एएसपी आदित्य वर्मा को गैलेंट्री अवार्ड - सीएम सिटी में सुधारा यातायात

गोरखपुर के यातायात की शक्ल-ओ-सूरत बदलकर रख देने वाली उनकी गांधीगिरी सरकार को भा गई और उनको यह राष्ट्रपति पदक मिला

Update: 2020-08-15 07:17 GMT

कासगंज। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मस्थली जनपद गोरखपुर में तीन साल यातायात व्यवस्था को सुधारते हुए अप्रत्याशित परिणाम देने वाले अपर पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रकाश वर्मा को राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया। उनकी पुलिस सर्विस में यह पांचवां बड़ा पुरस्कार है। 74वें स्वतंत्रता दिवस पर पुलिस सर्विस का ये बड़ा सम्मान चिन्ह उनकी वर्दी पर टैग किया गया, तो गौरव का यह क्षण पाकर वह भी हर्षित नजर आये। यह पुरस्कार उनके तीन वर्षों के उस अथक प्रयास और परिश्रम का फल है, जो उनके द्वारा सीएम सिटी गोरखपुर में एसपी ट्रैफिक के पद पर रहते हुए किया। उनकी गोरखपुर के यातायात की शक्ल-ओ-सूरत बदलकर रख देने वाली उनकी गांधीगिरी सरकार को भा गई और तीन साल के सराहनीय कार्य के लिए उनको यह राष्ट्रपति पदक (प्रेजीडेंट पुलिस मेडल) मिला।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आध्यात्मिक और राजनीतिक कर्मभूमि जनपद गोरखपुर में पूर्व में पुलिस अधीक्षक यातायात रहे 1991 बैच के पीपीएस अफसर आदित्य प्रकाश वर्मा वर्तमान में एएसपी कासगंज के पद पर कार्यरत हैं। सरकार ने जून 2020 में उनका स्थानांतरण कासगंज में कर दिया था। आज आदित्य प्रकाश वर्मा उर्फ राजू को गोरखपुर में एसपी ट्रैफिक के रूप में तीन साल तक किये गये सराहनीय कार्य के लिए पारिश्रमिक के तौर पर यह राष्ट्रपति पदक मिला है। गोरखपुर में यातायात सुधारने और लोगों को सड़कों पर सुरक्षित यातायात के लिए जो प्रयत्न आदित्य प्रकाश वर्मा ने अफसर कम, प्रेरक ज्यादा बनकर किये, वो परिवर्तन आज गोरखपुर में उनकी गैरमौजूदगी के बाद भी सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं। सीएम सिटी में उनके द्वारा स्थापित ट्रैफिक बूथ आज भी लगा हुआ नजर आता है। वाहन चालक आज भी हेलमेट पहन कर ही अपने वाहन पर सवार नजर आते हैं। उनकी 'यातायात की पाठशाला' को विद्यार्थी आज भी याद करते हैं। सुरक्षित यातायात के प्रति लोगों को उनके जागरूकता अभियान भुलाये नहीं भूलते हैं, जिसमें वह एक गांधीवादी विचारधारा के साथ लोगों को समझाते हुए सड़कों पर हाथ में गुलाब के फूल और हेलमेट लिये समझाते नजर आते थे। वह बच्चों से गलबहियां कर यहां की सड़कों पर उनको अपने अभिभावकों, पडौसियों और भाई-बहनों को सुरक्षित यातायात के लिए यातायात के नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करते हुए भी दिखाई दिये। गोरखपुर को जाम मुक्त शहर बनाने के लिए उन्होंने वह सारे प्रयास बिना किसी दबाव, सख्ती और बदमिजाजी के जनसहयोग हासिल कर किये, जो शायद किसी भी अफसर के लिए बड़ी चुनौती से कमतर साबित नहीं होंगे। आदित्य प्रकाश वर्मा ने गोरखपुर में तैनात रहते हुए तीन बार अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय सम्मान हासिल किये। इनमें पहला सम्मान डाॅक्टर एसएन सुब्बाराव अवार्ड के रूप में उनको गांधीवादी विचारधारा से पुलिस वर्क को जोड़ने के लिए दिया गया, जो लोटस टैम्पल नई दिल्ली में 2018 में आयोजित समारोह में उन्होंने प्राप्ता किया। गांधी प्रतिष्ठान नई दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में उनको चैधरी रणवीर सिंह हुड्डा अवार्ड 2018 मिला, जोकि उनका दूसरा बड़ा पुरस्कार रहा। तीसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मान उनको ग्लोबल शांति अवार्ड के रूप में इन्दौर में मिला। इसके अलावा आदित्य प्रकाश वर्मा बापू सेवा रतन अवार्ड से भी सम्मानित किये जा चुके हैं। यह अवार्ड उनको हाल ही में बांग्लादेश में मिलना था, लेकिन कोरोना संकट काल के कारण वह यह अवार्ड प्राप्त करने नहीं जा पाये और अब उनको गोरखपुर में यातायात की दिशा व दशा बदलने के लिए किये गये कार्य के प्रति सम्मान के रूप में राष्ट्रपति पदक प्रदान किय गया है।


