कोई भाषा थोपी नहीं जानी चाहिए और न ही किसी भाषा का विरोध होना चाहिए : उपराष्ट्रपति
कर्नाटक के मनीपाल में शारदा आवासीय विद्यालय के छात्रों के साथ संवाद किया
छात्र और शिक्षक अन्य भाषाएं सीखने के साथ ही मातृभाषा को भी पर्याप्त महत्व दें ।
देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समझने के लिए युवाओं से भारत भ्रमण करने को कहा।
छात्रों को रचनात्मक, जिज्ञासु, संप्रेषणीय, आत्मविश्वासी और सक्षम बनाने के लिए पाठ्यक्रमों में अनुकूल बदलाव पर जोर दिया।
नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति,एम वेंकैया नायडू ने लोगों से अधिक से अधिक भाषाएं सीखने का आह्वान करते हुए कहा है कि कोई भी भाषा थोपी नहीं जानी चाहिए और न ही किसी भाषा विशेष का विरोध होना चाहिए ।
अमेरिका में नासा और अन्य स्थानों का दौरा करने के बाद हाल ही में लौटे मनीपाल के शारदा आवासीय विद्यालय के छात्रों के साथ आज बातचीत करते हुए, श्री नायडू ने जोर देकर कहा कि भारत कई भाषाओं से समृद्ध है। छात्रों तथा शिक्षकों को नयी भाषाएं सीखने के साथ ही अपनी मातृभाषा को भी पूरा महत्व देना चाहिए।
उन्होंने पर्यटन को शिक्षा का एक माध्यम बताते हुए छात्रों से देश की विविध संस्कृति, विरासत,खानपान और भाषाओं को समझने के लिए भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों की यात्रा करने को कहा ताकि वह देश की अनूठी बहुरंगी संस्कृति से भलि भांति परिचित हो सकें।
घरेलू पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लागों से 2022 तक देश के 15 पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के आह्वान का जिक्र करते हुए श्री नायडू ने छात्रों से कहा कि वह देश के भीतर ऐतिहासिक , आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्यटक स्थलों का ज्यादा से ज्यादा भ्रमण करें और इसके माध्यम से देश की विविध सांस्कृतिक विरासत के बारे अधिक से अधिक जानकारी हासिल करें । उन्होंने कहा कि ऐसी यात्राएं ज्ञानवर्द्धक होने के साथ ही देश की अतीत को बेहतर समझने का अवसर देंगी।
छात्रों से अपना अधिक से अधिक समय प्रकृति की गोद में बिताने का आह्वान करते हुए श्री नायडू ने उनसे प्रकृति के संरक्षण में सक्रीय सहयोग के साथ ही एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक का उपयोग प्रधानमंत्री के कहे अनुसार दो अक्तूबर से पूरी तरह बंद करने की शपथ लेने को भी कहा।
उपराष्ट्रपति ने छात्रों को रचनात्मक आत्मविश्वासी सक्षम,जिज्ञासु और संप्रेषणीय बनाए जाने के लिए क्षिक्षा प्रणाली और पाठ्यक्रमों में आवश्यक बदलाव करने पर जोर दिया। उन्होंने साथ यह सुझाव भी दिया कि नयी शिक्षा नीति ऐसी होनी चाहिए जिसमें भारतीय इतिहास और देश के विभिन्न हिस्सों से स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने वाले स्वाधीनता सेनानियों के योगदान पर विशेष जोर हो। उन्होंने कहा औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ संघर्ष में भाग लेने वाले ऐसे नायकों की संख्या काफी रही है। हमारे बच्चों को इनके बारे में जानना जरूरी है।
छात्रों की शारीरिक दक्षता बढ़ाने के लिए उन्हें स्कूल के समय का 50 प्रतिशत हिस्सा कक्षाओं के बाहर बिताने की अनुमति देने पर जोर देते हुए श्री नायडू ने छात्रों को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक जीवनशैली और भोजन की आदतों के कारण गैर-संचारी रोगों की बढ़ती घटनाओं के बारे में आगाह किया।
It is in the best interest of #students to allocate 50 percent of their #schooling hours outside classrooms. Special attention is also needed for the promotion of #games, #sports, classical art forms, #yoga, and others. pic.twitter.com/L9nrWmBRv6
— VicePresidentOfIndia (@VPSecretariat) September 20, 2019