संजय लीला भंसाली की पद्मावत पर सरकार की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार कानून-व्यवस्था को बनाये रखने के लिए जिम्मेदार है और पद्मावत फिल्म दिखाने वाले सिनेमाघरों को सुरक्षा मुहैया करानी पड़ेगी
नई दिल्ली : देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म पद्मावत की रिलीज के खिलाफ मध्यप्रदेश, राजस्थान और करणीसेना की याचिका को खारिज कर दिया है। इस मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी खुलकर कहा था कि राज्य में पद्मावती फिल्म का प्रदर्शन नहीं होंने देंगे। उस समय इस फिल्म का नाम पद्मावती था लेकिन सेंसरबोर्ड की आपत्ति और चारो तरफ विरोध के चलते फिल्म के निर्माता संजय लीला भंसाली ने फिल्म का नाम पद्मावत कर दिया और कुछ बदलाव भी कर दिये थे। इसके बाद ही सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट मिल गया लेकिन इन दोनों राज्यों की सरकार इसके बाद भी फिल्म के प्रदर्शन का विरोध कर रही थी।
राजपूतों की करणीसेना का विरोध दोनों राज्यों में इसी साल होने वाले विधान सभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा था लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फिल्म की रिलीज पर सुरक्षा मुहैया करायी जाए। कुछ संगठनों की धमकी पर कोर्ट सुनवाई नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा को भी फटकार लगायी है।
मध्य प्रदेश सरकार ने कहा था कि अगर कानून व्यवस्था की समस्या आती है तो राज्य सरकार को फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने का अधिकार दिया जाए क्योंकि फिल्म से शांति भंग होने की आशंका है। पहले ही इस संबंध में स्कूल और सिनेमाघर में हिंसा की दो घटनाएं हो चुकी है। मध्य प्रदेश सरकार ने कहा था कि राज्यों को कानून के तहत ये अधिकार है कि वो ऐसे हालात में फिल्म पर बैन लगा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार कानून-व्यवस्था को बनाये रखने के लिए जिम्मेदार है और पद्मावत फिल्म दिखाने वाले सिनेमाघरों को सुरक्षा मुहैया करानी पड़ेगी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र कहते हैं कि जब बैंडिट क्वीन रिलीज हो सकती है तो ये फिल्म क्यों नहीं दिखाई जा सकती। उन्होंने कहा कि जब संसद ने कानूनी तौर पर सेंसर बोर्ड को यह जिम्मेदारी दी है और बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेंट दिया है तो कानून व्यवस्था का हवाला देकर राज्य कैसे फिल्म पर बैन लगा सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि कानून-व्यवस्था को बनाये रखने की जिम्मेदारी राज्यों की है।
अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने समस्या तो खड़ी ही हो गयी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करवाना उनका संवैधानिक दायित्व है। दूसरी तरफ जिस करणी सेना के साथ वह कल तक खड़े थे, उसके सदस्य भोपाल में कचहरी में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करना भी चौहान नहीं चाहते हैं। इससे विपक्षी दलों को सरकार की आलोचना करने का अवसर मिलेगा। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी पद्मावती का विरोध किया था लेकिन उसने कोई कानूनी लड़ाई नहीं लड़ी थी। अब कांग्रेस शिवराज सिंह चौहान की सरकार को कानून व्यवस्था के मामले पर घेर रही है।