चीन से ताल्लुक़ात पर कांग्रेस के बचाव में उतरी शिवसेना

सरकार के पक्षधर मीडिया और सोशल मीडिया की खाली सेनाएं 'भारतीय कूटनीति के आगे चीन के पीछे हटने या शरणागति' जैसी हवा बाण खबरें प्रसारित करके लोगों को गुमराह कर रही हैं।

Update: 2020-06-28 05:43 GMT

मुंबई भारत-चीन सीमा विवाद के दौरान कांग्रेस पार्टी के चीन से ताल्लुकात पर उठ रहे सवालों के बीच शिवसेना ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और राहुल गांधी का बचाव किया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है कि विदेश से कई पार्टियों ने पैसे लिए हैं. ऐसे में ये कोई नहीं कह सकता कि वो दूध का धुला है. राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी राजदूत की तरफ से दान में जो पैसे मिले, उसका खुलासा करने से क्या चीन अपनी सेना वापस ले लेगा. शिवसेना ने सामना में चीन की चालबाजी और पीएम मोदी की नीति पर भी सवाल उठाए।

शिवसेना के मुखपत्र सामना की संपादकीय में लिखा गया कि चीन पीछे हट गया है और दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत के बाद तनाव कम हो गया है. अब इस झूठ का पर्दाफाश हो चुका है. लद्दाख और चीन के बीच सीमा पर तनाव के दौरान चीन लगातार ऐसे कदम उठा रहा है, जिससे हिंदुस्तान का सिरदर्द बढ़े. कहना कुछ और करना कुछ मानो ये चीन की राष्ट्रीय नीति हो. चीन युद्ध नहीं चाहता लेकिन उसकी नीति सीमा पर युद्ध जैसे हालात पैदा करके हिंदुस्तान को उलझाए रखने वाली है. चीन गलवान घाटी से अपने सैनिकों और वाहनों को वापस लेने के लिए तैयार है. लेकिन उसी समय चीनी सेना ने लद्दाख के डेपसांग सेक्टर में नए टेंट लगा दिए. तोपें और टैंक तैनात कर दिए, सैन्य बल बढ़ा दिया और चीनी हेलीकॉप्टरों ने वहां उतरना शुरू कर दिया। इसका मतलब ये है कि चाहे जो भी हो, चीनी सेना लद्दाख छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. मतलब ये कि चीन ने अब एक नया आक्रमण किया है और वो हमारी सीमाओं से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. चीन युद्ध नहीं चाहता बल्कि युद्ध की तलवार हमारे सिर पर लटकाए रखना चाहता है इसीलिए पाकिस्तान और नेपाल जैसे राष्ट्र चीन के साथ जुड़े रहेंगे. चीन एक गद्दार है और उसकी खुराफातें हमेशा जारी रहेंगी. इन खुराफातों को रोकने के लिए हमारी क्या योजना है? योजना ये है कि हिंदुस्तान के रक्षा मंत्री रूस के दौरे के बाद वहां से हथियार और गोला-बारूद मंगवाने वाले हैं. दूसरी बात ये है कि भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली के प्रमुख लोगों ने चीन पर शाब्दिक हमला करना शुरू कर दिया है. इसीलिए उन्हें लगता है कि सीमा पार घूम रहे लाल बंदर दहशत के कारण भाग जाएंगे. तीसरी बात ये है कि सरकार के पक्षधर मीडिया और सोशल मीडिया की खाली सेनाएं 'भारतीय कूटनीति के आगे चीन के पीछे हटने या शरणागति' जैसी हवा बाण खबरें प्रसारित करके लोगों को गुमराह कर रही हैं।

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