कोविड टीके के दान-बिक्री पर हाईकोर्ट हुआ सख्त

दिल्ली हाईकोर्ट ने कोवाशील्ड और कोवैक्सीन टीके को लेकर अपनी निर्माण क्षमता का खुलासा करने का निर्देश दिया है।

Update: 2021-03-04 13:52 GMT

नई दिल्ली। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया व भारत बाॅयोटेक को दिल्ली हाईकोर्ट ने कोवाशील्ड और कोवैक्सीन टीके को लेकर अपनी निर्माण क्षमता का खुलासा करने का निर्देश दिया है। कोविड-19 का टीका बाहर भेजे जाने पर भी कोर्ट ने अपनी सख्त टिप्पणी की है।

बृहस्पतिवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए कोवाशील्ड और कोवैक्सीन टीके का निर्माण करने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया व भारत बाॅयोटेक को अपनी निर्माण क्षमता का खुलासा करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने इसके साथ ही कोविड-19 टीका बाहर भेजे जाने पर भी अपनी सख्त टिप्पणी की है। उच्च न्यायालय ने कहा है कि कोविड-19 के टीके दान में दिए जा रहे हैं और अन्य देशों को बेचे जा रहे हैं। जबकि अपने लोगों का टीकाकरण नहीं किया जा रहा है। इसमें अत्यावश्यकता की भावना अपेक्षित है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से फिलहाल कोविड-19 टीकाकरण के लिए व्यक्तियों के वर्गीकरण पर सख्त नियंत्रण रखने के तर्क के बारे में भी जानकारी मांगी है। इतना ही नहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से भी कहा है कि वह अदालत परिसरों में चिकित्सा केंद्रों का निरीक्षण करें और बताएं कि क्या वहां पर कोविड-19 टीकाकरण केंद्र स्थापित करने की संभावनाएं है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने चरणबद्ध तरीके से टीकाकरण को मंजूरी दी है। इसके तहत पहले चरण में चिकित्सा कर्मियों तथा अग्रिम मोर्चे के कर्मियों का टीकाकरण किया गया है। मौजूदा समय में अब दूसरे चरण में 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है। इसके अलावा 45 वर्ष से 60 साल की आयु वर्ग के उन लोगों को टीका लगाया जा रहा है जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी नहीं है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बाॅयोटेक के पास अधिक मात्रा में टीका उपलब्ध कराने की क्षमता है। लेकिन ऐसा लगता है कि वे इसका पूरा फायदा नहीं उठा रहे हैं। पीठ ने कहा है कि हम इसका पूरी तरह से उपयोग नहीं कर रहे हैं। हम या तो इसे अन्य देशों को दान कर रहे हैं या उन्हें बेच रहे हैं और अपने लोगों को टीका नहीं दे रहे हैं। इस मामले में जिम्मेदारी और तात्कालिकता की भावना होनी चाहिए। न्यायालय ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वह न्यायालय परिसरों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं का निरीक्षण करें और बताएं कि क्या इन सुविधाओं में कोविड-19 टीकाकरण केंद्र स्थापित किए जा सकते हैं।

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