नई दिल्ली। हरियाणा में कांग्रेस नेताओं को एकजुट करने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ट्रैक्टर यात्रा करते हुए, पंजाब-हरियाणा सीमा पर पहुंचे थे। कृषि कानूनों को लेकर वह केन्द्र सरकार पर तीखा हमला कर रहे हैं लेकिन पंजाब और हरियाणा में इसी मुद्दे पर पार्टी के नेताओं को एकजुट भी करना चाहते हैं। इन दोनों राज्यों में किसानों का आंदोलन जोर पकड़ गया है। ट्रैक्टर किसानों का प्रिय वाहन है और इसपर एक साथ कई लोग सवारी भी कर सकते हैं। राहुल गांधी ने पिहोवा अनाज मंत्री ने किसानों, आढ़तियों और मजदूरों को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार अम्बानी और अडानी का रास्ता साफ करने में लगी हैं। उन्होंने इसकी वजह भी बताई। राहुल ने कहाकि अडानी और अम्बानी मोदी की मार्केटिंग कर सकते हैं। राहुल गांधी ने ट्रैक्टर पाॅलिटिक्स से अपनी पार्टी को एक करने का प्रयास किया है। उनके इस प्रयास का असर उपचुनाव के नतीजे से देखा जाएगा।
एक नयी सियासत के तहत कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की 'खेती बचाओ यात्रा' ने देवीगढ़ के रास्ते ट्यूकर बॉर्डर से करीब 4 घंटे की देरी से 6 अक्टूबर की शाम 4ः30 बजे हरियाणा में प्रवेश किया था। पंजाब की सीमा तक पंजाब के सैकड़ों कार्यकर्ता यात्रा के साथ रहे, लेकिन हरियाणा बाॅर्डर पर मारकंडा पुल पर ही पुलिस ने राहुल का काफिला रोक दिया। हरियाणा पुलिस के अधिकारियों ने कोविड-19 को लेकर गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस का हवाला देते हुए ज्यादा लोगों के साथ प्रवेश न देने की बात कही। इसे लेकर करीब 45 मिनट बहसबाजी होती रही। इस दौरान राहुल ट्रैक्टर पर ही बैठे रहे। कुछ वर्करों ने धरना भी दिया। हरियाणा कांग्रेस की तरफ से यात्रा के स्वागत के लिए भी पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला, कुमारी सैलजा समेत 15 नेताओं को मारकंडा पुल पर जाने दिया गया। बाद में सिर्फ 4 ट्रैक्टरों के साथ यात्रा को एंट्री दी गई। राहुल के अलावा प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने भी ट्रैक्टर चलाया। ज्योतिसर में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की। पिहोवा व कुरुक्षेत्र मंडी में राहुल ने जनसभाआओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने 6 सालों में देश की जनता पर कुल्हाड़ी चलाने का काम किया है। नोटबंदी, जीएसटी के बाद मोदी खेतीबंदी का काला कानून लेकर आए हैं। इसे देश का किसान कभी स्वीकार नहीं करेगा। नोटबंदी के दौरान जनता का पैसा बैंकों में जमा कराकर बड़े उद्योगपतियों का 3.50 लाख करोड़ रुपए का कर्जा माफ किया। किसान का एक रुपया माफ नहीं किया। जीएसटी से छोटे दुकानदारों और व्यापारियों को बर्बाद किया गया। इसका सीधा फायदा अंबानी अडानी को हुआ। कोरोना में लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया गया।
राहुल ने कहा, 'कानून किसानों के हक में थे तो संसद में बहस क्यों नहीं होने दी। कोरोना के समय ऐसे कानून लाने का काम क्यों किया गया। हिंदुस्तान का किसान कोरोना से नहीं डरता, वो लड़ना जानता है। एमएसपी व मंडी किसानों की आर्थिक सुरक्षा तय करते हैं। यदि मंडी टूट गई तो चेन सिस्टम टूट जाएगा। यदि किसान मजदूर गुलाम हुआ तो पूरा देश गुलाम होगा। कांग्रेस की सरकार बनने पर तीनों काले कानूनों को रद्द करके डस्टबिन में फेंक देंगे।' इस प्रकार राहुल ने अपने को पूरी तरह किसानों के साथ बताया।
