बेटा बना दूल्हा और पिता बाराती - मंदिर में लिए फेरे हो गई शादी

कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर चारों तरफ अपने पांव पसारती हुई लोगों की गतिविधियों पर तरह तरह की पाबंदियां लगा रही है

Update: 2021-04-28 09:38 GMT

लखनऊ। कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर चारों तरफ अपने पांव पसारती हुई लोगों की गतिविधियों पर तरह तरह की पाबंदियां लगा रही है। शादी-ब्याह के सीजन में आए कोरोना से वैवाहिक गतिविधियों के साथ सामाजिक व्यवस्थायें भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। कोरोना संक्रमण के चलते लगाई गई तमाम पाबंदियों के बावजूद जहां लोग शादी विवाह में आडंबर रचते हुए खूब भीड़ जुटाकर अपनी संपन्नता दिखा रहे हैं। वही राज्य के गोंडा में एक परिवार ने लोगों के लिए नजीर बनते हुए अनोखी बारात निकाली। इस बारात में दूल्हा घोड़ी पर सवार था और बाराती के रूप में पिता साथ चल रहे थे। उधर घराती के तौर पर शादी में दुल्हन के अलावा उसका भाई और मां शामिल हुए। जिन्होंने विवाह की सारी जिम्मेदारी संभालते हुए वैवाहिक रस्में पूरी कराई।

दरअसल जनपद के ढोढिया पारा निवासी भगवान दत्त के बेटे मोनू की शादी काफी समय पहले गांव साहिबापुर निवासी नाथूराम की चैहान की पुत्री रेशमी चैहान के साथ तय हुई थी। भगवान दत्त के करीबी अचलपुर गांव निवासी राजगीर बहादुर चैहान ने यह रिश्ता तय कराया था। शादी की तिथि 27 अप्रैल को निर्धारित की गई थी। इसी बीच आये कोरोना संक्रमण ने शादी पर संकट खडा कर दिया। कोरोना काल की वजह से दोनों परिवारों को लगा कि अब शादी की तिथियां बदलनी पड़ेगी। इस बीच राजगीर बहादुर चैहान ने पहल शुरू करते हुए मोर्चा संभाला तो भगवान दत्त ने भी उसका साथ दिया। शादी निश्चित की गई तिथि पर ही हुई। भगवान दत्त बतौर बाराती अपने बेटे मोनू के साथ मां दुर्गा मंदिर पहुंचे। यहां दुल्हन बनी रेशमी अपनी मां कृष्णावती और भाई सुनील के साथ पहले ही पहुंच गई थी। मंदिर के पुजारी अजय कुमार को बुला लिया गया। यज्ञ कुंड के साथ थाली में पूजा की सामग्री सज गई। शाम के समय विधि विधान के साथ शादी की रस्में पूरी कराई गई। मंदिर में मोनू और रेशमी ने एक दूसरे को पति-पत्नी स्वीकारते हुए वरमाला पहनाई और जनम जनम के लिए शादी के बंधन में बंध गए। राजगीर बहादुर ने सभी को मिठाई खिलाकर पानी पिलाया और फिर दुल्हन ससुराल के लिए विदा हो गई। इस अनोखी शादी में वर पक्ष ने एक रूपये का भी दान दहेज नहीं लिया। हालांकि लड़की पक्ष के लोगों ने जब नेग भी देना चाहा तो यह कहकर मना कर दिया कि शादी में कुछ भी नहीं लेने का उन्होंने मन बना रखा है।



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