बाबुल की दुआएं... गाते समय रो पड़े थे मोहम्मद रफी
बॉलीवुड के कई ऐसे गाने हैं, जो शादी की रस्मों में जरूरी बन चुके हैं। उनके बिना शादियां पूरी हो ही नहीं सकतीं।
मुंबई। शादी के मौकों पर गीतों का अपना महत्व होता है। बॉलीवुड के कई ऐसे गाने हैं, जो शादी की रस्मों में जरूरी बन चुके हैं। उनके बिना शादियां पूरी हो ही नहीं सकतीं।
ऐसा ही एक गीत नील कमल फिल्म का भी है। 1968 में रिलीज हुई इस रोमांटिक थ्रिलर को दर्शकों का भरपूर प्यार मिला था। इसका संगीत और कहानी दोनों ही अलग थे। लेकिन इस फिल्म का एक गाना आज 54 साल बाद भी हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बना हुआ है। यह गीत है 'बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझे सुखी संसार मिलेयह वो गीत है जो बेटी की विदाई पर अकसर शादियों में सुना जा सकता है। इस गाने से जुड़ा एक दिलचस्प वाकया भी है। बताया जाता है कि इस इमोशनल गीत को गाते समय मोहम्मद रफी अपने इमोशंस पर काबू नहीं रख सके थे। उन्होंने जैसे ही गीत को गाना शुरू किया वह भावनाओं के भंवर में फंसते चले गए। वह गाते जा रहे थे और उनका गला भरता जा रहा था। इस गाने का अंत होते-होते वह रोने लगे थे। न सिर्फ मोहम्मद रफी की आंखें इस गाने को गाते समय नम हो गईं बल्कि यह फिल्म जब रिलीज हुई थी इसने हर उस पिता की आंखों को नम कर दिया, जिसने अपनी बेटी की डोली खुद अपने हाथों से विदा की। बेटी के विदाई के इस सीन को बलराज साहनी ने अपनी अदाकारी के जादू से जिंदा कर दिया था। वहीदा रहमान की भी कमाल की एक्टिंग थी तभी तो उन्हें उस साल के बेस्ट एक्ट्रेस के फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया था। (हिफी)