मुख्यमंत्री ने बाल श्रम से मुक्ति के लिए जनप्रतिनिधियों से मांगा सहयोग

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि विभिन्न प्रकार के कार्यों में लगे कम उम्र के कामकाजी बच्चों की पहचान कर बाल एवं किशोर श्रम अधिनियम के तहत उन्हें कार्यस्थलों से अवमुक्त कराने में अपना हर सम्भव सहयोग प्रदान करे।

Update: 2019-08-20 14:30 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश को बाल श्रम के अभिशाप से मुक्त कराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्थानीय निकायों के समस्त जनप्रतिनिधियों को पत्र लिखा है। पत्र के माध्यम से उन्होंने समस्त जिलाध्याक्षों, जिला पंचायत सदस्यों, नगर निगमों के महापौर एवं नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत के अध्यक्ष, वार्ड पार्षद, ब्लाक प्रमुख, सचिव और ग्राम प्रधानों से सहयोग मांगा हैं।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि विभिन्न प्रकार के कार्यों में लगे कम उम्र के कामकाजी बच्चों की पहचान कर बाल एवं किशोर श्रम अधिनियम के तहत उन्हें कार्यस्थलों से अवमुक्त कराने में अपना हर सम्भव सहयोग प्रदान करे। उन्होंने जनप्रतिनिधियों को सम्बोधित पत्र में कहा है कि ऐसे बच्चों के परिवार के किसी एक सदस्य को कौशल विकास व रोजगार परक शिक्षा से जोड़ने के साथ ऐसे परिवारों के भोजन, आवास एवं स्वास्थ्य की भी समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए। जिससे ये भरण-पोषण के लिए अपने बच्चों की आय पर निर्भर न रहे।



मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पत्र में कहा है कि सरकार की विभिन्न सामाजिक सुरक्षा व कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पंचायती राज संस्थाओं एवं इनके निर्वाचित जनप्रतिनिधयों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि समस्त जनप्रतिनिधि बाल श्रम जैसी सामाजिक कुप्रथा को समाप्त करने के लिए बाल श्रमिकों की पहचान करने में मद्द करें तथा श्रम विभाग द्वारा संचालित नया सवेरा योजना, राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना व कण्डीशनल कैश ट्रांसर्फर योजनाओं का लाभ समय से दिलाने साथ ही इन्हें रोजगार परक एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो इन सबमें आपका सहयोग आपेक्षित है।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया है कि सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थाओं के सहयोग से संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाकर इन मासूमों को बचपन का अधिकार दिलाना है। सभी के सहयोग से ही इन्हें विकास व उन्नति के मार्ग में ले जाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चें क्षमता से अधिक श्रम करके कम आयु में ही शारीरिक एवं मानसिक विकास के वंचित हो जाते है। ऐसे कामकाजी बच्चों के प्रति सभी का व्यवहारिक दृष्टिकोण जरूरी है। 

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