भरोसे का कत्ल-दोस्त ने ली समीर सैफी की जान
एसएसपी अभिषेक यादव और एसपी सिटी सतपाल आंतिल के निर्देशन में इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने 72 घंटे
मुजफ्फरनगर। जीवन में दोस्त को सबसे अच्छा और सच्चा मार्गदर्शक माना जाता है। कहा जाता है कि जिसके पास अच्छे दोस्त हैं, उसके लिए हर चुनौती और मुश्किल आसान हो जाती है, लेकिन मुजफ्फरनगर में एक ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें भरोसे का कत्ल हुआ है। एक दोस्त ने ही दोस्त के साथ विश्वासघात करते हुए उसकी नृशंस हत्या कर डाली। इस घटना को पुलिस ने खोलकर कातिल दोस्तों की साजिश का भंडाफोड किया है।
एसएसपी अभिषेक यादव और एसपी सिटी सतपाल आंतिल के निर्देशन में इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने 72 घंटे में केस खोला
एसएसपी अभिषेक यादव और एसपी सिटी सतपाल आंतिल के निर्देशन में इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने 72 घंटे के भीतर ही इस वारदात को खोलकर हत्या में शामिल रहे सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इस हत्या के पीछे दोस्तों के बीच पैसों के लेनदेन का विवाद सामने आया है।
मुजफ्फरनगर के शहर कोतवाली थाना क्षेत्र के मोहल्ला लद्दावाला बकरा मार्किट निवासी 28 वर्षीय समीर सैफी एडवोकेट पुत्र अजहर सैफी बीती 15 अक्टूबर की शाम को अपने घर से निकला था। वह परिजनों को यह बताकर गया था कि अपने दोस्तों के साथ जा रहा है। इसके बाद देर रात तक भी वह नहीं लौटा तो उसके परिजनों ने शहर कोतवाली पहुंचकर गुमशुदगी के सम्बंध में सूचना दी। 16 अक्टूबर की शाम करीब सात बजे ही शहर कोतवाली में समीर सैफी की गुमशुदगी के सम्बंध में एफआईआर दर्ज कर ली गयी थी। इसके साथ ही पुलिस समीर की तलाश में जुट गयी थी। थाना कोतवाली प्रभारी इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने कई टीमों को लगाया और सूचना दर्ज होने के 72 घंटे के बाद ही पुलिस ने इस केस को सुलझाने में सफलता हासिल कर ली।
इस मामले में इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने अपनी टीम के साथ मिलकर छानबीन की और समीर के मोबाइल को ट्रेस किया तो उसके साथ उसके दोस्त की लोकेशन मिली। अगले ही दिन पुलिस ने समीर के दोस्त सिंगुर अल्वी को हिरासत में ले लिया। उससे पूछताछ की गयी तो वह पुलिस को गुमराह करने लगा। सिंगुर अल्वी के ड्राईवर रिजवान उर्फ सोनू और उसके नौकर अरबाज उर्फ शालू को भी हिरासत में लिया गया। इनसे पूछताछ करने पर यह भी पुलिस को गोल-गोल घुमाने लगे। पुलिस के पास इनके खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत हाथ नहीं लग पा रहा था। जबकि पुलिस को यह आंदेशा हो गया था कि समीर के गुमशुदा होने में इन्हीं लोगों का हाथ है। तब तक पुलिस इस नतीजे पर नहीं पहुंच पायी थी कि समीर की हत्या भी की जा सकती है। समीर को सकुशल बरामद किये जाने के लिए इंस्पेक्टर अनिल कपरवान ने अपनी पूरी सूझबूझ के साथ काम किया। उन्होंने इस केस में धैर्य नहीं खोया और हिरासत में लिये गये सिंगुर अल्वी व उसके नौकरों के द्वारा पुलिस को लगातार भ्रमित किये जाने के बाद वह काम पर डटे रहे। इन लोगों ने पुलिस को खूब छकाया। पूछताछ में उन्होंने 15 अक्टूबर की शाम समीर सैफी के साथ होने की बात तो कबूल कर ली थी, लेकिन वह उसको शहर में ही छोड़कर चले जाने की बात पर अड़े हुए थे। कभी उन्होंने पुलिस को बताया कि वह समीर को वहलना चौक पर कार से उतारकर चले गये थे तो कभी बताया कि होली एंजिल्स स्कूल के पास उन्होंने समीर को छोड़ दिया था। पुलिस इनके द्वारा दी गयी जानकारी को सच के पैमाने पर परखने में दिन रात जुटी रही। होली एंजिल्स स्कूल के पास सीसीटीवी फुटेज को खंगाला गया। सीडीआर निकलवाकर उसको परखा गया, लेकिन पुलिस नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही थी। इसी बीच अपराधी लगातार पुलिस को गुमराह कर रहे थे। समीर के मोबाइल फोन की लोकेशन और उससे किये गये अंतिम एसएमएस ने पुलिस को उलझा रखा था। जबकि यह एक साजिश का हिस्सा था। आखिरकार पुलिस ने सर्विलांस से मिले सुबूतों को जब कड़ी से कड़ी मिलाकर जोड़ा तो सिंगुर अल्वी द्वारा रचित सारी साजिश का पर्दाफाश हो गया। मोबाइल फोन लोकेशन व अन्य सुबूतों के साथ जब पुलिस ने सिंगुर और उसके साथियों को दबोचकर सख्ती से पूछताछ की तो समीर के लापता होने की कहानी की बन्द मुट्ठी की तरह खुल गयी।
