सरकार उर्दू भाषा के प्रचार के लिए प्रतिबद्ध है : मानव संसाधन विकास मंत्री

उर्दू परिषद की निधि वर्ष 2013-14 में 45 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 84 करोड़ रुपये हो गई

Update: 2019-10-02 07:44 GMT

मानव संसाधन विकास मंत्री ने राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद के कार्यकारी बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता की

उर्दू परिषद की निधि वर्ष 2013-14 में 45 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 84 करोड़ रुपये हो गई : मानव संसाधन विकास मंत्री



नई दिल्ली । केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री  रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने आज नई दिल्‍ली में राष्‍ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद के कार्यकारी बोर्ड की एक बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में परिषद से संबंधित विभिन्न मुद्दों, विशेष तौर पर देश के भीतर और बाहर उर्दू भाषा को बढ़ावा देने के विषय पर चर्चा की गई।



बैठक के दौरान केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ने राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद की नई वेबसाइट का उद्घाटन किया। मंत्री के समक्ष एनसीपीयूएल की गतिविधियों की प्रस्‍तुति दी गई और अगले पांच वर्षों के दौरन परिषद द्वारा की जाने वाली गतिविधियों से संबंधित एक दृष्टिपत्र भी प्रस्तुत किया गया। बैठक के दौरान मंत्री ने जोर देकर कहा कि उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए गैर-सरकारी संगठनों को जो अनुदान दिए जाते हैं उनका पूरा उपयोग किया जाना चाहिए। उन्‍होंने सदस्यों को समय-समय पर गैर सरकारी संगठनों का निरीक्षण करने की भी सलाह दी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जारी किए गए अनुदान का उपयोग पारदर्शी तरीके से किया जा रहा है। उन्होंने सदस्‍यों को यह भी सुझाव दिया कि परिषद की गतिविधियों के संचालन में वे निदेशक और उपाध्यक्ष के साथ मिलकर काम करें और यह सुनिश्चित करें कि यह संदेश आम जनता तक पहुंचे कि सरकार उर्दू भाषा के प्रचार के लिए प्रतिबद्ध है।


मानव संसाधन विकास मंत्री ने उर्दू परिषद के लिए वित्त पोषण में बढ़ोतरी की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि उर्दू परिषद के लिए वित्‍त पोषण को वर्ष 2013-14 में 45 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2019-20 में 84 करोड़ रुपये कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पांच साल के दौरान वित्‍त पोषण में 45% की बढ़ोतरी उल्‍ल्‍ोखनीय है। मंत्री ने कहा कि बढ़ी हुई रकम के उपयोग के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।



बैठक में 'द पेपर माशे स्कीम' के विस्तार का भी निर्णय लिया गया जिसे फिलहाल कश्मीर विश्वविद्यालय के माध्यम से लागू किया गया है। इस योजना के तहत कश्‍मीरी युवाओं को पेपर माशे यानी कागज की लुगदी तैयार करने का प्रशिक्षण देने पर हर साल 15 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं जिसकी बाजार में काफी मांग है। बैठक के दौरान दृष्टि पत्र एवं अन्य एजेंडों पर भी चर्चा हुई। 

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