आईपीएस प्रवीण कुमार-मेरठ रेंज में नए जनरल
मेरठ। उत्तर प्रदेश में पुलिसिंग आज बदलाव के दौर से गुजर रही है। यहां पर अपराध मुक्त व्यवस्था देने के एक दृढ़ संकल्प के साथ हथियार से लेकर हाकिम तक बदल रहे हैं।
मेरठ। उत्तर प्रदेश में पुलिसिंग आज बदलाव के दौर से गुजर रही है। यहां पर अपराध मुक्त व्यवस्था देने के एक दृढ़ संकल्प के साथ हथियार से लेकर हाकिम तक बदल रहे हैं। हथियार के बदलाव के रूप में जहां अब पुलिसकर्मियों की शान इंसास रायफल बनी हैं, तो हाकिम के रूप में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था में कार्यरत हैं। ऐसे ही बदलाव में अब मेरठ रेंज में भी नया जनरल आया है।
आईपीएस प्रवीण कुमार के रूप में मेरठ रेंज में पुलिस को नया इंस्पेक्टर जनरल मिला है। प्रवीण कुमार की कार्यशैली उनको उत्कृष्ट अफसरों की जमात का हिस्सा बनाती है। उन पर कभी भी सत्ता का प्रभाव नहीं है, बसपा के शासन में जहां उन्होंने एक ही जनपद में दो साल से ज्यादा टिके रहने का रिकाॅर्ड बनाया तो वहीं भाजपा की सत्ता में राज्य में कानून व्यवस्था साधने की कमान उनको सौंपी गई। उन्होंने काम को तरजीह दी और इसका लाभ भी उनको मिला। पुलिस विभाग में वह अकेले ऐसे अफसर हैं, जिनको अयोध्या के राम मंदिर विवाद में हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक कानून व्यवस्था को एक पुलिस प्रमुख के रूप में संभालने का काम करना पड़ा।
उत्तर प्रदेश के जनपद जालौन में शिव कुमार त्रिपाठी के परिवार में 26 जून 1972 को जन्म लेने वाले प्रवीण कुमार 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। इंजीनियरिंग में बैचलर विद आॅनर्स प्रवीण कुमार एक अच्छे आईपीएस के साथ ही काबिल वकील भी है। एलएलबी के साथ ही उन्होंने इसमें महारथ पाने के लिए मास्टर डिग्री एलएलएम भी किया है। आईपीएस प्रवीण कुमार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मिजाज का अच्छा खासा ज्ञान है। उनकी सर्विस का अधिकांश कार्यकाल यहीं पर रहा है। प्रवीण कुमार मुजफ्फरनगर, गौतमबुद्धनगर और लखनऊ जैसे महत्वपूर्ण जनपदों में एसएसपी रहे हैं। इन जनपदों में उनका कार्यकाल सराहनीय रहा। राज्य में साल 2007 में बसपा की सरकार आने के बाद में प्रवीण कुमार को साल 2009 में मुजफ्फरनगर का एसएसपी बनाया गया था। उनके द्वारा सर्वाधिक समय तक तैनाती का रिकाॅर्ड बनाया। वह यहां पर दो वर्षों से ज्यादा समय तक तैनात रहे। उनके कार्यकाल में अयोध्या विवाद को लेकर हाईकोर्ट का फैसला सुनाया गया था। इस फैसले के आने से पहले ही प्रवीण कुमार ने एसएसपी के तौर पर मुजफ्फरनगर में एक अफसर के बजाये, जनप्रतिनिधि की भांति जनता के बीच पहुंचकर आपसी सद्भाव और सौहार्द कायम किया। जगह जगह दोनों समुदाय के जिम्मेदार लोगों की कमेटियां बनाई और 2010 में जब हाईकोर्ट का निर्णय आया तो मुजफ्फरनगर में आक्रोश नहीं सद्भाव नजर आया। यह संयोग है कि इस फैसले के करीब 9 साल के बाद जब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया तो प्रवीण कुमार लखनऊ में आईजी कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी निभा रहे थे। उन्होंने प्रदेश में अयोध्या पर कानून व्यवस्था स्थापित करने के लिए काम किया।
साल 2012 में उनको मुजफ्फरनगर से स्थानांतरित करते हुए गौतमबुद्धनगर का एसएसपी बनाया गया। वहां से फिर उन्हें मुजफ्फरनगर का कप्तान बनाया गया था। जब साल 2013 में यहां पर कवाल कांड के बाद साम्प्रदायिक हिंसा भड़की तो तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रवीण कुमार पर भरोसा जताया। उनको मुजफ्फरनगर में शांति स्थापित करने के लिए भेजा गया। यहां प्रवीण कुमार ने लोगों के बीच जाकर बेहतर प्रयास शुरू किये, लेकिन वह अचानक ही बीमार पड़ गये और स्वास्थ्य कारणों से उनको यहां से जाना पड़ा। बाद में 2014 में एसएसपी लखनऊ के पद पर उनको तैनाती मिली थी।
13 जनवरी 2015 को प्रवीण कुमार को डीआईजी रैंक में प्रमोट किया गया। इसके बाद उनको 2016 में फिर डीआइजी लखनऊ के पद पर तैनाती मिली। यहां उनको बाद में डीआईजी कानून व्यवस्था बना दिया गया। इस पद पर रहते हुए उनको 01 जनवरी 2019 को आईजी रैंक में प्रमोशन मिला और आईजी कानून व्यवस्था के पद पर बने रहे। इसी पद से उनको 13 जनवरी 2020 को मेरठ रैंज का आईजी बनाकर भेजा गया है। यहां 17 जनवरी को उन्होंने इस पदभार को ग्रहण किया। फिलहाल वह आईजी मेरठ का जिम्मा संभाल रहे हैं। वह कहते हैं, '' पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आपराधिक, सामाजिक प्रकृति से वह पूरी तरह से परिचित हैं। महिला अपराध और कानून व्यवस्था उनकी शीर्ष प्राथमिकता है।'' मेरठ में आईजी पद संभालने के बाद पहले ही दिन से प्रवीण कुमार ने अपना काम प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने हापुड़ और अन्य जनपदों का भ्रमण किया और कानून व्यवस्था की समीक्षा की। मेरठ में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हिंसा के आरोपियों की कार्रवाई और निर्दोषों की रिहाई की चुनौती उनके सामने हैं। इसके अलावा उन्होंने यहां सीएए के समर्थन में भाजपा की जन जागरण सभा, जिसमें केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल रहे, के दौरान सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए बेहतर व्यवस्था बनाकर अपनी प्रबंधन क्षमता को भी साबित किया है।