जल संरक्षण एव वर्षा जल संचयन के प्रति गम्भीर होना होगा : जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय

Update: 2019-07-10 12:27 GMT

मुजफ्फरनगर । जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय ने कहा कि जल संरक्षण एव वर्षा जल संचयन आज की महती आवश्यकता है यदि हम लोग अभी अब से नही चेते तो धीरे-धीरे पानी की सतह नीचे गिरने के साथ ही पेड़, पौधों के के साथ हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा। उन्होने कहा कि किसी भी पूजा व अनुष्ठान में जल को रखा जाता है और उसकी पूजा की जाती है, जल से आचमन भी पानी की कुछ बूदों के द्वारा किया जाता है इससे यही संदेश मिलता है कि जल का अत्यधिक दोहन न करे। उसको आने वाली पीढी के लिए संरक्षित करके रखे। हमें जल संरक्षण एंव उसके संचयन के प्रति गम्भीर होना होगा। अन्यथा भविष्य में गम्भीर परिणाम भुगतने होगे।

जल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन अभियान पर कार्यशाला का हुआ आयोजन


 जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय आज जिला पंचायत सभागार मे आयोजित जल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन अभियान के अन्तर्गत आयेाजित कार्यशाला में ग्राम प्रधानों, ग्राम पंचायत सचिवों व ग्राम विकास अधिकारियेां को सम्बोधित कर रहे थे।

जिलाधिकारी ने कहा कि जल संरक्षण से लोगों को असानी से पेयजल एवं सिंचाई सुविधाएं मुहैया होगी तथा भूगर्भ के गिरते जलस्तर को रोकने में मदद मिलेगी। इसलिए लोगों को संकल्पबद्ध होकर इस वर्षा ऋतु में ही शत-प्रतिशत जल संरक्षण करना नितान्त आवश्यक है। जल संरक्षण से ही जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है। जिलाधिकारी ने कि वर्षा का पानी रोकने हेतु ग्राम प्रधान अपने खण्ड विकास अधिकारियों से विचार विमर्श करके मनरेगा के माध्यम से बेहतर तालाब का निमार्ण कर सकते हैं, उसकी सफाई करा सकते है इससे गांव में जल संरक्षण भी होगा तथा स्थानीय मजदूरों को रोजगार भी मुहैया होगा।

ग्रामस्तर पर कार्ययोजना बनाई जाये और माॅडल ग्राम बनाये जाये


जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय ने कहा कि गांव के विकास के लिए देश के प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री  प्रतिबद्ध है। गांव में भू-जल स्तर में सुधार एवं निकट भविष्य में जलापूर्ति, भूजल स्तर को ऊपर उठाने एवं वर्षा जल संचयन के यह कार्य आवश्यक है। जल, जीवन के लिये सबसे अहम प्राकृतिक संसाधन है। वैज्ञानिकों के मतानुसार आगामी दशकों में यह विश्व के कई क्षेत्रों में एक गंभीर अभाव की स्थिति में चला जायेगा। उन्होने कहा कि उन प्रयासों पर जोर देने की आवश्यकता है जो कि अधिक से अधिक वर्षाजल को संग्रहित कर सके। स्थानीय स्तर पर वर्षा के पानी का संचयन या संग्रहण को या तो जलाशयों, टैंकों या झीलों में जल को संग्रहित करके रखने के माध्यम से हो सकता है अथवा भूमिगत जल के पुर्नभरण द्वारा किया जा सकता है। उन्होने कहा कि ग्राम स्तर पर कार्ययोजना बनाई जाये और माॅडल ग्राम बनाये जाये।

जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय  ने कहा कि आने वाले समय में अगली आने वाली पीढी को हम भौतिक सुविधाए तो दे सकते है लेकिन पानी की कमी की भरपाई कैसे करे इसके बारे में सोचना आवश्यक है और यह काम हमारे प्रधानमंत्री ने शुरू कर दिया है उनकी ही प्रेरणा से 22 जून से पूरे देश में जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन अभियान चल रहा है। तालाबों की सफाई कराकर उनको भरावाया जा रहा है।

इस अवसर पर मुख्य विकस अधिकारी अर्चना वर्मा, डीपीआरओ, जिला गन्नाधिकारी, जिला कृषि अधिकारी, अन्य अधिकारीगण के साथ जनपद के ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव, ग्राम विकास अधिकारी उपस्थित थे। 

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