सिनेमा पर पड़ी कोरोना की बेरहम मार

Corona's heartless hit on cinema

Update: 2020-12-26 15:11 GMT

मुजफ्फरनगर। मनोरंजन के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाला सिनेमा उद्योग भी कोरोना महामारी का दंश झेलने को मजबूर है। जहां कभी दर्शकों की भीड़ जुटा करती थी, वहां अब पांच शो में औसतन 20-25 दर्शक ही आ रहे हैं। कोरोना महामारी का असर ऐसा हुआ है कि सिनेप्लेक्स का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा है। भीड़ किसे कहते हैं, यह तो कोरोना काल के बाद जैसे सिनेमा के कर्मचारी भूल ही गये हैं। सिनेमा की कैंटीन सब सामान होने के बाद भी वीरान पड़ी रहती है। टिकट काउंटर पर जहां टिकट देने के लिए आपाधापी का माहौल रहता था, वहां अब सन्नाटा नजर आता है। टिकट का शुल्क कम करने के बाद भी दर्शक सिनेमा से नदारद हैं। यह तो सिनेमा मालिकों की महानता है कि वे निर्बाध रूप से सिनेमा कर्मचारियों का वेतन दे रहे हैं और उन्हें ढांढस बंधा रहे हैं कि कुछ दिनों में फिर से सब पहले जैसा हो जायेगा।  

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जब से कोरोना ने देश में दस्तक दी है, तब से सब जैसे अस्त-व्यस्त हो गया है। व्यापार धंधे चौपट हो गये हैं। बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार हो गये हैं। जहां देखो, वहीं कोरोना की मार दिखाई देती है। सिनेमा जगत भी कोरोना की मार से अछूता नहीं रहा है। नगर के मशहूर व प्राचीन चन्द्रा सिनेप्लेक्स का भी यही हाल है। यहां रोजाना पांच शो चल रहे हैं, लेकिन दर्शकों का टोटा है। मात्र 20 से 25 दर्शक ही फिल्म देखने के लिए आते हैं। चन्द्रा सिनेप्लेक्स में वंडर वूमेन-2 का प्रसारण किया जा रहा है। यह वह सिनेमा है, जो कोरोना से पूर्व दर्शकों की भीड़ से भरा रहता था, लेकिन कोरोना के बाद सिनेमा से भीड़ गायब हो गई है।

चन्द्रा सिनेप्लेक्स के मैनेजर आसिफ मिर्ज़ा से खोजी न्यूज ने इस संबंध में बातचीत की। मैनेजर आसिफ ने बताया कि कोरोना काल के बाद दर्शकों का टोटा है। सिनेमा हाॅल में रोजाना दर्शकों की भारी भीड़ रहती थी, लेकिन जब से कोरोना ने दस्तक दी है, तब से दर्शक ही नहीं दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना के चलते लोगों की आर्थिक तंगी के चलते कमर टूट चुकी है। बेरोजगारी बढ़ गई है, वहीं कोरोना का खौफ लोगों के दिमाग में छाया हुआ है, जिसके चलते दर्शक सिनेमा से दूरी बनाये हुए हैं। उन्होंने बताया कि सिनेप्लेक्स में एक दिन का खर्च 12 से 13 हजार रुपये आता है, चाहे दर्शक आये या न आयें। अनलाॅक की प्रक्रिया के बाद सिनेमा हाॅल तो खुल गये हैं, लेकिन दर्शक नहीं है। ऐसे में आमदनी की बात तो छोड़ दो, रोजाना का खर्च भी नहीं निकल पाता है। जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आयेगी, तब तक सिनेमा जगत इसी तरह से मंदा पड़ा रहेगा।

बहुत नेकदिल इंसान है सिनेप्लेक्स के मालिक:आसिफ मिर्ज़ा

मैनेजर आसिफ मिर्ज़ा ने बताया कि सिनेप्लेक्स के मालिक संजय घई बहुत नेकदिल इंसान है। वे लगातार स्टाफ का हौंसला बढ़ाते हैं और कहते हैं कि इंतजार करो सब सही हो जायेगा। आसिफ का कहना है कि कोरोना से पूर्व सिनेप्लेक्स में 15 लोगों का स्टाॅफ था। कोरोना काल में तीन व्यक्ति खुद ही काम छोड़कर चले गये, वे परमानेंट नहीं थे। सिनेप्लेक्स के मालिक ने किसी को भी नौकरी छोड़ने के लिए नहीं कहा और वे बराबर कर्मचारियों का वेतन दे रहे हैं। आसिफ ने बताया कि किसी शो में 50 दर्शक आ जाते हैं, तो किसी शो में 5 रह जाते हैं। कोई भी संख्या निर्धारित नहीं है। यदि पूरे माह के औसत की बात करें, तो प्रतिदिन 20-25 दर्शक सिनेप्लेक्स में मूवी देखने के लिए आ रहे हैं। कोरोना के चलते सिनेमा व्यवसाय अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है।

