ताऊ की वसीयत के बाद भी मकान कब्जाने का आरोप - फरहत ने ADM को दिया पत्र

ताऊ की वसीयत के बाद भी प्रॉपर्टी पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए फरहत अली ने मेरठ के एडीएम सिटी को प्रार्थना पत्र दिया

Update: 2022-09-20 13:46 GMT

मेरठ।  ताऊ की वसीयत के बाद भी ताई के रिश्तेदारों द्वारा प्रॉपर्टी पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए फरहत अली पुत्र शौकत अली निवासी 1470 खालापार साउथ थाना कोतवाली नगर जनपद मुजफ्फरनगर ने मकान से विपक्षियों का कब्जा हटाकर मकान में हिस्सा दिलाने के लिए मेरठ के एडीएम सिटी को प्रार्थना पत्र दिया है। एडीएम सिटी ने फरहत के प्रार्थना पत्र पर निष्पक्ष कार्यवाई के लिए मेरठ जनपद के लिसाड़ी गेट थाना प्रभारी को आदेश दे दिए है। 

गौरतलब है प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया गया है कि  फरहत अली के ताऊ मोहम्मद अली सिद्दीकी पुत्र स्वर्गीय वाजिद अली सिद्दीकी निवासी 31 स्टेट बैंक कॉलोनी हापुड़ रोड थाना लिसाड़ी गेट मेरठ शहर के रहने वाले थे। मोहम्मद अली सिद्दीकी ने 4 दिसंबर 1998 को मकान नम्बर 31 स्टेट बैंक कॉलोनी, हापुड़ रोड मेरठ वाला मकान सुभाषिनी विश्नोई पत्नी कृष्ण विश्नोई से बजरिये बैनामा खरीदा था। इस मकान का कुछ कुल क्षेत्रफल 239.13 स्क्वायर मीटर है। फरहत अली के ताऊ मोहम्मद अली सिद्दीकी के कोई औलाद नहीं थी। फरहत अली एवं उसके भाई भाई राहत अली व बहनोई आसिफ अली उनकी एवं उनकी पत्नी नूरजहां उस्मानी की देखभाल करते थे। 

प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया गया है कि जब फरहत अली के ताऊ मोहम्मद अली सिद्दीकी की उम्र लगभग 70 वर्ष हो गयी थी तो उन्होंने एक रजिस्टर्ड वसीयत दिनांक 14 मई 2003 को की थी। जिसमें उन्होंने लिखा था कि मेरा मकान 31 स्टेट बैंक कॉलोनी हापुड़ रोड मेरठ शहर पर स्थित है। उसको मैंने 4 दिसंबर 1998 को सुभाषिनी विश्नोई से खरीदा था। इसमें किसी की साझेदारी नहीं है। मेरा परिवार केवल मुझ पर और मेरी पत्नी नूरजहां उस्मानी पर आधारित है क्योंकि हमारी कोई औलाद नहीं है और कोई ऐसा रिश्तेदार भी नहीं है, जो मेरे देहांत के बाद मेरी पत्नी नूरजहां उस्मानी की देखभाल कर सकें। मेरी पत्नी की उम्र लगभग 65 वर्ष है और उसकी सेहत भी ठीक नहीं रहती है। इन सब बातों को मद्देनजर रखते हुए मेरा फैसला है कि मेरे मरने के बाद मेरी ऊपर लिखी संपत्ति की वारिस मेरी पत्नी होगी। जब तक मेरी पत्नी जीवित है, सारे मालिकाना अधिकार जो भी हैं, बेंचने रहने और बरतने के मेरी पत्नी के रहेंगे और वह कुलमुख्तार रहेगी। उन्होंने वसीयत में लिखा था कि मेरी पत्नी के देहांत के बाद इस संपत्ति के मालिकाना हक में अपने सगे छोटे भाई शौकत अली मरहूम के दोनों पुत्रों राहत अली और फरहत अली साकिन कस्बा शाहपुर, जनपद मुजफ्फरनगर व अपनी सगी बहन जाहिदा खातून के पुत्र काजी आसिफ साकिन कस्बा शाहपुर जिला मुजफ्फरनगर, तीनों को बराबर बराबर देना चाहता हूं यानी तीनों को बराबर बराबर हिस्सा मिले।

