पंजाब में आम आदमी पार्टी की हवा निकलती जा रही है

अरविंद केजरीवाल द्वारा खिसकते जनाधार को बचाने को लेकर की गई तमाम कोशिशें भी रंग नहीं ला सकीं।

Update: 2018-02-15 13:20 GMT
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री जहां पंजाब में सरकार बनाना चाहते थे लेकिन पंजाब में आम आदमी पार्टी की हवा लगातार निकलती जा रही है। सर्द हवाओं से ठिठुर रहे पंजाब में नगर निगम चुनाव हारने के बाद आप ठिठुर सी गई है। आलम यह है कि दो महीने बाद भी नए प्रभारी व दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने अभी तक आधिकारिक तौर पर पंजाब का एक भी दौरा कर पार्टी को सियासी गर्मी देने की कोशिश नहीं की है।
हालत ये है कि प्रदेश प्रधान भगवंत मान ने प्रधानगी का ताज पहनने के बाद से ही पहले खुद को पार्टी की तमाम गतिविधियों से दूर कर लिया है। नतीजतन, अगले लोकसभा चुनाव में भी पार्टी की हवा अभी से निकलती दिखाई देने लगी है। विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने तमाम विरोध के बाद भी पंजाब की सियासत में सत्ता पलट करने की भरसक कोशिशें की थीं। लोगों का अच्छा समर्थन पार्टी को विधानसभा चुनाव से दो सप्ताह पहले तक मिला था। इसके बाद अचानक से कट्टरपंथियों के समर्थन को लेकर खुली पार्टी की पोल के बाद पंजाब के लाखों मतदाताओं ने आप से दूरी बनानी शुरू कर दी थी।
इसके बाद अरविंद केजरीवाल द्वारा खिसकते जनाधार को बचाने को लेकर की गई तमाम कोशिशें भी रंग नहीं ला सकीं। विधानसभा चुनाव में 80 सीटों का सपना देखने वाली आप सूबे में 20 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष एडवोकेट एचएस फूलका के इस्तीफे और संजय सिंह की प्रभारी पद से छुट्टी के बाद भगवंत मान के हाथों में आई प्रदेश की कमान ने आप का और बंटाधार कर दिया। पार्टी की लगभग गतिविधियां और बयानबाजी की सियासत सुखपाल सिंह खैहरा के कंधों पर आ गयीं। 

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