सिंगुर अल्वी ने घर से ले जाने के बाद कार में ही समीर का कत्ल कर दिये जाने की बात को स्वीकार किया। समीर के कत्ल का राज खुला तो आक्रोश पैदा हो गया। अब पुलिस के सामने उसकी लाश को बरामद करने के साथ ही शांति कायम करने की चुनौती भी बनी थी। पुलिस ने यहां भी सूझबूझ दिखाते हुए सभी को विश्वास में लेकर काम किया। सिंगुर अल्वी ने पुलिस को बताया कि पैसों के लेनदेन में समीर के साथ उसका विवाद चल रहा था। 15 अक्टूबर की शाम उसने समीर को फोन किया और उसे बहाने से अपने साथ ले लिया। कार में भोपा रोड पर पहुंचने पर सिंगुर अल्वी ने रस्सी से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। कार में उसके साथ रिजवान और अरबाज भी थे। जिन्होंने समीर की हत्या में पूरा साथ दिया। यहां से वह वहलना चौक पहुंचे और समीर के मोबाइल फोन से सीए नायाब अहमद को एक एसएमएस किया, जिसमें कहा गया कि मैं आपसे मिलने के लिए 19 अक्टूबर को आऊंगा। ये पुलिस को भ्रमित करने की प्लानिंग का एक हिस्सा था। सिंगुर अल्वी ने पुलिस को बताया कि समीर को हत्या से पहले ही नशीला पदार्थ पिला दिया गया था ताकि वह ज्यादा विरोध करने की स्थिति में ना रह सके। हत्या के बाद सिंगुर गांव सीकरी के जंगल में अपने पोल्ट्री फार्म पर पहुंचा और वहां अपने नौकर दिनेश कुमार जो पोल्ट्री फार्म का कामकाज देखता है, से एक गडढा खुदवाकर समीर की लाश को उसमें दफन कर दिया। पुलिस ने 19 अक्टूबर की रात में ही समीर का शव सिंगुर के पोल्ट्री फार्म से बरामद कर लिया। इंस्पेक्टर अनिल कपरवान के अनुसार सिंगुर और समीर बहुत अच्छे दोस्त थे। पैसो के विवाद में दोनों में खटास आ गयी। समीर की हत्या एक सोची समझी साजिश का हिस्सा रही है।
भरोसे के कत्ल के सनसनीखेज घटनाक्रम से जुड़ी इस वारदात का शहर कोतवाली इंस्पेक्टर कपरवान ने 72 घंटे में ही खुलासा करने का काम किया है। 16 अक्टूबर की शाम को रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने तलाश शुरू की और 19 अक्टूबर को वह इस केस को खोलने में कामयाब हो गये थे। इस केस को खोलने में इंस्पेक्टर अनिल कपरवान के साथ ही कोतवाली के एसएसआई मनोज यादव, चौकी प्रभारी रामलीला टिल्ला एसआई जितेन्द्र सिंह, चौकी प्रभारी आबकारी एसआई राजेन्द्र वशिष्ठ, चौकी प्रभारी खालापार एसआई विनय शर्मा के अलावा कांस्टेबल अमित तेवतिया और कांस्टेबल मनेन्द्र सिंह शामिल रहे।
19 को आऊंगा, समीर आया, लेकिन लाश बनकर
युवा अधिवक्ता समीर सैफी की हत्या का खुलासा होने के बाद परिजन और अधिवक्ता समाज भी सकते में हैं। दोस्त ने ही भरोसे में लेकर समीर की हत्या को अंजाम दिया। इस सारे घटनाक्रम में एक अजीब संयोग भी सामने आया है। हत्यारोपी सिंगुर अल्वी ने समीर की हत्या करने के बाद पुलिस को भ्रम में फंसाने के लिए रची गयी साजिश के तहत जब समीर के मोबाइल फोन से वहलना चौक जाकर सीए नायाब को एसएमएस किया तो उसमें उसने लिखा था, ''नायाब साहब मैं आपसे मिलने के लिए 19 अक्टूबर को आऊंगा'', पुलिस के अनुसार सीए नायाब का भी समीर के साथ पैसों को लेकर कुछ विवाद चल रहा था। इसी सन्दर्भ में समीर के मोबाइल से यह एसएमएस नायाब को किया गया। सिंगुर अल्वी इस विवाद के बारे में जनता था। अब इस एसएमएस से यह संयोग जुड़ा कि समीर 19 अक्टूबर को आया तो जरूर लेकिन जिन्दा नहीं, बल्कि एक लाश के रूप में। पुलिस ने 19 अक्टूबर की शाम को यह साफ कर दिया था कि समीर जीवित नहीं है और उसी रात को सीकरी में सिंगुर अल्वी के पोल्ट्री फार्म से समीर की लाश को बरामद कर लिया गया था।