार्यक्रम समाप्त करने के बाद योगी सरकार के राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल जिला मुख्यालय पहुंचे तो वह रात्रि में ही शिवचौक जाकर मास्टर विजय सिंह से मिलें। तुलसी पार्क में काफी देर तक उन्होंने आंदोलनकारी विजय सिंह से उनकी बात सुनी। कपिल देव ने भी प्रशासन के व्यवहार को लेकर खेद जताया और हाथ जोड़कर मास्टर विजय के सामने खुद को प्रस्तुत करते हुए वादा किया कि वह राज्य सरकार के स्तर पर इस प्रकरण में कार्रवाई कराने का भरसक प्रयास करेंगे। उनकी लड़ाई को राजनीतिक स्तर पर आगे बढ़ाया जायेगा।



आईएएस राजीव शर्मा ने मास्टर विजय की विदाई को बताया-मोस्ट अनफाॅरच्यूनेट इवेंट.....!



4 हजार बीघा भूमि से अवैध कब्जे हटवाने के लिए एक आंदोलन को अपने जीवन के 24 साल देने वाले मास्टर विजय सिंह की कलेक्ट्रेट परिसर से इस तरह से विदाई के लिए किसी ने भी कल्पना नहीं की थी। संघर्ष के इन 24 सालों में मास्टर विजय सिंह ने बहुत कुछ खोया है। अपने दो बेटियों के हाथ पीले करने के लिए उनको अपना पुस्तैनी मकान बेचना पड़ा। नौकरी छोड़ी, घर और परिवार को भी छोड़कर कलेक्ट्रेट में एक बरामदे को घर बना लिया। उनको कलेक्ट्रेट से हटाने के बाद सोशल मीडिया पर हजारों प्रतिक्रिया आयी हैं। इनमें सबसे बड़ी प्रतिक्रिया आईएएस अधिकारी राजीव शर्मा की तरफ से आयी। राजीव शर्मा करीब एक साल तक मुजफ्फरनगर जनपद में जिलाधिकारी रहे। उन्होंने मास्टर विजय सिंह और उनके आंदोलन को करीब से जाना है। उन्होंने कभी भी इस आंदोलनकारी को यहां से उठाने का प्रयास किया। उन्होंने मास्टर विजय सिंह को कलेक्ट्रेट से जबरन उठा देने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे ---मोस्ट अनफाॅरच्यूनेट इवेंट--- बताया। इसके साथ ही राजनीतिक संगठनों, समाजसेवियों और आम जनमानस की ओर से भी इस पर गंभीर प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

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