माया भी अब भाई-भतीजावाद के फेर में, भाई को उपाध्यक्ष व भतीजे को कोर्डिनेटर बनाया

प्रदेश अध्यक्ष, संसद, कोआरर्डीनेटर और पदाधिकारियों की बैठक में राजनीति में लंबे समय से परिवारवाद का विरोध करने वाली मायावती ने आज परिपाटी को बदल दिया। परिवार से खुद को दूर बताने वाली बसपा सुप्रीमों ने अपने भाई आनंद को एक बार फिर पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कॉर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी है। बैठक में माया ने बसपा में बड़े संगठनात्मक बदलाव की घोषणा करते हुए दो नेशनल कॉर्डिनेटर बनाये हैं। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने बैठक में देशभर में बसपा का विस्तार करने, नई रणनीति बनाने, उत्तर प्रदेश उपचुनाव की तैयारियों और पार्टी में बदलाव को लेकर चर्चा की। बैठक मे शामिल होने से पहले पार्टी के नेता व कार्यकर्ताओं को अपने बैग, मोबाइल फोन, पेन और कार की चाबियां तक बैठक कक्ष से बाहर बने काउंटर पर जमा करवानी पड़ी।

Update: 2019-06-23 12:08 GMT

लखनऊ। प्रदेश अध्यक्ष, संसद, कोआरर्डीनेटर और पदाधिकारियों की बैठक में राजनीति में लंबे समय से परिवारवाद का विरोध करने वाली मायावती ने आज परिपाटी को बदल दिया। परिवार से खुद को दूर बताने वाली बसपा सुप्रीमों ने अपने भाई आनंद को एक बार फिर पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कॉर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी है। बैठक में माया ने बसपा में बड़े संगठनात्मक बदलाव की घोषणा करते हुए दो नेशनल कॉर्डिनेटर बनाये हैं। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने बैठक में देशभर में बसपा का विस्तार करने, नई रणनीति बनाने, उत्तर प्रदेश उपचुनाव की तैयारियों और पार्टी में बदलाव को लेकर चर्चा की। बैठक मे शामिल होने से पहले पार्टी के नेता व कार्यकर्ताओं को अपने बैग, मोबाइल फोन, पेन और कार की चाबियां तक बैठक कक्ष से बाहर बने काउंटर पर जमा करवानी पड़ी।



बसपा के पार्टी कार्यालय पर आयोजित बैठक में मायावती ने पदाधिकारियों को विभिन्न राज्यों में अगले साल तक होने वाले विधानसभा चुनावों व जनाधार बढ़ाने के बारे में जरूरी दिशा-निर्देश दिए। मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद के साथ पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामजी गौतम को भी नेशनल कॉर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी। मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार और भतीजे आकाश आनंद को पार्टी में अहम पद देने के बाद साफ कर दिया है कि पार्टी में उनके अपनों की दखल बढ़ने वाली है। यूपी में भाईचारा संगठन के गठन के संबंध में की जा रही कार्यवाही का फीडबैक ले सकती है। लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजा आने तथा समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन टूटने के बाद होने वाली इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

ज्ञात हो कि बसपा ने लोकसभा चुनाव में इस बार पिछले चुनाव की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन किया है। बसपा ने इस बार 10 सीटें जीती हैं। यूपी को छोड़कर देश के अन्य राज्यों में उसे कोई सफलता नहीं मिली है। लोकसभा चुनाव में सपा व रालोद के साथ गठबंधन करने वाली बसपा ने 38 चुनाव लडी थी। मायावती 2022 के विधानसभा चुनाव सभी 403 सीटों पर लड़ने के लिहाज से तैयारी का संदेश देते हुए संगठन पुनर्गठन व जनाधार विस्तार के भी दिशानिर्देश दे चुकी हैं। अगले वर्ष तक महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, बिहार व पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के चुनाव संभावित हैं।

यूं तो बसपा सुप्रीमों अपने फरमानों के लिए जानी जाती हैं। इसी के चलते आज आयोजित बैठक में भाग लेने आये पार्टी के पदाधिकारियों व नेताओं को उनके ऐसे ही एक फरमान से दो'-चार होना पडा। मीटिंग हाल में प्रवेश से पहले नेताओ को मोबाइल, बैग, पेन, कार की चाबी सहित अपना सामान बाहर ही जमा करना पड़ा। किसी को पेन भी अंदर ले जाने की अनुमति नहीं दी गयी। पार्टी के सांसदों तक को भी मीटिंग में जाने से पहले अपना मोबाइल, बैग यहां तक की गाड़ी की चाबी भी बाहर ही जमा करवाने के आदेश दिए गए। इतना ही नहीं महिलाओं के आभूषण और पुरुषों के जूते-चप्पल यहां तक की ताबीज भी उतरवा लिए गए। सामान को जमा करन के लिए खास काउंटर भी बनाया गया।

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