वैश्विक सोच के साथ स्थानीयता पर जोर दे सरकार: विपक्ष

गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय जैसे मंत्रालय के कामकाज पर भी चर्चा करानी चाहिए।

Update: 2024-08-06 03:31 GMT

नई दिल्ली। विपक्ष ने राज्यसभा में कहा कि सरकार को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी-बड़ी घोषणाओं से बचना चाहिए और वैश्विक सोच के साथ स्थानीयता पर जोर देना चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने सदन में नवीन एवं नवीनीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा शुरू करते हुए कहा कि सरकार सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रही है, लेकिन परिणाम नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पीएम कुसुम योजना केवल तीन प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर पायी है। अंतराष्ट्रीय सौर गठबंधन और हरित ऊर्जा मिशन जैसी घोषणाओं से अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं हुए। उन्होंने कहा कि सरकार को गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय जैसे मंत्रालय के कामकाज पर भी चर्चा करानी चाहिए।

ब्रायन ने कहा कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन को शामिल करते हुए इसे लागू करना चाहिए। सरकार को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी लाने पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक सोच के साथ सरकार को स्थानीयता पर जोर देना चाहिए।

भारतीय जनता पार्टी के लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि सरकार सौर ऊर्जा के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने इस क्षेत्र में भारी निवेश किया है। इससे जनता को न केवल निशुल्क बिजली मिलेगी बल्कि उसकी आय में भी वृद्धि होगी। सौर ऊर्जा से रोजगार के क्षेत्र में बदलाव आ रहा है। तटीय पवन ऊर्जा भी नवीनीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में नया आयाम है। उन्होंने कहा कि नवीनीकरणीय ऊर्जा से कार्बन उत्सर्जन कम होगा और विदेशी मुद्रा बचाने में मदद मिलेगी। ऊर्जा के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर हो सकेगा।

कांग्रेस की रंजीत रंजन ने प्रधानमंत्री सूर्य घर बिजली योजना को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि इसके लिए जो व्यवस्था की गयी है उससे लगता है कि यह अंत में एक जुमला साबित होगी। उन्होंने कहा कि इसके तहत लगाये जाने वाले सौर पैनल बहुत महंगे हैं और गरीब व्यक्ति के लिए इन्हें खरीदना आसान नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि इनकी चोरी होने पर क्या सरकार ने इनके बीमे की व्यवस्था की है। सदस्य ने कहा कि भारत सौर पैनल के मॉड्यूल और बैटरी के लिए चीन पर निर्भर है तो ऐसे में सरकार की आत्मनिर्भरता योजना कहां है। उन्होंने कहा कि सरकार को शुरूआती वर्षों के लिए इन पैनलों की मरम्मत आदि के लिए एक एजेन्सी निर्धारित करनी चाहिए।

कांग्रेस सदस्य ने वर्ष 2030 तक 500 गीगा वाट बिजली उत्पादन के लक्ष्य पर भी सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए इसे कैसे हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए 30 लाख करोड़ रूपये की राशि की जरूरत होगी।

प्रधानमंत्री कुसुम योजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अभी इसमें लक्ष्य का 2.56 प्रतिशत ही हासिल किया जा सका है। उन्होंने अक्षय ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना से लेकर ऊर्जा के भंडारण की स्थिति पर भी सवाल उठाये और सरकार से इनमें सक्रिय भागीदारी निभाने की मांग की। उन्होंने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में पैदा होने वाले रोजगारों में से 33 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षित किये जाने की मांग की।

वाईएसआर कांग्रेस के एस निरंजन रेड्डी ने कहा कि सरकार ने अक्षय ऊर्जा का बजट सात हजार करोड़ रुपये से बढाकर 18 हजार करोड़ रुपये कर दिया है लेकिन इसमें अनुसंधान और विकास के लिए केवल 0.5 प्रतिशत का आवंटन किया गया है जो अपर्याप्त है। उन्होंने कहा कि हरित ऊर्जा में निवेश के लिए निजी क्षेत्र को भी आगे आना चाहिए क्योंकि अकेले सरकार जरूरी वित्तीय संसाधन नहीं जुटा सकती। उन्होंने जैव ईंधन और बायो गैस के क्षेत्र पर ध्यान दिये जाने की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के साथ राज्यों को भी तालमेल बढाने की जरूरत है।

