मनोभूमि को उर्वर बनाते प्रश्न :हृदयनारायण दीक्षित

भारत की प्रश्नाकुलता सहस्त्रों बरस पुरानी है। उत्तरवैदिक काल प्रश्नाकुल अग्निधर्मा है। उपनिषदों में गुरूकुल आश्रमों की चर्चा है। कह सकते हैं कि इन आश्रमों में प्रश्नों की खेती होती थी। वृहदारण्यक उपनिषद् के अनुसार गार्गी के प्रश्न से याज्ञवल्क्य भी तमतमा गए थे कि गार्गी ब्रह्म का कारण नहीं पूछते। यह अति प्रश्न है। भारत में प्रश्न थे, प्रति प्रश्न थे, अनुपूरक प्रश्न थे और अतिप्रश्न भी। कश्मीर आश्रम के पिप्पलाद महान तत्ववेत्ता थे।

Update: 2018-01-21 06:46 GMT
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