ऊर्जा में पावर लेस से सरप्लस पावर स्टेट बना यूपी - मंत्री श्रीकांत

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि पहले जरूरत की बिजली के लिये भी तरसना पड़ता था आज प्रदेश की पहचान सरप्लस पावर स्टेट के तौर पर बनी है

Update: 2021-03-19 14:49 GMT

लखनऊ।  उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने कहा कि पिछली सरकारों में जरूरत की बिजली के लिये भी राज्य को तरसना पड़ता था जबकि आज प्रदेश की पहचान सरप्लस पावर स्टेट के तौर पर बन चुकी है।

ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि चार वर्षों में सरकार में 1.30 लाख मजरों के 1.38 करोड़ घरों का अंधियारा दूर किया है वहीं गांवों में निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कराकर पलायन को भी रोका है। गांवों को पिछली सरकारों की तुलना में 54 फीसदी ज्यादा बिजली मिल रही है। जिला मुख्यालय को 24, तहसील मुख्यालय को 20 और गांवों को 18 घंटे बिजली का रोस्टर लागू है। किसानों को भी सिंचाई के लिए रतजगाई नहीं करनी पड़ती। अलग हुए कृषि फीडरों पर सुबह सात से शाम को पांच बजे तक निर्बाध 10 घंटे की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।

उन्होने कहा " पिछले वर्षों तक जहां हम प्रदेश के हर घर को बिजली पहुंचाने के लक्ष्य पूरा कर पाने में सफल रहे हैं अब हर घर को 24 घंटे बिजली मिले इस संकल्प को चरित्रार्थ करने का अभियान हमने लिया है। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि जिन भी फीडरों का लाइन लॉस 15 प्रतिशत से कम होगा वहां 24 घंटे बिजली दी जाएगी। साथ ही वहां ट्रांसफार्मरों की क्षमता बढ़ाने के साथ ही जर्जर तार भी प्राथमिकता में बदले जाएंगे। "

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि जहां पूर्ववर्ती सपा सरकार ने 5.14 रूपये 11.09 रूपये की दर से दीर्घकालिक पीपीए किये और जनता पर मंहगी बिजली थोपी। वहीं भाजपा सरकार ने सस्ती बिजली के अभियान के तहत 2.98 रूपये से 4.19 रूपये की दर से पीपीए किये। लाइन हानियाँ कम करके हम सस्ती बिजली की उपलब्धता के अन्य विकल्पों पर काम कर रहे हैं।

उन्होने कहा कि किसानों के हित में हमने डार्क जोन के नाम पर ट्यूबवेल कनेक्शन रोके जाने की पूर्ववर्ती सरकार के किसान विरोधी आदेश को रद्द किया। प्रतिवर्ष 45,592 के औसत से सिंचाई हेतु किसानों को नलकूप कनेक्शन दिए गए। तीन साल में हमारी सरकार में 1,36,775 नए नलकूप कनेक्शन दिए। सपा सरकार के कार्यकाल में 2012-17 के बीच प्रतिवर्ष केवल 19880 नलकूप कनेक्शन ही दिए जा रहे थे।

प्रदेश को निर्बाध व ट्रिपिंग फ्री विद्युत आपूर्ति के लिए 662 नए 33/11 उपकेंद्र बनाये हैं। 1234 उपकेंद्रों की क्षमता बढ़ाई गई है। अब तक कुल 11983 सर्किट किमी वितरण लाइनों का निर्माण किया गया है। अप्रैल 2017 से अबतक कुल 8.30 लाख शिकायतें ट्रांसफार्मरों के खराब होने की मिली हैं। इनमें कुल 99.94 प्रतिशत ट्रांसफार्मर तय समय में बदले जा चुके हैं। इस अवधि में 1912 टॉल फ्री नंबर पर आई कुल 14.19 लाख शिकायतों में 14.13 लाख यानि कुल 99.59 फीसदी शिकायतों का समाधान तय समय पर हुआ है।

ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने कहा कि प्रदेश की ट्रांसमिशन क्षमता वर्ष 2016-17 के 16,348 मेगावाट से 9000 मेगावाट बढ़कर अब 25,000 मेगावाट हो चुकी है। वर्ष 2025 तक प्रदेश में यह क्षमता 32,400 मेगावाट होगी। आयात क्षमता भी वर्ष 2016-17 के 7800 मेगावाट के मुकाबले 6800 मेगावाट बढ़कर अब 14,600 मेगावाट हो गई है।

उन्होने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार में पीक डिमांड के सापेक्ष आपूर्ति 15 हजार मेगावाट के आसपास ही रही। सरकार के दूरदर्शी प्रयासों से हमने पिछले साल 23,867 मेगावाट तक मांग की आपूर्ति की।बेहतर विद्युत व्यवस्था के लिए हमने 4 साल में 10844.39 करोड़ रुपये की लागत से 101 ट्रांसमिशन उपकेंद्र चालू किये। साल 2025 तक 198 और नए पारेषण उपकेंद्र बन जाएंगे। सरकार बनने से अबतक 45 हजार 85 सर्किट किमी पारेषण लाइन भी बनाई गई है।

आज प्रदेश में सभी विधाओं की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 26,937 मेगावाट है। 2024 तक इसमें 8262 मेगावाट की वृद्धि होगी। वर्ष 2022 तक ऊर्जा विभाग के राज्य तापीय विद्युतगृहों का उत्पादन 7,260 मेगावाट बढ़कर 12734 मेगावॉट हो जाएगा और 34,500 मेगावाट बिजली की उपलब्धता रहेगी।

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