दोनों जलवायु जोखिम प्रबंधन की सभी आवश्यकताओं को करेंगे पूरा- मंत्री नित्यानंद

उन्होंने देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रतिभा पर भरोसा जताया और कहा कि इसका मकसद देश के दूर-दराज के इलाकों और हमारी मातृभूमि में हर जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचना होना चाहिए।

Update: 2020-08-29 11:03 GMT

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा है कि भारत अर्थव्यवस्था और आपदा जोखिम प्रबंधन (डीआरएम)के संदर्भ में भविष्य के वैश्विक राजनीतिक ढांचे में अग्रणी भूमिका निभाएगा। उन्होंने आपदा जोखिम प्रबंधन (डीआरएम) के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के प्रसिद्ध 10 सूत्री एजेंडे की ओर इंगित करते हुए उनके उत्साह और दूरदर्शिता का समर्थन किया और निश्चयपूर्वक कहा कि इस 10 सूत्री एजेंडे का आइटम 6, जिसमें आपदा संबंधी मुद्दों पर काम करने के लिए विश्वविद्यालयों का एक नेटवर्क विकसित करने की बात कही गई, के अलावा आइटम 5, जिसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की बात है, दोनों जलवायु जोखिम प्रबंधन की सभी आवश्यकताओं को पूरा करेंगे।

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम)और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी),भारत सरकार द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन के समापन समारोह (गुरुवार 27 अगस्‍त, 2020) की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अध्यक्षता की। उन्होंने देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रतिभा पर भरोसा जताया और कहा कि इसका मकसद देश के दूर-दराज के इलाकों और हमारी मातृभूमि में हर जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचना होना चाहिए।

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने अपने देश में अक्सर आने वाली आपदाओं से संबंधित विभिन्न ज्वलंत सवालों पर एक साथ सोचने, एक साथ बोलने और उनका समाधान ढूंढने के लिए दुनिया के प्रतिभावान लोगों को एक मंच पर लाने और प्रधानमंत्री की सोच के अनुरूप विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए एनआईडीएम और डीएसटी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि 3 दिवसीय सम्मेलन के नतीजों और सिफारिशों को आने वाले समय में वास्तविकता में बदला जाना चाहिए

सम्मेलन के संयोजक प्रोफेसर अनिल के. गुप्ता, एचओडी, ईसीडीआरएम डिवीजन, एनआईडीएम ने सम्मेलन का एक सार प्रस्तुत किया। एनआईडीएम के कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल मनोज कुमार बिंदल ने आपदाओं,जलवायु और विकास के उभरते संदर्भों में इस कार्यक्रम की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) में संयुक्त सचिव डॉ. जिगमेट टकपा ने देश में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (सीसीए)और डीआरआर के लिए काम करने वाली सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियों के बीच तालमेल और सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। संजीव जिंदल,जेएस (डीएम) ने देश में प्रचलित आपदा प्रबंधन संस्थागत तंत्र और संकट के समय इसकी विविध भूमिकाओं के प्रति एकजुटता और दृढ़ संकल्प व्यक्त किया।

25 अगस्त,2020 को सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने संबोधित किया। इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से जलवायु अनुकूलन योजना प्रोजेक्ट के तहत किया गया था। यूजीसी के पूर्व सचिव और डीएसटी, भारत सरकार के सलाहकार डॉ. अखिलेश गुप्ता ने आयोजन समिति के अध्यक्ष के रूप में संस्थागत मजबूती और अनुसंधान केंद्रित विज्ञान अनुप्रयोग और आपदा लचीलापन को एकीकृत करने के लिए नीति प्रक्रिया के एकीकरण और देश में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने की आवश्यकता पर जोर दिया। डीएसटी के सचिव डॉ. आशुतोष शर्मा ने विशेष अतिथि के रूप में मुख्य भाषण दिया,जबकि एनडीएमए के सचिव जी. वी. वी. सरमा ने जलवायु और आपदा लचीलापन के लिए डीएसटी द्वारा विज्ञान नवाचार और विज्ञान सहयोग की पहल पर प्रकाश डालते हुए विशेष भाषण दिया। एनडीएमए के सदस्य कमल किशोर ने अपनी टिप्पणी में प्रभावी परिणामों के लिए अनुसंधान क्षेत्र के विभिन्न आयामों के बीच समन्वय की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

इस सम्मेलन में भारत सहित 10 से अधिक देशों के विशेषज्ञों,सरकारी अधिकारियों,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के दिग्गजों,नीति नियोजकों, और कार्यान्वयन कर्ताओं ने भाग लिया।

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