भारतीय दृष्टिकोण और भारतीय मूल्यों के अनुरूप इतिहास का ज्ञान होना जरूरीः उपराष्ट्रपति
दिल्ली तमिल स्टुडेंट्स एसोसिएशन के छात्रों को संबोधित किया
नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने भारतीय दृष्टिकोण और भारतीय मूल्यों के साथ इतिहास लिखे जाने का आह्वान करते हुए कहा कि ब्रिटिश इतिहासकारों ने 1857 को स्वतंत्रता का पहला संघर्ष के रूप में कभी स्वीकार नहीं किया। इसे हमेशा सिपाही विद्रोह की संज्ञा दी। नायडू ने कहा कि भारत का शोषण करने के लिए अंग्रेजों के अपने निहित स्वार्थ थे। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इतिहास को मात्र एक उपकरण बनाया।
हमारी शिक्षा व्यवस्था को भारतीय संस्कृति और परम्पराओं को प्रतिबिंबित करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने आज नई दिल्ली में दिल्ली तमिल स्टूडेंट्स एसोसिएशन के छात्रों को संबोधित करते हुए ये बातें कही।
#Education is a fundamental requirement and it must be made affordable. Today's #India is young and aspirational and we must create an environment for talent to thrive. @DTSAOfficial pic.twitter.com/ORZHpWahG2
— VicePresidentOfIndia (@VPSecretariat) October 21, 2019
नायडू ने कहा कि भारत में 19,500 से अधिक भाषाएँ तथा बोलियाँ मातृभाषा के रूप में बोली जाती हैं। उन्होंने भाषा की इस समृद्ध विरासत को संजोने की आवश्यकता पर बल दिया। हमें भाषा की इस विरासत में गर्व होना चाहिए। प्रत्येक बच्चे को अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपनी मातृभाषा में मिलनी चाहिए। इससे बच्चों में शिक्षा प्राप्ति का परिणाम बेहतर होगा और इससे हमारी भाषाओं का संरक्षण भी होगा।
उपराष्ट्रपति ने छात्रों को भविष्य का नेता बताते हुए कहा कि उन्हें केवल अपनी पढ़ाई में ही बेहतर नहीं करना चाहिए, बल्कि राष्ट्र के समक्ष मौजूद ज्वलंत मुद्दों के प्रति भी संवेदनशील रहना चाहिए। उन्होंने छात्रों से कक्षाओं तक सीमित न रहते हुए प्रकृति की गोद में भी कुछ समय बिताने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा 'प्रकृति व्यक्ति एक ऐसा इंसान बनने में मदद करती है जो छोटे से छोटे जीवों के प्रति भी संवेदनशील होता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे विकास का रास्ता चुना जाना चाहिए, जो प्राकृतिक संसाधनों पर विपरित न डाले।
नायडू ने छात्रों से शारीरिक रूप से तंदरूस्त रहने तथा खेलों में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने को कहा। उन्होंने कहा कि गैर-संचारी रोगों में बढ़ोतरी युवा पीढ़ी की बदलती जीवन शैली की वजह से हो रही है। युवाओं को पारंपरिक भारतीय खान-पान और योग के फायदे के बारे में बताया जाना चाहिए। उन्होंने युवाओं से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किये गये फिट इंडिया अभियान का संदेश सब तक पहुंचाने का अनुरोध किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक समय था जब भारत विश्व गुरु माना जाता था। हमे दुबारा भारत की ऐसी छबि बनानी है और देश को नवाचार और ज्ञान का केन्द्र बनाना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए शिक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव करने होंगे, ताकि छात्र 21 सदी की चुनौतियों का सामना कर सके। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे भविष्य के अपने सभी प्रयासों में इंडिया फर्स्ट की सोच को पहले रखे।