विषाक्त मदिरा के संचय, परिवहन और बिक्री पर होगी अब रासुका एवं गैंगस्टर के तहत कार्यवाही

प्रमुख सचिव आबकारी ने मण्डालायुक्त,जिलाधिकारी व आबकारी आयुक्त को कड़ाई से पालन करने के दिये निर्देश

Update: 2019-07-03 14:44 GMT

लखनऊ । उत्तर प्रदेश सरकार ने अवैध रूप से निर्मित मदिरा व विषाक्त मदिरा के संचय, परिवहन और बिक्री के कारण हुई जनहानि के प्रकरणों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून और गैंगस्टर एक्ट के तहत कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिये गये हैं।

प्रमुख सचिव, आबकारी संजय आर. भूसरेड्डी ने सभी मण्डलायुक्तों, जिलाधिकारियों और आबकारी आयुक्त को दिये निर्देश

इस सम्बन्ध में प्रमुख सचिव, आबकारी संजय आर. भूसरेड्डी ने सभी मण्डलायुक्तों, जिलाधिकारियों और आबकारी आयुक्त को निर्देश देते हुए कहा कि मदिरा से हुई जनहानि के मामलों में संयुक्त प्रान्त आबकारी अधिनियम, 1910 (यथा संशोधित) की धारा-60(क) के अतिरिक्त भारतीय दण्ड संहिता की धारा-272, 273, 304 और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। उन्होंने कहा कि विषाक्त मदिरा के सेवन से होने वाली जनहानि, अपंगता और गम्भीर शारीरिक क्षति के प्रकरणों में प्रभावी रूप से अभियोग पंजीकृत किये जायें।

दोषियों द्वारा अवैध मदिरा के निर्माण या तस्करी के कार्य की पुनरावृत्ति की जाती है तो उनके विरूद्ध गैंगस्टर एक्ट तथा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत करने पर भी विचार

प्रमुख सचिव आबकारी के अनुसार यदि दोषियों द्वारा अवैध मदिरा के निर्माण या तस्करी के कार्य की पुनरावृत्ति की जाती है तो उनके विरूद्ध गैंगस्टर एक्ट तथा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत करने पर भी विचार करने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने मण्डलायुक्तों, जिलाधिकारियों और आबकारी आयुक्त को विभिन्न अभियोगों में अभियोजन की कार्यवाही विशेष न्यायालयों के समक्ष वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी/ जिला शासकीय अधिवक्ता के माध्यम से प्रभावी रुप से सम्पादित करने के भी निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी जिले में विशेष न्यायालय का गठन नहीं हुआ है तो तत्काल अगली समन्वय समिति के माध्यम से गठन करना सुनिश्चित करें।

प्रमुख सचिव ने कहा कि विगत वर्षो में प्रदेश के कतिपय जिलों में अवैध रूप से निर्मित विषाक्त मदिरा के सेवन से जनहानि की अनेक घटनायें घटित हुई। कुछ प्रकरणों में उपभोक्ताओं द्वारा सरकारी दुकानों से विषाक्त मदिरा का क्रय करके सेवन किये जाने के मामले प्रकाश में आये। यह स्थिति वास्तव में अत्यन्त दुःखद एवं खेदजनक है।

उल्लेखनीय है कि विषाक्त मदिरा के सेवन से होने वाली जनहानि, अपंगता एवं गम्भीर शारीरिक क्षति के प्रकरणों में आरोप सिद्ध पाये जाने की दशा में अजीवन कारावास अथवा मृत्युदण्ड तक के प्राविधान संयुक्त प्रान्त आबकारी अधिनियम, 1910 (यथा संशोधित) की धारा-60(क) में हैं। इसके अतिरिक्त भारतीय दण्ड संहिता की धारा-272 एवं 273 में अपायकर खाद्य या पेय पदार्थों के अपमिश्रण के लिए दोषियों को दण्डित किये जाने, साथ ही धारा-304 में हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध के लिए भी दण्ड का प्राविधान है। 

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