हिंदी पढ़ाने को बोला तो छात्रा को स्कूल से ही निकाल दिया-मामला DM के पास
नर्सरी की छात्रा ने जब शिक्षकों से मातृभाषा हिंदी पढ़ाने की बात कही तो हिंदी की शिक्षा देने के बजाय स्कूल से निकाल दिया
अलीगढ़। इस्लामिक मिशन स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रही नर्सरी की छात्रा ने जब शिक्षकों से मातृभाषा हिंदी बढ़ाने की बात कही तो उसे हिंदी की शिक्षा देने के बजाय स्कूल से ही निकाल दिया गया। इतना ही नहीं दस साल से भी कम आयु की छात्रा के ऊपर भी स्कूल में हिजाब पहनने का दबाव भी बनाया गया। पीड़ित पिता ने इस मामले की शिकायत जिलाधिकारी के पास करते हुए मामले की जांच कराकर कार्यवाही किए जाने की मांग की है। उधर स्कूल प्रबंधन की ओर से पीड़ित पिता द्वारा लगाए गए आरोपों को मनगढ़ंत करार दिया है।
मंगलवार को अलीगढ़ जनपद के नगला पटवारी निवासी मोहम्मद आमिर ने जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह को एक शिकायती पत्र देकर बताया है कि इस्लामिक मिशन स्कूल में नियमों के विपरित सिर्फ उर्दू पढ़ाई जा रही है। हिंदी पढ़ाने को कहे जाने पर उसकी बेटी को प्रबंधन द्वारा स्कूल से ही निकाल दिया गया है। पीड़ित पिता का आरोप है कि उसकी बेटी के ऊपर जबरिया हिजाब पहनने का दबाव भी स्कूल में बनाया जाता है। जबकि उसकी बेटी की आयु अभी 10 वर्ष से भी कम है।
जिलाधिकारी को दिए शिकायती पत्र में मोहम्मद आमिर ने बताया है कि इस्लामिक मिशन स्कूल में नर्सरी कक्षा में पढ़ने वाली उसकी बेटी को 5 माह की पढ़ाई के बाद भी हिंदी के दो शब्द पहचानने तक नहीं आते हैं। इस बारे में जब बेटी से पूछा गया तो उसने बताया कि स्कूल में शिक्षकों द्वारा बच्चों को केवल उर्दू ही पढ़ाई जाती है। बेटी को हिंदी नहीं आने से चिंतित पिता ने जब शिक्षकों एवं प्रधानाचार्य से इस बाबत मिलने का प्रयास किया तो उसे किसी से भी नहीं मिलने दिया गया। उल्टे स्कूल प्रबंधन की ओर से उसे नोटिस दिया गया है कि वह स्कूल प्रबंधन से माफी मांगे। अगर माफी नहीं मांगी तो मेरी बेटी का नाम स्कूल से काट दिया जाएगा। उधर स्कूल के प्रबंधक ने मोहम्मद आमिर के आरोपों को झूठा एवं मनगढ़ंत करार दिया है।