आजादी के अमृत' महोत्सव पर विशेष- हर घर तिरंगा ने दिये कई संदेश

तिरंगे के साथ हमारे व्यक्तिगत संबंध का प्रतीक रहा बल्कि यह राष्ट्र निर्माण में हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता दिखा।

Update: 2022-09-24 21:45 GMT

नई दिल्ली। राष्ट्रीय झंडे के साथ हमारा संबंध सदैव व्यक्तिगत की बजाए औपचारिक और संस्थागत रूप में अधिक रहा है। स्कूलों में झंडा रोहण के बाद राष्ट्रगान और लड्डू खाने तक ही स्वाधीनता दिवस सम्पन्न हो जाता था। कार्यालयों में भी रस्म अदायगी हो जाती थी। कमोवेश ऐसे ही हालात अब तक थे लेकिन आजादी के 75वें वर्ष के दौरान एक राष्ट्र के रूप में झंडे को सामूहिक रूप से घर पर लाना न केवल तिरंगे के साथ हमारे व्यक्तिगत संबंध का प्रतीक रहा बल्कि यह राष्ट्र निर्माण में हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता दिखा।

'हर घर तिरंगा' भारत की आजादी के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में लोगों को अपने घर पर तिरंगा झंडा फहराने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 'आजादी के अमृत' महोत्सव के तत्वावधान में चलाया गया एक अभियान था लेकिन इस अभियान ने कई सकारात्मक संदेश दिये। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संभवतः यही मकसद भी था। राष्ट्रीय झंडे के साथ हमारा संबंध सदैव व्यक्तिगत की बजाए औपचारिक और संस्थागत रूप में अधिक रहा है। स्कूलों में झंडा रोहण के बाद राष्ट्रगान और लड्डू खाने तक ही स्वाधीनता दिवस सम्पन्न हो जाता था। कार्यालयों में भी रस्म अदायगी हो जाती थी। कमोवेश ऐसे ही हालात अब तक थे। लेकिन आजादी के 75वें वर्ष के दौरान एक राष्ट्र के रूप में झंडे को सामूहिक रूप से घर पर लाना न केवल तिरंगे के साथ हमारे व्यक्तिगत संबंध का प्रतीक रहा बल्कि यह राष्ट्र निर्माण में हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता दिखा। यह पहल लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जागृत करने और भारत के राष्ट्रीय झंडे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी। तिरंगे को लेकर इस तरह का उत्साह हमने तो पहली बार ही देखा। देश को जब 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी। उस समय का उत्साह तो अवर्णनीय तो रहा ही होगा। मुझे उस उल्लास और उत्सव को देखने का सौभाग्य नहीं मिला क्योंकि मेरा जन्म इसके बाद हुआ था। लेकिन सन 2022 में स्वाधीनता की हीरक जयंती मनाते हुए 13 अगस्त से ही गली गली तिरंगा यात्रा जिस तरह से निकल रही थीं और तिरंगे के साथ लोग अपनी सेल्फी मोबाइल पर भेज रहे थे उससे पूरा देश तिरंगामय हो गया था। स्वतंत्रता दिवस इस बार आजादी से पूर्व का गणेश उत्सव हो गया था। लोगों को एकजुट करने का माध्यम बन गया है। रास्ट्रीय ध्वज और उससे जुड़ी कई बातों की जानकारी भी लोगों को मिली हैं।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है तथा राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सार्वभौमिक स्नेह, सम्मान तथा निष्ठा है। यह भारत के लोगों की भावनाओं और मानस में एक अद्वितीय और विशेष स्थान रखता है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का फहराना, उपयोग, प्रदर्शन राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 द्वारा शासित होता है। भारतीय ध्वज संहिता, 2002 की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं।

भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को 30 दिसंबर 2021 के आदेश के अंतर्गत संशोधित किया गया था और पॉलिएस्टर या मशीन निर्मित ध्वज से बने राष्ट्रीय ध्वज को अनुमति दी गई है। अब हाथ से काते, हाथ से बुने अथवा मशीन से बने हुए राष्ट्रीय ध्वज कपास, पॉलिस्टर, ऊन, रेशम, खादी के होंगे।

