प्राथमिक स्कूलों के विलय मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई जारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्राथमिक स्कूलो के विलय मामले में सुनवाई जारी;

Update: 2025-07-22 14:19 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के विलय मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में विशेष अपीलों पर सुनवाई जारी है।

मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायाधीश जसप्रीत सिंह की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार को विशेष अपीलों पर याचियों के अधिवक्ताओं ने बहस की। इसके जवाब में राज्य सरकार के अधिवक्ताओं की बहस चल रही है। दोनों पक्षों के वकीलों ने अपनी दलीलों के समर्थन में नजीरों को भी पेश किया। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को नियत की है।

पहली विशेष अपील 5 बच्चों ने, और दूसरी 17 बच्चों ने अपने अभिभावकों के जरिए दाखिल की है। इनमें स्कूलों के विलय में एकल पीठ द्वारा बीती 7 जुलाई को दिए गए फैसले को चुनौती देकर रद्द करने का आग्रह किया गया है। याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डा एल पी मिश्र व अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलीलें दीं। जबकि, राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया, मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह के साथ बहस कर रहे हैं।

बीती सात जुलाई को स्कूलों के विलय मामले में एकल पीठ ने प्रथामिक स्कूलों के विलय आदेश को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया था। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह फैसला सीतापुर के प्राथमिक व उच्च प्रथामिक स्कूलों में पढ़ने वाले 51 बच्चों समेत एक अन्य याचिका पर दिया था। इनमें बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा बीती 16 जून को जारी उस आदेश को चुनौती देकर रद्द करने का आग्रह किया गया था, जिसके तहत प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों की संख्या के आधार पर उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में विलय करने का प्रावधान किया गया है। याचियों ने इसे मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाला कहा था। साथ ही मर्जर से छोटे बच्चों के स्कूल दूर हो जाने की परेशानियों का मुद्दा भी उठाया था। याचियों की ओर से खास तौर पर दलील दी गई थी कि स्कूलों को विलय करने का सरकार का आदेश, 6 से 14 साल के बच्चों के मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन करने वाला है।

उधर, राज्य सरकार की ओर से याचिकाओं के विरोध में प्रमुख दलील दी गई कि विलय की कारवाई, संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के लिए बच्चों के हित में की जा रही है। सरकार ने ऐसे 18 प्रथामिक स्कूलों का हवाला दिया था जिनमें एक भी विद्यार्थी नहीं है। कहा कि ऐसे स्कूलों का पास के स्कूलों में विलय करके शिक्षकों और अन्य सुविधाओं का बेहतर उपयोग किया जाएगा। कहा था कि सरकार ने पूरी तरह शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिहाज से ऐसे स्कूलों के विलय का निर्णय लिया है।

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