पाक द्वारा गिलानी का महिमा मंडन, पलटवार करेगा भारत?
जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा समाप्त कर जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के नाम से दो नए केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए थे।;
नई दिल्ली। विगत वर्ष 5 अगस्त, 2019 को भारत के संविधान से अनुच्छेद 370 व 35 ए को हटाया गया था तथा जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा समाप्त कर जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के नाम से दो नए केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए थे। इस घटना के एक वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। इस आदेश के बाद अगले कुछ महीनों तक आतंकवादी घटनाओं में अपेक्षाकृत कमी नजर आई। परन्तु जनवरी से सीमापार से घुसपैठ व केंद्र शासित क्षेत्र जम्मू- कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में उत्तरोत्तर तेजी बढ़ती जा रही है। पाकिस्तान ने जेहादी आतंकवाद को पल्लवित व पोषित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी है। अब उसने कश्मीर के ठप पड़े अलगाववादी आंदोलन में नई जान डालने का निर्णय किया है। कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को कश्मीरी युवाओं के लिए पोस्टर ब्वॉय या रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत करने का निर्णय किया है। ध्यान रहे पाकिस्तानी संसद के ऊपरी सदन सीनेट ने प्रस्ताव पारित कर कश्मीरी अलगाववादी नेता सैय्यद अली गिलानी की प्रशंसा की है। सीनेट ने पाकिस्तानी सरकार से उसे देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित करने का आह्वान किया।
प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पाकिस्तान की सीनेट में पारित किया गया, जिसमें सैयद अली गिलानी के तथाकथित अथक संघर्ष की प्रशंसा की गई। सरकार और विपक्ष की बेंचों ने अटल प्रतिबद्धता, समर्पण, दृढ़ता और नेतृत्व के लिए बीमार कश्मीरी नेता की प्रशंसा करते हुए संयुक्त रूप से संकल्प पारित किया। पाकिस्तान का यह कदम मोदी सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर राज्य के विशेष दर्जे के खत्घ्म होने के एक साल पूरे होने के दृष्टिगत आया है। 5 अगस्त, 2019 को भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे वाले अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त कर दिया था और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया। उसके बाद से जम्मू और कश्मीर घाटी में कफ्र्यू लागू किया गया।
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर राज्य की विशेष दर्जे को समाप्त करने के विरोध में घाटी में 5 अगस्त और 15 अगस्त को हड़ताल की सैयद अली गिलानी की घोषणा के कुछ ही घंटों के बाद पाकिस्तान में यह कदम उठाया गया। गिलानी ने एक बयान में कहा कि 5 अगस्त कश्मीर के सबसे अंधकारपूर्ण अध्यायों में से एक है। उन्हें इस दिन को जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए और दुनिया भर के कश्मीरी प्रवासियों को भारतीय दूतावासों के बाहर विरोध प्रदर्शन करना चाहिए।
जानकारी हो कि रिपोर्टों। में बताया गया कि तहरीक-ए-हुर्रियत के नेता सैयद अली गिलानी ने कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ पाकिस्तान का समर्थन किया है। वे लंबे समय से भारत से आजादी और पाकिस्तान के साथ एकीकरण की मांग कर रहे हैं। हुर्रियत के अन्य नेताओं के साथ गिलानी को अतीत में कई बार हिरासत में लिया गया है क्योंकि कश्मीर घाटी में नजरबंदी, कर्फ्यू और संचार को बंद करना जारी है। 90 वर्षीय बुजुर्ग हुर्रियत अब बीमार हो गए हैं और उन्घ्हें घर में नजरबंद कर दिया गया है। पाकिस्तान ने नाराजगी व्यक्त करते हुए इसे अनुचित करार दिया है, क्योंकि वह स्वास्थ्य की दृटि से काफी कमजोर हो गए हैं।
पाकिस्तान की सीनेट में पारित प्रस्ताव में संघीय सरकार को इस्लामाबाद में पाकिस्तान यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग का नाम बदलकर सैयद अली शाह गिलानी यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड इमर्जिंग साइंसेज के रूप में प्रस्ताव किया गया है। संकल्प में यह भी कहा गया है कि संघीय और प्रांतीय स्तर पर सैयद अली शाह गिलानी के उठने और संघर्ष करने को शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए और गिलानी को उनकी पसंद के स्थान पर सर्वोत्तम उपलब्ध उपचार में मदद करने के लिए विश्व की मदद जुटाए। एक अन्य घटनाक्रम में कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के एक पोस्टर की चर्चा सरगर्म है। कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में कई घरों और गाड़ियों पर हिज्बुल मुजाहिदिन के पोस्टर चिपके मिले हैं। इन पोस्टरों में लड़कियों को डांस का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट न करने की धमकी दी गई है। पोस्टर में आम लोगों को भी पुलिसकर्मियों से दूर रहने की चेतावनी दी गई है।
ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि आतंकी समूह की तरफ से ये पोस्टर लोगों में भय पैदा करने के लिए लगवाए गए हैं। बीते एक साल के दौरान सुरक्षाबलों के जबरदस्त ऑपरेशन ने आतंकी समूहों की कमर तोड़ कर रख दी है। ऐसे में नए पोस्टर के जरिए अपनी मौजूदगी दर्ज करवाने की कोशिश की गई है। स्मरण रहे कि बीते जून महीने में जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने बताया था कि बीते चार सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब आतंकी ग्रुप जॉइन करने वालों से ज्यादा संख्या में आतंकियों का सफाया किया गया है। आतंकरोधी अभियान की ताजा सफलताओं पर बातचीत करते हुए उन्होंने कहा था कि 2020 सुरक्षाबलों के लिए सबसे बड़ी सफलता वाला साल बन गया है। उन्होंने हाल में मारे गए हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नायकू का जिक्र किया। साथ ही पुलवामा जैसे हमले की एक साजिश को नाकाम करने के बारे में भी बताया था।
स्मरण रहे विगत मास सैयद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कांफ्रेंस से त्यागपत्र दिया था। तब भारतीय कूटनीतिज्ञों ने इसे गिलानी का पाक से मोहभंग बताते हुए अलगाववाद से उसकी तोबा बताया था। भारतीय समाचार माध्यमों में गिलानी के बारे में बहुत कुछ लिखा गया। दावे चाहे जितने किये जायं परन्तु वास्तविकता है कि 2 बार सर्जिकल स्ट्राइक से पाक के मंसूबे कमजोर पड़ने की बजाय और मजबूत हो गए नजर आते हैं। वह एक तरफ सीमा पार जो वस्तुतः भारतीय क्षेत्र ही है, से आतंकवादियों को कवर फायर देकर भारत में घुसपैठ करा रहा है, इनमें तालिबान के आतंकवादी भी शामिल बताए जाते हैं। वहीं दूसरी ओर कूटनीतिक मोर्चे पर भारत की नाक में दम किए हुए है। भारतीय राजनयिक व पुलिस अधिकारी दावे चाहे जितने कर लें। परन्तु वे पाक के इरादे व कारनामे का आकलन करने में सफल साबित नहीं हो पा रहे हैं।
इतिहास बताता है कि मोहम्मद गोरी सत्रह बार पराजित हो नेके बाद भी अपने इरादों से विमुख नहीं हुआ। तो क्या गिलानी के महिमा मंडन का भारत सरकार माकूल जवाब देगी या शब्दों की बाजीगरी दिखाएगी। अब तो रॉफेल भी है। युद्ध को शत्रु की जमीन पर ले जाना समय की मांग है।
(मानवेन्द्र नाथ पंकज-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)