बोले CM- किसान आंदोलन के बीच पंचायत चुनाव नहीं कराएगी सरकार

कृषि कानूनों के खिलाफ चलाये जा रहे आंदोलन की वजह से बने वातावरण में सुधार होने के बाद ही चुनाव कराने का निर्णय लिया जाएगा।

Update: 2021-03-03 13:40 GMT

चंडीगढ। नये कृषि कानूनों के खिलाफ चलाये जा रहे आंदोलन की वजह से बने वातावरण में सुधार होने के बाद ही चुनाव कराने का निर्णय लिया जाएगा।  

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि पंचायत चुनाव के लिए राज्य में अभी वातावरण ठीक नहीं है। दबाव का विषय चला होने से लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन होता है। राज्य में जैसे ही वातावरण ठीक होगा, तुरंत ही चुनाव करा दिये जायेंगे। सीएम ने कहा कि हालांकि राज्य में पंचायतों का कार्यकाल बीती 23 फरवरी को समाप्त हो चुका है। जिसके चलते पंचायतों में प्रशासक की नियुक्ति की जा चुकी हैं। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों में कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। सरकार चुनावों के लिए हर समय तैयार है और नई पंचायतों का गठन भी किया जा चुका है।

ग्राम्य विकास एवं पंचायत विभाग के अनुसार अधिकतर पंचायतों ने प्रशासकों को रिकॉर्ड सौंप दिया है। लेकिन अभी भी कुछ ग्र्राम पंचायतें रिकॉर्ड देने में आनाकानी कर रही हैं, अगर पंचायतों ने सरकार को रिकॉर्ड नहीं सौंपा और जांच में गड़बड़ी पाई गई तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर ने कहा कि विपक्ष किसानों के नाम पर अपनी राजनीति चमकाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने दो टूक कहा कि राजनीतिक दल किसानों के नाम से अपनी राजनीति ना चमकाए। मुख्यमंत्री ने सलाह दी कि किसान भी राजनीतिक दलों के बहकावे में आकर आंदोलन न करें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों का हित चाहती है और इसी वजह से सरकार उनकी आय को दोगुना करने में लगी है।

उन्होंने कहा कि रास्ता रोककर सड़क पर धरना देना उचित नहीं, सभी को सोचना चाहिए कि जनता को परेशानी नहीं होनी चाहिए। वर्तमान में चल रहे किसानों के आंदोलन से जनता के अधिकारों का हनन हो रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायत के नाम पर ऐसे फरमान जारी नहीं करने चाहिए जिनसे किसानों का नुकसान हो। फसल उजाड़ना व दूध के दाम 100 रुपये करना जैसे फरमान पूरी तरह से अनुचित है।

उन्होंने कहा कि किसानों को इतना नही बहकाया जाना चाहिए जिससे कि आर्थिक तौर पर उनका नुकसान हो। फसल अच्छी होगी तो किसान को ही फायदा होगा और उपभोक्ताओं को अच्छा व उचित मूल्य पर खाद्यान्न मिलेगा। किसानों को अपना दूध जिस दाम पर बेचना है बेचें लेकिन उसे व्यर्थ न करें। पहले भी महंगे दामों पर दूध बेचने के मामले हो चुके हैं। गलत फरमान जारी करने से समाज में अच्छा संदेश नहीं जाता।

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