हरियाणा में भाजपा सरकार होते हुए किसान गुस्से में हैं। नए कृषि कानूनों के विरोध में सैकड़ों की संख्या में किसान उसी दिन प्रदर्शन करने सिरसा पहुंचे थे। यहां विरोध के साथ-साथ डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला और बिजली मंत्री रणजीत सिंह के घर का घेराव भी होना था। इसलिए पुलिस भी बड़ी संख्या में तैनात थी। दोनों मंत्रियों के आवास से करीब 100 मीटर दूर पुलिस ने बैरिकेड्स लगा रखा था। दोपहर बाद जैसे ही करीब 17 अलग-अलग संगठनों से जुड़े किसान, नेता और कार्यकर्ता सिरसा पहुंचे तो उनमें से कुछ ने बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की। इसके बाद पुलिस ने वाटर कैनन और आंसू गैस के गोलों से किसानों को खदेड़ा। दो बार किसानों पर आंसूगैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया। करीब दो घंटे तक हंगामे के बाद भी किसान भूमणशाह चैक से नहीं हटे। मंत्रियों के आवास तक पहुंच अपनी बात रखने की मांग पर अड़े किसानों ने रात को चैक पर ही धरना लगा दिया। उनके लिए वहीं सेवादारों ने लंगर की भी व्यवस्था की। किसानों का नेतृत्व कर रहे किसान मंच के नेता प्रह्लाद सिंह भारूखेड़ा ने कहा कि जिन्होंने बैरिकेड्स तोड़ने का प्रयास किया, वे किसान नहीं हैं। ये शरारती लोग हैं।
बहरहाल, किसानों के आंदोलन को कई संगठनों का समर्थन मिल रहा है। सुबह 9 बजे से किसान सिरसा के सीडीएलयू के सामने स्थित दशहरा ग्राउंड में जुटने लगे थे। इसी मौके पर स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा कि ये आंदोलन अकेले सिरसा, हरियाणा या पंजाब का नहीं, बल्कि पूरे देश का है। इसीलिए इस पर राजनीति गहरा रही है।
राज्य में बरौदा विधानसभा सीट पर उपचुनाव भी होना है। हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल ने कहा कि निर्वाचन विभाग बरोदा के उप-चुनाव को स्वतंत्र, पारदर्शी, निष्पक्ष व सुरक्षित तरीके से आयोजित करवाने के लिए कटिबद्ध हैं और इसी कड़ी में कोविड-19 पोजिटिव मरीज मतदाताओं, 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं व दिव्यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलेट के माध्यम से मतदान करवाने की सुविधा दी जाएगी। वे चंडीगढ़ में बरोदा उप-चुनाव को आयोजित करवाने के उदेश्य से राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के मतदाताओं को पोस्टल वैलेट की सुविधा पहली बार बरोदा के उप-चुनाव में दी जा रही है। बरोदा चुनाव को निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से आयोजित करवाने के लिए 57 अतिरिक्त मतदान केंद्र बनाए गए हैं जबकि इससे पहले बरोदा विधानसभा में कुल 223 मतदान केंद्र थे जो अब बढ़कर 280 मतदान केंद्र हो गए हैं ताकि कोविड-19 के चलते मतदाताओं को मतदान करने में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न हों। चुनाव प्रचार या मतदान के दौरान कोई भी व्यक्ति आचार संहिता की उल्लंघन करता है तो उसकी शिकायत सी-विजिल एप के माध्यम से उसी समय वीडियो या फोटो के माध्यम से अपलोड कर भेज सकता है और इस बारे में मूल्यांकन टीम द्वारा कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से कहा कि उप-चुनाव को निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से आयोजित करवाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को सी-विजिल ऐप्प को डाऊनलोड करवाएं। सभी मतदान केंद्रों को मतदान से एक दिन पहले सैनेटाइज किया जाएगा।
हरियाणा सरकार ने बरोदा उपचुनाव के दौरान आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के मद्देनजर मुख्य सचिव विजय वर्धन की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया है। इस उपचुनाव में किसान बिल और उसके खिलाफ आंदोलन की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। (हिफी)