नौ दिन लॉकडाउन के बाद भी कोरोना बेलगाम, अफसर बोले- 21 दिनों का लॉकडाउन जरूरी

चार थाना क्षेत्रों सरोजनीनगर, गाजीपुर, इंदिरानगर व आशियाना में 18 से 26 जुलाई तक लॉकडाउन लगाया गया था।

Update: 2020-08-09 13:41 GMT

लखनऊ। कोरोना के लिहाज से बेहद संवेदनशील पांच इलाकों आलमबाग, इंदिरानगर, आशियाना, गोमतीनगर और सरोजनीनगर में संक्रमण की चेन नहीं टूट रही है। यह स्थिति तब है जब इनमें से चार थाना क्षेत्रों में जुलाई में नौ दिन लॉकडाउन रहा। वहीं, बीते एक सप्ताह में रायबरेली रोड और तालकटोरा में भी मरीज बढ़े हैं। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है कि संक्रमण पर काबू पाने के लिए 21 दिन का संपूर्ण लॉकडाउन जरूरी है।

चार थाना क्षेत्रों सरोजनीनगर, गाजीपुर, इंदिरानगर व आशियाना में 18 से 26 जुलाई तक लॉकडाउन लगाया गया था। इसमें 18-19 जुलाई और 25 व 26 जुलाई को साप्ताहिक बंदी थी। हालांकि, इन नौ दिन के लॉकडाउन के बाद भी इन इलाकों से मरीज मिलने का सिलसिला नहीं थमा।आलमबाग में एक से सात अगस्त तक सबसे अधिक 148 मरीज मिले। दूसरे नंबर पर गोमतीनगर, तीसरे पर इंदिरानगर व चैथे पर रायबरेली रोड व पांचवें पर महानगर रहा। स्वास्थ्य विभाग की टीम यहां कांटेक्ट ट्रेसिंग के साथ जांच करवा रही है।

सीएमओ डॉ. आरपी सिंह के मुताबिक, संक्रमण की रफ्तार काबू करने के लिए टीमें लगातार कंटेनमेंट जोन में जाकर जांच और स्क्रीनिंग कर रही हैं। हालांकि, नौ दिन के लॉकडाउन के बाद सरोजनीनगर में संक्रमण की रफ्तार थोड़ा थमी है। यहां अगस्त में अब तक 37 मरीज मिले हैं। इनमें से अधिकतर पूर्व मरीजों के क्लोज कांटेक्ट में थे।अधिकारियों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने जांच बढ़ा दी है। यह भी कहा कि राजधानी में संक्रमण पर काबू पाने के लिए 21 दिनों का संपूर्ण लॉकडाउन जरूरी है।

कोरोना मरीजों को फर्जी जांच रिपोर्ट देने के खुलासे के बाद अब सीएमओ कार्यालय के फर्जी पत्र पर मरीज भर्ती का आदेश जारी करने का मामला सामने आया है। पांच अगस्त को जारी फर्जी पत्र में जौनपुर की 52 वर्षीय मरीज को राजधानी के निजी अस्पताल रेफर किया गया। परिजन उसे लेकर एराज मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो डॉक्टर को पत्र पर शक हुआ।

जांच में पता चला कि रिपोर्ट पर सीएमओ की जगह किसी और के हस्ताक्षर थे। मरीज को भर्ती कर लिया। वहीं, सीएमओ कार्यालय के अफसरों ने पत्र फर्जी मानते हुए जांच की बात कही। रिपोर्ट पर मुहर, एंबुलेंस, ईएमटी व मोबाइल नंबर नहीं था। सबसे बड़ा प्रश्न तो यह था कि मरीज जौनपुर का था तो रिपोर्ट सीएमओ कार्यालय कैसे जारी कर रहा था, वह भी भर्ती पत्र के साथ। सीएमओ ने कहा, जो दोषी होगा उस पर कार्रवाई होगी। 

(हिफी न्यूज)

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