रक्षामंत्री का मेक इन इंडिया के तहत रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की साझेदारी बढ़ाने का आह्वान
रक्षामंत्री ने भारतीय वायुसेना को तकनीकी रूप से उन्नत और अत्यंत सामार्थ्यवान बल करार देते हुए कहा कि हाल ही में पड़ोस में आतंकवादी ठिकानों पर की गई कार्रवाई सशस्त्र बलों की इस विकट इकाई की पहुंच और घातकता को बयान करती है। उन्होंने कहा कि सेना और नौसेना के अलावा भारतीय वायुसेना को अपनी परिचालन संबंधी क्षमताओं को व्यापक बनाने के लिए तकनीक के क्षेत्र में हो रही प्रगति के साथ कदम से कदम मिलाने की जरूरत है।
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विदेशी विनिर्माताओं पर निर्भरता में उत्तरोत्तर कमी लाने और रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी रूप से विकसित समग्र क्षमताओं का विकास करने पर बल दिया।
नई दिल्ली में 'वायुसेना की आधुनिकीकरण एवं स्वदेशीकरण योजनाएं' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में उद्घाटन भाषण देते हुए राजनाथ सिंह ने स्वेदशीकरण संबंधी मांगों को पूरा करने के लिए निजी उद्योग से सरकार की नीतिगत पहलों का लाभ उठाने तथा रक्षा सेवाओं, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) और आयुध फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) के साथ संबंध बनाने का अनुरोध किया। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उद्योगों की प्रगति और विकास की दिशा में लंबित मसलों का समाधान करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने उद्योग जगत से कहा कि अल्पकालिक लाभ की अपेक्षा ना करते हुए, दीर्घकालिक लाभ के लिए निवेश करें।
रक्षामंत्री ने भारतीय वायुसेना को तकनीकी रूप से उन्नत और अत्यंत सामार्थ्यवान बल करार देते हुए कहा कि हाल ही में पड़ोस में आतंकवादी ठिकानों पर की गई कार्रवाई सशस्त्र बलों की इस विकट इकाई की पहुंच और घातकता को बयान करती है। उन्होंने कहा कि सेना और नौसेना के अलावा भारतीय वायुसेना को अपनी परिचालन संबंधी क्षमताओं को व्यापक बनाने के लिए तकनीक के क्षेत्र में हो रही प्रगति के साथ कदम से कदम मिलाने की जरूरत है।
हमारे सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण करने से संबंधित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान को दोहराते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' के तहत निजी क्षेत्र की साझेदारी बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार की ओर से की जा रही पहल का उल्लेख करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि स्वतः अनुमोदित मार्गके माध्यम से 49 प्रतिशत औरप्रत्येक मामले के आधार पर सरकारी मार्ग के माध्यम से 100 प्रतिशत तक के विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है। उन्होंने यह कहकर विदेशी मौलिक उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) से भारत में निर्माण कारखाने स्थापित करने का अनुरोध किया कि एफडीआई, संयुक्त उद्यमों अथवा रक्षा ऑफसेट मार्ग के माध्यम से विदेशी कंपनियों के लिए अनेक अवसर मौजूद हैं। राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि रक्षा ऑफसेट कार्यान्वयन की प्रक्रिया को सुचारू बनाया गया है तथा सेनाओं के लिए ऑफसेट्स से मुक्ति के प्रावधान को बहाल करने संबंधी इस उद्योग की एक प्रमुख मांग को पूरा किया गया है।
श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा संबंधी निर्माण हेतु आवश्यक सर्वोत्तम गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के लिए निजी उद्योग को सरकारी संस्थाओं की परीक्षण सुविधाओं के उपयोग की मंजूरी देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस आशय का फैसला हितधारकों, विशेष रूप से स्वदेशी रक्षा विनिर्माताओं की टिप्पणियों को शामिल करने के बाद किया गया है।