                                                                                             जनता का जीता दिल, सरकार को दिया करोड़ों का राजस्व

अपर पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रकाश वर्मा ने 11 जून 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का गृहजनपद होने के नाते वीवीआईपी की श्रेणी में शुमार गोरखपुर में एसपी ट्रैफिक का पदभार सम्भालने के बाद शहरी यातायात व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन किये, जिसके लिए वह याद किये जाते हैं। उन्होंने गुलाब के फूल के साथ गांधीगिरी करते हुए जनता का दिल जीता तो यातायात नियमों को खेल बनाने वाले लोगों को जमकर सबक सिखाते हुए चालान के सहारे करोड़ों का राजस्व सरकार को देने का काम भी किया। 1 जनवरी 2018 से 31 जुलाई 2018 तक 12,021 चालान काटे और 2617850 रूपये शमनशुल्क के रूप में वसूले, 2019 में इसी अवधि में उन्होंने विशेष अभियान चलाकर लगभग चार गुना 46085 चालान काटे और लगभग तीन गुना 6541800 रूपया शमनशुल्क वसूला। इससे पूर्व इसी अवधि में 2016 व 2017 में क्रमशः 13434 व 11555 चालान काटे और क्रमशः 1355100 व 1789800 रूपये शमन शुल्क के रूप में वसूले गये थे।


                                                                             आदित्य प्रकाश वर्मा की दरियादिली नहीं भूलते गोरखपुर के होमगार्ड्स

गोरखुपर जनपद में बतौर एसपी ट्रैफिक आदित्य प्रकाश वर्मा ने लीक से हटकर काम किया। उन्होंने यातायात व्यवस्था संभालने में दिन रात मेहनत करने के बावजूद भी दोयम दर्जे के कर्मचारी के रूप में देखे जाने वाले होमगार्ड्स को सार्वजनिक तौर पर सम्मानित करने का कोई अवसर नहीं गंवाया। होमगॉर्ड्स को धूप से बचाने के लिए कैप का वितरण और किसी भी होमगार्ड के रिटायर होने पर फेयरवेल की परम्परा को उन्होंने बढ़ावा दिया। इसके साथ उन्होंने अच्छा कार्य करने वाले होमगार्ड को सम्मानित करने की परम्परा भी शुरू की है। आदित्य प्रकाश वर्मा ने ऑटो चालकों का ब्लडग्रुप चैक कराकर उन्हें यातायात पुलिस मित्र के रूप में विशेष परिचय पत्र देने की योजना को भी अमली जामा पहनाया है। इसके साथ ही उन्होंने ऑटो चालकों को निशुल्क वर्दी वितरण भी कराया है।


                                                                                             वाणिज्य कर की नौकरी छोड़कर बने पीपीएस अफसर

ट्रेड टैक्स विभाग की नौकरी छोड़कर पुलिस की नौकरी में आये 1991 बैच के पीपीएस अफसर आदित्य प्रकाश वर्मा पूर्व में आईडीबीआई व सिड़बी में प्रबन्धक के पद पर भी कार्य कर चुके हैं। कानपुर के मूल निवासी आदित्य प्रकाश वर्मा का प्रचलित नाम राजू है और इस नाम के अनुसार उनका मिजाज भी है। उन्होंने बीएससी मैथ व फिजिक्स से करने के बाद टैक्सटाईल टैक्नोलाॅजी में एमटैक की डिग्री व मार्केटिंग मैनेजमैंट में पीजी डिप्लोमा भी प्राप्त कर रखा है। वे गांधी पीस फाउंडेशन के लाईफ मैम्बर भी हैं।



 


 

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