महंगी बिजली के करंट की तैयारी-10 साल में 7 बार महंगी हुई बिजली

भाजपा सरकार की ओर से प्रदेशवासियों को बिजली के दामों में राहत देने के बजाय इसके दामों को बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी गई है

Update: 2022-04-04 11:50 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 18 वीं विधानसभा के गठन के लिए हुए चुनाव में प्रचंड जीत हासिल कर प्रदेश में दोबारा से सरकार बनाने वाली भाजपा सरकार की ओर से प्रदेशवासियों को बिजली के दामों में राहत देने के बजाय इसके दामों को बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी गई है। बिजली कंपनियों से नियामक आयोग ने टैरिफ प्लान भी मांगा है, इसके लिए बिजली कंपनियों को 10 दिन का समय दिया गया है। जिसके चलते 12 अप्रैल तक बिजली कंपनियों को टेरिफ प्लान बनाकर नियामक आयोग को भेजना होगा, जिसके मंजूर होते प्रदेश के लोगों को महंगी बिजली के करंट का झटका दे दिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से बिजली के दामों में बढ़ोतरी करने की कवायद शुरू कर दी गई है। 12 अप्रैल तक विद्युत नियामक आयोग की ओर से बिजली कंपनियों से टैरिफ प्लान मांगा गया है। नियामक आयोग ने यदि बिजली कंपनियों की ओर से दी गई टैरिफ को मंजूर कर लिया तो प्लान आने के 120 दिन के अंदर नया टैरिफ लागू करते हुए लोगों को बढ़ी बिजली दरों की सौगात दे दी जाएगी। कंपनियों ने बिजली के दाम बढ़ाने के पीछे खर्च और आमदनी में तकरीबन 6700 करोड़ रुपए के गेप की दुहाई दी है। एक तरफ जहां नियामक आयोग और बिजली कंपनियां बिजली के दाम बढ़ाने की तैयारियों में लग गई है वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की ओर से कहा गया है कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 20500 करोड रुपए निकल रहे हैं।

ऐसे हालातों में बिजली की दर बढ़ाने के बजाय उसे घटाया जाना चाहिए। पिछले साल भी आयोग में जब बिजली दर बढ़ाने को लेकर सुनवाई शुरू हुई थी तो परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने यही दलील दी थी जिसके चलते उस समय बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गई थी। लेकिन उन्हें कम भी नहीं किया गया था। जानकारों का कहना है कि इस बार बिजली की दरों में निश्चित तौर पर बढ़ोतरी होगी। क्योंकि सरकार की भी मंशा यही है कि आने वाले दिनों में बिजली को निजी हाथों में दे दिया जाए।

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