कोई भी सार्वजनिक अथवा निजी संस्था अथवा शैक्षिक संस्थान का सदस्य सभी दिनों, अवसरों, औपचारिक अथवा अन्य अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान के अनुरूप उसे फहरा सकता है। भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को दिनांक 19 जुलाई 2022 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया था। भारतीय ध्वज संहिता को इस प्रकार प्रतिस्थापित किया गया था जहाँ ध्वज खुले में प्रदर्शित किया जाता है या जनता के किसी सदस्य के घर पर प्रदर्शित किया जाता है, उसे दिन-रात फहराया जा सकता है। राष्ट्रीय ध्वज आकार में आयताकार होगा। ध्वज किसी भी आकार का हो सकता है लेकिन ध्वज की लंबाई और ऊँचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3 अनुपात 2 होगा।

जब भी राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित किया जाए, तो उसे पूरा सम्मान दिया जाना चाहिए और उसे प्रत्यक्ष रूप से यथोचित स्थान पर रखा जाना चाहिए। क्षतिग्रस्त या मैला-कुचौला ध्वज प्रदर्शित नहीं किया जाता।

ध्वज को किसी भी अन्य ध्वज या ध्वजों के साथ एक ही स्तंभ पर नहीं फहराया जाना चाहिए। ध्वज संहिता के अनुसार गणमान्य व्यक्तियों जैसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपालों आदि को छोड़कर किसी भी वाहन पर ध्वज नहीं फहराया जाना चाहिए। कोई अन्य ध्वज राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर या साथ-साथ नहीं रखा जाना चाहिए।

घर-घर तिरंगा अभियान के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि तिरंगा देश के वस्त्र उद्योग, खादी और आत्म-निर्भरता का प्रतीक रहा है। सूरत ने इस क्षेत्र में एक आत्म-निर्भर भारत के लिए बुनियाद तैयार की है। गुजरात ने बापू (महात्मा गांधी) के रूप में देश के स्वतंत्रता संघर्ष का नेतृत्व किया। देश को लौह पुरुष सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्व दिये। जिन्होंने आजादी के बाद 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की आधारशिला रखी। पीएम मोदी ने कहा, बारदोली सत्याग्रह और दांडी यात्रा ने जो संदेश दिया उससे पूरा देश संगठित हो गया था। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने तिरंगे में देश का भविष्य देखा था। उन्होंने इसे कभी किसी भी तरह झुकने नहीं दिया। आज जब हम आजादी के 75 साल बाद नये भारत की यात्रा शुरू कर रहे हैं तो तिरंगा एकबार फिर भारत की एकता और चेतना को प्रतिबिंबित कर रहा है। गुजरात का हर कोना उत्साह से भरा है और सूरत ने इसके वैभव को और बढ़ाया है।

सूरत की तिरंगा यात्रा के बारे में जिक्र करते हुए मोदी ने कहा था कि इस यात्रा में लघु भारत दिखाई दे रहा है। समाज के हर वर्ग के लोग इसमें शामिल हैं। परिधान विक्रेता हैं, दुकानदार हैं, कोई शिल्पकार है, कोई सिलाई कढ़ाई का काम करता है, कोई परिवहन या आभूषण के काम में लगा है। पूरे वस्त्र उद्योग और सूरत की जनता ने इस आयोजन को भव्य बना दिया है। मोदी ने कहा कि देश भर में चल रहीं तिरंगा यात्रा 'हर घर तिरंगा अभियान' की शक्ति और समर्पण का प्रतीक है। 13 से 15 अगस्त तक भारत के हर घर में तिरंगा फहराया गया। समाज के हर वर्ग, हर जाति और वर्ण के लोग स्वतः स्फूर्त एक ही पहचान के साथ आ रहे थे। यह भारत के निष्ठावान नागरिक की पहचान थी। इस अभियान में महिलाएं और पुरुष, युवा, बुजुर्ग और अन्य सभी अपनी भूमिकाएं निभा रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर घर तिरंगा आह्वान के बाद देश भर में तिरंगे झंडे की जोरदार मांग उठ रही। पूरे देश में आजादी के 75वें वर्ष को मनाने के लिए लोगों में जबर्दस्त उत्साह देखा देश की सबसे बड़ी टेक्सटाइल मंडी सूरत में ही अकेले कपड़ा व्यापारियों को 5 करोड़ से अधिक तिरंगे के ऑर्डर मिले थे। हर घर तिरंगे ने उत्साह के साथ एक साथ चलने का संदेश दिया। (हिफी)

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