8 पार्षदों ने छोड़ी पार्टी- नगर परिषद में डगमगाई स्थिति

संगरूर नगर परिषद संकट में, 8 आप पार्षदों के इस्तीफे से बढ़ी सियासी हलचल

Update: 2025-10-10 06:25 GMT

संगरूर। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में आम आदमी पार्टी (AAP) को स्थानीय स्तर पर बड़ा झटका लगा है। नगर परिषद संगरूर के सीनियर उपप्रधान, उपप्रधान सहित आठ पार्षदों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया, जिससे नगर परिषद में पार्टी की स्थिति कमजोर पड़ गई है। इस्तीफों के बाद नगर परिषद में सत्ता संतुलन बिगड़ गया है और तख्तापलट की चर्चाएं तेज हो गई हैं।

आपको बता दें कि नगर परिषद संगरूर में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा नुकसान हुआ है। कुल 29 सदस्यीय परिषद में पार्टी अब अल्पमत में पहुंचती दिख रही है, क्योंकि आठ पार्षदों ने एक साथ पार्टी छोड़ने का एलान किया है। इस्तीफा देने वालों में सीनियर उपप्रधान और उपप्रधान भी शामिल हैं।

नगर परिषद चुनावों में AAP को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। पार्टी ने केवल 7 सीटें जीती थीं, लेकिन बाद में 5 निर्दलीय पार्षदों के समर्थन से उसने नगर परिषद पर कब्जा किया था। अब 8 पार्षदों के इस्तीफे के बाद AAP की स्थिति डगमगा गई है और विपक्षी गुट सक्रिय हो गया है।

इस्तीफों के पीछे की वजह:

इस्तीफा देने वाले पार्षदों ने आरोप लगाया है कि नगर परिषद अध्यक्ष भूपिंदर सिंह नाहल की कार्यशैली तानाशाहीपूर्ण है और विकास कार्य पूरी तरह ठप पड़े हैं। उनका कहना है कि स्थानीय मुद्दों को लेकर बार-बार प्रदेश नेतृत्व और मुख्यमंत्री को अवगत कराने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।

कई पार्षदों ने यह भी कहा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है। इसी नाराजगी के चलते सभी पार्षदों ने सामूहिक रूप से पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया।

राजनीतिक समीकरण बदलने की आशंका:

अब नगर परिषद में AAP के पास केवल सात पार्षद बचे हैं। परिषद के भीतर सत्ता परिवर्तन की चर्चा तेज है, क्योंकि तख्तापलट के लिए 21 पार्षदों की एकजुटता जरूरी है।

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, अगर विपक्ष और निर्दलीय पार्षद एकजुट होते हैं, तो नगर परिषद में नेतृत्व परिवर्तन संभव है।

नगर परिषद अध्यक्ष भूपिंदर सिंह नाहल ने हालांकि इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि “पार्टी संगठन मजबूत है और कोई संकट नहीं है।” उन्होंने दावा किया कि कुछ निर्दलीय पार्षदों ने भावनाओं में आकर फैसला लिया है और बातचीत के बाद वे वापस लौट सकते हैं।

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