हाईकोर्ट की NIA को लताड़ - चुप रहना मनुष्य का मौलिक अधिकार

लेकिन इसकी वजह से दूसरा आवेदन देकर आरोपी की हिरासत अवधि को बढ़ाया नहीं जा सकता है।

Update: 2024-04-01 10:53 GMT

नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी को एक मामले में कड़ी फटकार लगाते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि चुप रहना किसी भी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। लेकिन इसकी वजह से दूसरा आवेदन देकर आरोपी की हिरासत अवधि को बढ़ाया नहीं जा सकता है।

सोमवार को तेलंगाना हाईकोर्ट की ओर से दिए गए एक फैसले में कहा गया है कि किसी भी आरोपी का किसी भी पूछताछ या जांच के मामले में चुप रहना उसका मौलिक अधिकार है। दूसरा आवेदन देकर कोई भी जांच एजेंसी आरोपी की हिरासत अवधि बढ़ाने की डिमांड नहीं कर सकती है।

अदालत ने एक मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को फटकार लगाते हुए कहा है कि इस आरोप पर कि आरोपी चुप है अथवा संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा है तो हम उसकी हिरासत अवधि को नहीं बढ़ा सकते हैं।

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