द्रमुक की डा. कनिमोझी एन वी एन सोमू ने कहा कि भारत ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में कोयले का आयात करता है और अब समय आ गया है कि इनके विकल्पों पर तेजी से काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार को पवन ऊर्जा के क्षेत्र में सब्सिडी बढानी चाहिए।

आम आदमी पार्टी के संदीप पाठक ने कहा कि भारत में वर्ष में 300 दिन धूप खिली रहती है इसलिए अक्षय ऊर्जा की बहुत अधिक संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद देश इस क्षेत्र में ऊर्जा उत्पादन में आगे क्यों नहीं बढ पा रहा है। इसका कारण यह है कि नीतियां उसके अनुरूप और स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक 500 गीगा वाट अक्षय ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है लेकिन अभी तक हम केवल 30 प्रतिशत तक पहुंचे हैं तो अगले छह वर्षों में 70 प्रतिशत कैसे हासिल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को कम करना होगा। उन्होंने परियोजनाओं में देरी को भी एक बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि इन्हें जल्द पूूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने निजी कंपनियों का दायरा बढाते हुए कहा कि कुछ चुनिंदा कंपनियों के बजाय अन्य कंपनियों को भी निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय जनता दल के ए डी सिंह ने कहा कि देश के ऊर्जा प्रबंधन के क्षेत्र के कई मंत्रालय है। तेल के लिए, कोयला के लिए और नवीनीकरण ऊर्जा के लिए अलग मंत्रालय है, बिजली मंत्रालय भी अलग है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पी शिवादासन ने कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत बहुत ही कम है। यह वैश्विक प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत की तुलना में भी बहुत कम है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार अपने लक्ष्यों को हासिल करने में असफल रही है और यह सरकार ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्योंं को भी प्राप्त नहीं कर पा रही है। इसके साथ ही सौर ऊर्जा के लिए आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति भी नहीं कर पा रही है तथा ऊर्जा भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।

भारतीय जनता पार्टी के सुमेर सिंह सोलंकी ने कहा कि देश में अभी इस क्षेत्र में जो काम चल रहे हैं उनके पूर्ण होने पर क्रांतिकारी बदलाव आयेगा। भारत इस क्षेत्र में न:न सिर्फ आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि यह दूसरे की जरूरतों को भी पूरा करेगा। नवीकरणीय ऊर्जा से देश में न:न सिर्फ स्वच्छ स्रोतों पर आधारित ऊर्जा उत्पादन होगा बल्कि इस मामले में देश विकसित देशों को छोड़कर आगे निकल जायेगा। कांग्रेस ने 60 वर्षाें तक देश में राज किया, लेकिन लोगों के घर को रोशन नहीं कर पायी। वहीं, मोदी सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही है और आने वाले वर्षाें में भारत पड़ोसी देशों को रोशन करने में सक्षम होगा। उन्होंने कहा कि भारत स्वच्छ ऊर्जा निवेशकों के लिए निवेश का एक वैश्विक प्रमुख केन्द्र बन चुका है।

पूर्व प्रधानमंत्री एवं जनता दल सेकुलर के एचडी देवेगौड़ा ने कहा कि एक किसान, एक पूर्व मुख्यमंत्री और एक पूर्व प्रधानमंत्री होने के नाते उन्हें इस क्षेत्र के महत्व पता है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षाें में इस सरकार पर एक भी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे हैं। बिजली क्षेत्र में भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे हैं। उन्होंने कहा कि सतत विकास के लिए स्वच्छ और साफ ऊर्जा समय की मांग है। इसके लिए नवीकरणीय ऊर्जा सबसे बेहतर विकल्प है। पिछले 10 वर्षाें में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कड़ी मेहनत कर इस क्षेत्र को बढ़ावा दिया है लेकिन अब भी जीवाष्म ऊर्जा पर निर्भरता है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के बजट में ऊर्जा के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है। वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लिए ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए मंत्रालय को तीव्रता से काम करना होगा और क्षेत्रीय असंतुलन को भी दूर करना होगा। उन्होंने कहा कि देश के सोलर पैनल और बैटरी की व्यवस्था पर जोर दिये जाने की जरूरत है क्योंकि सोलर पैनल की लाइफ 25 वर्ष ही है। बैटरियां भी खराब हो जाती है।

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