वीरान रहती है कैंटीन: नाजिद हैदर

मूवी में जब इंटरवल होता है, तो दर्शक कैंटीन की ओर जाते हैं। कैंटीन पर रिफ्रेशमेंट का जो सामान मिलता है, उसे दर्शक खरीदते हैं, जिससे कैंटीन मालिक को भी लाभ होता है। लेकिन अब जब दर्शक ही नहीं हैं, तो कैंटीन ही कौन आयेगा। चन्द्रा सिनेप्लेक्स की कैंटीन पर चिप्स, कोल्ड ड्रिंक व अन्य खाद्य सामग्री मौजूद है, लेकिन उसे खरीदने के लिए एक-दो दर्शक ही आता है, जिसके कारण कैंटीन वीरान सी नजर आती है। कैंटीन पर कार्य करने वाले नाजिद हैदर ने बताया कि कैंटीन से बिक्री ही नहीं हो रही है। बाहर से कोई सामान जैसे पेटीज, पैस्ट्री आदि मंगाने की कोरोना के चलते मनाही है। उसे भी छोड़ दे, तो जब दर्शक ही नहीं है, तो बिक्री का तो सवाल ही नहीं उठता है। कोरोना काल में कारोबार बिल्कुल मंदा  हो गया है। सिनेप्लेक्स के मालिक उन्हें समय से वेतन दे रहे हैं, जिसके चलते उनके परिवार का पालन-पोषण हो रहा है। कैंटीन को पहले की तरह ही सभी सुविधाएं मिल रही है।

रेट कम किये गये, फिर भी नहीं आये दर्शक

चन्द्रा सिनेप्लेक्स के मालिक आसिफ मिर्ज़ा ने बताया कि कोरोना से पहले उनके यहां तीन रेट लिस्ट थी, जिसमें प्लेटिनम के लिए 150, गोल्ड के लिए 120 व सिल्वर के लिए 90 रुपये का टिकट था। अब टिकटों के दाम क्रमशः 100, 80, 60 कर दिये गये हैं, बावजूद इसके दर्शकों की संख्या में कोई भी इजाफा नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि कोरोना के चलते जो-जो निर्देश दिये गये हैं, उनका पूर्णतः पालन किया जा रहा है। दर्शकों को सिनेमा में जाने से पहले सैनेटाईज किया जाता है। फेस मास्क पहनकर आने वाले दर्शकों को ही अंदर जाने दिया जाता है।

मैनेजर आसिफ मिर्जा ने बताया कि सिनेप्लेक्स से कमाई होना तो दूर, खर्च भी नहीं निकल पा रहा है। सिनेप्लेक्स के ऑनर संजय घई सिनेप्लेक्स का पूर्ण खर्च वहन कर रहे हैं, वहीं कर्मचारियों का वेतन भी समय से दे रहे हैं। उनका कहना है कि वेतन के अलावा भी यदि किसी कर्मचारी को कोई जरूरत है, तो वे उनसे बेझिझक कह सकते हैं। जब तक वे हैं, सिनेप्लेक्स के कर्मचारियों को किसी भी तरह की कोई कमी नहीं होने देंगे। कर्मचारी लगातार अपना काम करते हैं। वे लगातार सिनेप्लेक्स में शो चलाएं। दर्शक आये या न आयें, इससे कर्मचारियों को कोई मतलब नहीं है। संजय घई का कहना है कि और कुछ दिनों बाद जब कोरोना का कहर कम होगा, फिर से दर्शकों की भीड़ आयेगी और सिनेमा कारोबार अच्छा चलेगा। जिस प्रकार चन्द्रा सिनेप्लेक्स के मालिक संजय घई कर्मचारियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निर्वहन कर रहे हैं, वह बहुत ही कम लोग कर पाते हैं।

कोरोना काॅल में जब सरकार द्वारा अनलाॅक की प्रक्रिया शुरू हुई, तो सिनेमाओं को खोलने की इजाजत दी गई। एक सीट छोड़कर एक सीट पर दर्शकों के बैठने की अनुमति भी दी गई। लेकिन सिनेमा में दर्शकों की संख्या कैसे बढ़े, इस बात पर भी सरकार को अवश्य ही ध्यान देना चाहिए। मनोरंजन के क्षेत्र में सिनेमा कारोबार अपना एक अलग स्थान रहता है। जिस प्रकार की स्थिति अब चल रही है, यदि लम्बे समय तक यही स्थिति बरकरार रही, तो सिनेमा कारोबार बंद होने के कगार पर आ जायेगा, जिससे सरकार को भारी राजस्व की हानि होगी। इसलिए सरकार को सिनेमा कारोबार को फिर से स्थिर करने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाने की आवश्यकता है।

रिपोर्टः प्रवीण गर्ग

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