हॉट सीट कैराना पर सियासी शतरंज- किसकी चाल होगी कामयाब?
गठबंधन और भाजपा अपनी चाल चल रही है लेकिन यह तो वक्त ही बतायेगा कि इस सियासी शतरंज में जीतने में कौन कामयाब होगा?
लखनऊ। हर पेशे में प्रत्येक व्यक्ति अपने काम करने के अंदाज से अपनी अलग पहचान रखते हैं। भाजपा के एक बड़े सियासी लीडर भी अपने कार्य से ही अलग पहचान रखते हैं, राजनीति की किताब में जिनको सियासी जादूगर भी कहा जाता है। सियासी जादूगर इसलिये कहा जाता है कि वह जहां पर भी चुनाव प्रचार करने जाते हैं, वहां पर चुनाव जीतने की राह को आसान बना लेते हैं। यूपी में हो रहे विधानसभा चुनाव में भी सत्ता पाने की मंजिल के लिये अन्य दल को मात देने के लिये सियासी जादूगर जुटे हुए हैं लेकिन इस बार हालातों को देखते हुए सियासी जादूगर के लिये राहें आसान नहीं नजर आ रही है। कैराना विधानसभा सीट पर गठबंधन और भाजपा अपनी चाल चल रही है लेकिन यह तो वक्त ही बतायेगा कि इस सियासी शतरंज में जीतने में कौन कामयाब होगा?
इस विधानसभा चुनाव में प्रथम चरण की सीटों में शामिल पश्चिमी यूपी में स्थित कैराना हॉट सीट बनी हुई है। इस कैराना विधानसभा सीट से पूर्व सांसद हुकुम सिंह ने वर्ष 2016 में पलायन का मुद्दा उठाया था। उन्होंने पत्रकार वार्ता कर कैराना और कांधला से पलायन करने वाले करीब 346 परिवारों की लिस्ट जारी की थी। उन्होंने यह मुद्दा लोकसभा में भी उठाया, जिसके बाद यह मुद्दा पूरे देश में छा गया। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस मुद्दे को आगे रखा। भाजपा इस सीट पर तो जीत हासिल ना कर सकी लेकिन पलायन के इस मुद्दे को लेकर यूपी में प्रचंड बहुमत हासिल कर सरकार बनाने में कामयाब रही। इसके बाद वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा भाजपा के लिये कैराना लोकसभा सीट सहित पूरे देश में फायदेमंद साबित हुआ और देश में दोबारा से भाजपा से सत्ता में लौट आई।
पूर्व सांसद हुकुम सिंह द्वारा उठाये गये पलायन के मुद्दे के बाद कैराना लोकसभा सीट पर हुए वर्ष 2018 के उपचुनाव में सपा और रालोद ने गठबंधन कर तबस्सुम हसन को रालोद के सिम्बल पर चुनावी रण में उतारा था, उनके सामने भाजपा ने अपनी प्रत्याशी मृंगाका सिंह को बनाया था। इस उपचुनाव में तबस्सुम हसन करीब 50 हजार वोटों से मृंगाका सिंह का मात देकर सांसद बन गई थी। अगले वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने हुकुम सिंह की बेटी का टिकट काटकर प्रदीप चौधरी को दिया। इस लोकसभा चुनाव में प्रदीप चौधरी ने तबस्सुम हसन को हरा दिया। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी प्रत्याशी हुकुम सिंह की पुत्री मृंगाका सिंह को कैराना विधानसभा सीट पर प्रत्याशी बनाया और सपा ने नाहिद हसन को प्रत्याशी बनाया था। लेकिन इस चुनाव में मृंगाका को हार का सामना करना पडा था।
कैराना से पलायन कर गये लोगों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वहां पहुंचकर मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने कई परिवारों से मुलाकात की। एक बच्ची को मुख्यमंत्री ने अपने पास बैठकार दुलारते हुए कहा कि बेटा अब आपको कोई डर तो नहीं है? बच्ची ने गर्दन हिलाकर ना का जवाब दिया। इसी दौरान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने बच्ची से कहा, डरना मत आप बाबा की बगल में बैठी हो। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद सियासी जादूगर के नाम से मशहूर भाजपा के बडे सियासी लीडर भी वहां पर पहुंचे। उन्होंने वहां पर घर-घर जाकर चुनावी प्रचार करते हुए पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। इस दौरान भाजपा प्रत्याशी मृंगाका सिंह भी उनके साथ दिखाई दी और उन्होंने लोगों से भाजपा को जिताने का आह्वान किया। इसके बाद उन्होंने भाजपा के पदाधिकारियों के साथ बैठक भी की। भाजपा कैराना विधानसभा सीट को अपनी झोली में डालना चाहती है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है मुख्यमंत्री के बाद सियासी जादूगर ने वहां पर पहुंचकर घर-घर जाकर चुनावी प्रचार किया।
यूपी में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने मृंगाका सिंह को अपनी प्रत्याशी बनाया और सपा ने भी नाहिद हसन को टिकट दिया। इस विधानसभा सीट पर वही प्रत्याशी ज्यों के त्यों हैं। कहा जाता है कि सियासी जादूगर जहां भी चुनाव प्रचार के लिये जाते हैं वहां पर ऐसा जादू करते हैं कि भाजपा के लिये चुनाव जीतना आसान हो जाता है लेकिन इस बार भी कैराना विधानसभा सीट पर चुनाव जीतना पहले से भी कठिन नजर आ रहा है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी ने भाजपा को उस वक्त हरा दिया, जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की लहर चल रही थी। इस बार रालोद और सपा का गठबंधन हुआ है। बताया जा रहा है कि इस विधानसभा सीट पर मुस्लिमों की वोट हिन्दुओं के मुकाबले चार गुणा ज्यादा हैं। गठबंधन प्रत्याशी इस वक्त जेल में हैं और लंदन से आई उनकी बहन इकरा हसन अपने भाई के लिये चुनाव प्रचार करने के लिये जुटी हुई है। बताया जा रहा है कि अन्य कारणों से नाराज चल रहे किसान भी सियासी जादूगर की पार्टी की झोली में वोट डालने से कतरा रहे हैं। अब देखने वाली बात यह है कि इस कैराना की सियासी शतरंज में किसकी चाल कामयाब हो पायेगी?