प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया गया है कि इस वसीयत के बाद साल 2011 में फरहत अली के ताऊ मोहम्मद अली सिद्दीकी का देहांत हो गया था। फरहत अली और उसके भाई राहत अली ने अपने ताऊ के इंतकाल के बाद अपनी ताई नूरजहां उस्मानी की देखभाल करनी शुरू कर दी थी तथा 31 स्टेट बैंक कॉलोनी में आकर रहने लगा था।  इसी बीच फरहत अली की ताई नूरजहां उस्मानी ने अपने पास अपनी भांजी परवीन उस्मानी को अपने पास रख लिया था। प्रार्थी भी अपनी ताई नूरजहां उस्मानी के साथ उनकी देखभाल को रहता था।

प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया गया है कि नूरजहां उस्मानी की भांजी परवीन उस्मानी और उसके बेटे सबूर अहमद ने फरहत अली की ताई नूरजहां को बहला फुसला कर गुपचुप तरीके से दिनांक 1 मार्च 2014 को उपरोक्त संपत्ति को एक रजिस्टर्ड वसीयत अपने नाम करा ली। जबकि फरहत अली के ताऊ द्वारा की गई रजिस्टर्ड वसीयत में नूरजहां उस्मानी को बेचने, बरतने व रहने का अधिकार दिया गया था, बजरिया वसीयत नूरजहां उस्मानी को इस संपत्ति को स्थानांतरण करने का अधिकार नहीं दिया गया था तथा उनके देहांत के बाद प्रार्थी फरहत अली, भाई राहत अली एवं बहनोई आसिफ अली को 31 स्टेट बैंक कॉलोनी हापुड़ रोड मेरठ के मकान का मालिकाना हक दिया गया था।

प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया गया है कि परवीन उस्मानी व उसके पुत्र सबूर अहमद ने फरहत अली की ताई नूरजहां उस्मानी को बहला-फुसलाकर यह वसीयत करा ली जबकि फरहत अली के ताऊ की रजिस्टर्ड वसीयत में नूरजहां उस्मानी को वसीयत करने का अधिकार नहीं था। फरहत अली एंव  उसका भाई 31 स्टेट बैंक कॉलोनी में रहने लगे थे, किसी कारणवश फरहत अली, भाई राहत अली को वापस अपने जनपद मुजफ्फरनगर में आना पड़ा। उपरोक्त मकान में सबूर अहमद एक हिस्से में रहते थे तथा दूसरे हिस्से में फरहत अली अपनी ताई नूरजहां के साथ रहता था। फरहत अली की ताई के देहांत के बाद फरहत अली अपना सामान उपरोक्त मकान में छोड़कर मुजफ्फरनगर आ गया था। फरहत अली को पिछले दिनों पता चला कि इन्होंने नगर निगम मेरठ में अपना नाम बतौर मालिकाना हक दर्ज करवा लिया है तब फरहत अली ने सबूर अहमद और उसकी मां परवीन उस्मानी से इस संबंध में कहा तो उन्होंने प्रार्थी के साथ गाली गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी दी और कहा कि तुम आइंदा इस मकान में घुसने की भी कोशिश मत करना। हमने चुपचाप नूरजहां से वसीयत अपने नाम करा ली थी।

प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया गया है कि फरहत अली की ताई नूरजहां से सबूर अहमद और उसकी मां परवीन उस्मानी ने बहला-फुसलाकर ऐसी वसीयत करा ली, जिसको करने का अधिकार प्रार्थी की ताई नूरजहां उस्मानी को नहीं था। फरहत अली ने एडीएम सिटी को प्रार्थना पत्र को थाना दिवस में पंजीकृत करा कर साक्ष्य के आधार पर उपरोक्त मकान का मालिकाना हक दिलाकर फरहत अली भाई भाई राहत अली व बहनोई आसिफ अली को दिलाने की गुहार लगाई है। एडीएम सिटी ने फरहत के प्रार्थना पत्र पर निष्पक्ष कार्यवाई के लिए मेरठ जनपद के लिसाड़ी गेट थाना प्रभारी को आदेश दे दिए है।

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